An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



हिन्दी शब्द 'किंतु' और 'परंतु' में अंतर 'Kintu' aur 'Parantu' me antar

'किंतु' एवं 'परंतु' दोनों शब्द समानार्थक हैं। इनका प्रयोग वाक्य में किसी कार्य के पूर्ण होने या न होने का कारण बताने के लिए इन शब्दों के बाद आगे की बात कही जाती है।

उदाहरण- (1) मैं तुम्हारे साथ आ सकता था, किंतु मेरी इच्छा ही नहीं हुई।

(2) मैं समय पर पहुंच जाता परंतु आपने वाहन ही नहीं पहुंचाया।

'किंतु' 'परंतु' के अन्य समानार्थक शब्द- 'लेकिन', 'मगर', 'पर' हैं।

'किंतु' के प्रयोग:-

इस शब्द का प्रयोग कही गई बात का पूरा होना या न होना जब स्वयं पर या जिसके संबंध में बात कही जा रही है उस पर अवलंबित (निर्भर) होता है, वहाँ 'किंतु' शब्द का प्रयोग कर सकते हैं।

उदाहरण:- मैं आपको होटल में भोजन करा देता, किंतु मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।

'परंतु' का प्रयोग:-

इस शब्द का प्रयोग उस समय किया जा सकता है जब कहीं बात के पूर्ण होने या न होने का अवलंबन (निर्भरता) स्वयं को छोड़कर या जिसके बारे में बात की जा रही है उसको छोड़कर अन्य व्यक्ति/साधन पर हो।

उदाहरण- मनीष आपकी टीम में खेल सकता है परंतु उसे पिताजी की इजाजत लेनी पड़ेगी।

हिंदी में सामान्य रूप से देखें तो 'किंतु' और 'परंतु' शब्द का प्रयोग लगभग एक ही अर्थ में किया जाता है चूंकि सूक्ष्मता की बात करें तो उपरोक्त अनुसार प्रयोग किया जा सकता है।

RF competition
INFOSRF

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

Watch video for related information
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)

Watch related information below
(संबंधित जानकारी नीचे देखें।)



  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

अनुतान क्या है? अनुतान के उदाहरण एवं प्रकार || हिन्दी भाषा में इसकी महत्ता || Hindi Bhasha and Anutan

अनुतान के प्रयोग से शब्दों या वाक्यों के भिन्न-भिन्न अर्थों की अनुभूति होती है। भाषा में अनुतान क्या होता है? अनुतान के उदाहरण, प्रकार एवं इसकी महत्ता की जानकारी पढ़े।

Read more



'अ' और 'आ' वर्णों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य एवं इनकी विशेषताएँ

अ और आ दोनों स्वर वर्णों का उच्चारण स्थान कण्ठ है अर्थात ये दोनों वर्ण कण्ठ्य वर्ण हैं। इनकी विस्तार पूर्वक जानकारी नीचे दी गई है।

Read more

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (परिचय) : बौद्धकालीन भारत में विश्वविद्यालय― तक्षशिला, नालंदा, श्री धन्यकटक, ओदंतपुरी विक्रमशिला

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित निबंध : बौद्धकालीन भारत में विश्वविद्यालय― तक्षशिला, नालंदा, श्री धन्यकटक, ओदंतपुरी विक्रमशिला।

Read more

Follow us

Catagories

subscribe