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पाठ-17 वसीयतनामे का रहस्य कक्षा 8 विषय हिन्दी विशिष्ट | गद्यांशों की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या सम्पूर्ण अभ्यास व भाषा अध्ययन | Vasiyatname ka rahasya
पाठ-17 वसीयतनामे का रहस्य
पाठ का संक्षिप्त परिचय
इस कहानी में गाँव के एक वयोवृद्ध किसान की न्यायप्रियता, दूरदर्शिता, ईमानदारी, निष्पक्षता और बुद्धिचातुर्य से परिचित कराया गया है। गाँव के बड़े से बड़े विवादो को वह इस प्रकार सुलझाता था कि दोनों ही पक्ष प्रसन्न होकर जाते थे। उसके चार पुत्र और एक पुत्री थी। उसने अपनी वसीयत में लिखा था कि मेरी जायदाद मेरे तीन पुत्रों में बाँट दी जाए और विवाद की स्थिति में जो भी निष्पक्ष न्याय करे, उससे मेरी पुत्री का विवाह कर दिया जाए। उसके मरने के बाद जायदाद के बंटवारे के लिए विवाद हुआ। गाँव में पंचायत हुई, किन्तु किन तीन बेटों को जायदाद का बँटवारा हो कोई निर्णय नहीं दे सका। आखिर न्याय के लिए चारों बेटे और बेटी राजा के पास पहुँचे। राजा ने निष्पक्ष न्याय कर दिया और बेटी की शादी राजा के साथ हो गई।
लेखक परिचय - डॉ. परशुराम शुक्ल
डॉ. परशुराम शुक्ल हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ. परशुराम शुक्ल ने बाल साहित्य की सभी विधाओं पर अधिकारपूर्वक लेखनी चलाई है। शिशुगीत, बाल कविताएँ, बाल एकांकी तथा बाल उपयोगी ज्ञान-विज्ञान संबंधी आलेखों का सफलतापूर्वक सृजन किया है। आपका जन्म 6 जून 1947 को कानपुर जिले के मैबलू नामक ग्राम में हुआ था। आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं- वृक्ष कथा, मास्टर दीनदयाल, विश्व जलचरंकोश, ज्ञान विज्ञानकोश आदि।
सम्पूर्ण पाठ
पाठ-17 वसीयतनामे का रहस्य
एक गाँव में एक वृद्ध किसान रहता था। वह बहुत बुद्धिमान, दूरदर्शी व न्यायप्रिय था। दूर-दूर से लोग अपने झगड़ों का निपटारा कराने के लिए उसके पास आते थे। वह उनका फैसला इतनी निष्पक्षता व बुद्धिमानी से करता था कि दोनों पक्ष संतुष्ट होकर ही वापस जाते। एक न्यायप्रिय पंच के रूप में वह चारों ओर प्रसिद्ध हो गया था।
वृद्ध किसान के चार बेटे व एक अत्यन्त रूपवती कन्या थी। लेकिन उसने अपनी सारी जायदाद के तीन हिस्से किए और वसीयत लिखकर वह मर गया। उसके बेटों ने वसीयत पढी तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। उसमें दो बातें लिखी थीं। पहली सम्पूर्ण जायदाद के तीन हिस्से कर उसे तीन भाइयों में बाँट दिया जाए लेकिन यह नहीं लिखा था कि किस भाई को हिस्सा न दिया जाए। दूसरी-जो पंच इस बात का फैसला करे उसके साथ बेटी का विवाह कर दिया जाए।
चारों भाई जायदाद के बँटवारे को लेकर झगड़ने लगे। जायदाद के तीन हिस्से थे और चार हिस्सेदार! किसी तरह निपटारा नहीं हो रहा था। यदि एक भाई अपना हिस्सा छोड़ देता तो न्याय हो जाता। लेकिन कोई भी भाई अपना हक छोड़ने के लिए तैयार नहीं था।
चारों भाइयों का झगड़ा देखकर भीड़ इकट्ठी हो गयी। एक दो लोगों ने आगे बढ़कर झगड़े का कारण पूछा। चारों भाइयों ने पूरी बात बता दी। गाँव वालों को बड़ा आश्चर्य हुआ। वे सोचने लगे कि इतने बुद्धिमान व्यक्ति ने ऐसी वसीयत क्यों लिखी? अवश्य ही इसमें कोई रहस्य होगा। उन्होंने इस विवाद को जटिल समझकर उन्हें पंचायत बैठाने की सलाह दी। चारों भाई पंचायत के लिए सहर्ष तैयार हो गये।
अगले दिन गाँव के बाहर बरगद के पेड़ के नीचे पंचायत बैठी। सभी पंचों ने सारे मामले पर गंभीरता से विचार किया। चारों भाइयों से तरह-तरह के प्रश्न पूछे। पंचों को यह शक था कि वृद्ध किसान के तीन बेटे असली हैं व एक बेटा उसका नहीं है। इसलिए उसने अपनी जायदाद के तीन हिस्से करने की बात वसीयत में लिखी है किन्तु चारों बेटों से पूछताछ करने पर यह स्पष्ट हो गया कि चारों बेटे वृद्ध के ही हैं। सभी पंच बहुत परेशान थे। एक महीना हो गया, लेकिन पंचायत कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी।
