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श्री कुबेर महाराज की आरती || Shri Kuber Maharaj ji ki aarti

  • BY:
     RF Temre

ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भक्तों के, भण्डार कुबेर भरे।।
ऊँ जय ...

शिव भक्तों में, भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े।
ऊँ जय ....

स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावे, सब जय जयकार करे।।
ऊँ जय ....

गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करे।।
ऊँ जय ...

भाँति भाँति के, व्यंजन बहुत ही बने।
मोहन भोग लगावे, साथ में उड़द चने॥
ऊँ जय ...

बल बुद्धि विद्या दाता, हम तेरी शरण पड़े।
अपने भक्त जनों के, सारे काज संवारे॥
ऊँ जय ...

मुकुट मणी की शोभा, मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती, घीं की जोत जले॥
ऊँ जय ...

यक्ष कुबेर जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत सब दास तुम्हारे, मनवांछित फल पावे॥
ऊँ जय ...

इस 👇 बारे में भी जानें।
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5. "वैष्णव जन तो तेने कहिये" भजन एवं इसका हिन्दी अर्थ
6. माँ दुर्गा जी की आरती अर्थ सहित।


आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com

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