एक दिन पंचायत लगी हुई थी। तभी वहाँ से एक राहगीर निकला। उसने पंचों से राम- राम की और बैठ गया। पंचों ने राहगीर को पूरा मामला समझाया और सहायता करने को कहा। राहगीर को भी आश्चर्य हुआ। उसने सभी पंचों को समझाया कि मामला इतना जटिल है कि इसका फैसला केवल महाराजा ही कर सकता है। उसने उन्हें महाराजा का पता भी बता दिया।
चारों भाई अपनी बहन तथा कुछ साथियों को लेकर महाराजा के पास चल दिए। वह जंगल में एक शानदार महल में रहता था। महाराजा के महल तक पहुँचने के लिए दो महलों को पार करके जाना पड़ता था।
महाराजा बड़े निर्भीक, साहसी और निडर थे। उन्होंने अपनी रक्षा के लिए एक भी सैनिक नहीं रखा था। वह हमेशा प्रजा के सुख और आराम के लिए ही कार्य करते थे। उनके पास दूर-दूर से एक-से-एक जटिल मामले आते, जिन्हें वह कुछ ही पलों में इस बुद्धिमानी से हल, कर लेते कि लोग देखते रह जाते।
चारों भाई भी अपनी बहन तथा साथियों के साथ बिना रोक-टोक के पहले महल तक पहुँच गये। तभी उन्हें सत्रह अठारह वर्ष का एक युवक दिखा।
"महाराजा कहाँ मिलेंगे?" एक भाई ने युवक से पूछा।
"महाराजा को मरे तो तीन साल हो गए। आगे जाओ।" युवक बोला और महल के अन्दर चला गया।
चारों भाइयों व उनके साथियों को युवक की बात बड़ी विचित्र लगी। वे आगे बढ़े। कुछ ही दूरी पर दूसरा महल था। वहाँ उन्नीस-बीस वर्षीय अद्वितीय सुन्दरी कन्या घूम रही थी।
"महाराजा कहाँ मिलेंगे?" एक साथी ने कन्या से पूछा।
"महाराजा तो अंधे हो गए है, आगे जाओ।" कन्या बोली और महल के अन्दर चली गई।
चारों भाइयों व उनके साथियों को ऐसा लग रहा था जैसे कि किसी विचित्र संसार में इ आ गए हों। उन्हें युवक-युवती दोनों पागल मालूम पड़े।
वे आगे बढ़े सामने महाराजा का महल था।
अभी वे लोग महल के भीतर प्रवेश करने जा रहे थे कि अन्दर से बीस-पच्चीस ग्रामीण "महाराजा की जय" "महाराजा की जय" चिल्लाते हुए बाहर निकले।
एक भाई ने उनमें से एक युवक को रोककर सारी बात पूछी। उस युवक ने बताया कि वे लोग अभी कुछ ही देर पहले एक झगड़े का निपटारा कराने महाराजा के पास आए थे और महाराजा ने अपनी बुद्धिमानी से पल भर में फैसला कर दिया। महाराजा दूध का दूध और पानी का पानी कर देता है।
युवक की बातों से चारों भाइयों व उनके साथियों को विश्वास हो गया कि महाराजा शीघ्र ही उनका निपटारा कर देगा।
वे हिम्मत करके फिर आगे बढ़े।
सामने एक बड़ा सा कमरा था, जिसमें एक ऊँचे आसन पर महाराजा बैठे हुए थे।
सभी लोगों ने महाराजा को सर झुकाकर प्रणाम किया। उन्होंने उठकर सभी को आशीर्वाद दिया और फिर अपने आसन पर बैठ गए।
"कहो, तुम लोग क्यों आए हो?" महाराजा गम्भीर आवाज में बोले।
"महाराजा, हम लोग आपसे एक मामले का फैसला कराने आए हैं, लेकिन हमारे मामले का फैसला करने से पहले आप हमें दो बातें बता दीजिए।" एक वृद्ध व्यक्ति बड़ी नम्रता से बोला।
"पूछो, क्या पूछना चाहते हो?" महाराजा मुस्कराते हुए बोला।
"जब हम पहले महल के पास से गुजर रहे थे तो एक युवक मिला था। उससे हमने आपके बारे में पूछा तो उसने बताया कि आपको मरे तीन साल हो गए हैं। इस बात का क्या राज है?" वृद्ध व्यक्ति बोला।
"दूसरी बात क्या है?" महाराजा फिर मुस्कराते हुए बोला।
"जब हम लोग दूसरे महल के पास से गुजर रहे थे तो एक अत्यन्त रूपवती कन्या मिली। उससे हमने आपके बारे में पूछा तो उसने बताया कि आप अन्धे हो गए हैं। इस बात का राज भी बता दीजिए!!! उसी वृद्ध व्यक्ति ने बड़ी विनम्रता से पूछा।
"पहले जो युवक मिला था वह मेरा भाई है। राजकाज में फँसा होने के कारण मैं उससे तीन साल से नहीं मिल सका। अत: वह कह रहा था कि मुझे मरे तीन साल हो गये और बाद में जो युवती मिली थी वह मेरी छोटी बहन है। वह जवान हो गई है और विवाह करना चाहती है। राजकाज में व्यस्त होने के कारण मैं उसके लिए वर नहीं खोज पा रहा हूँ। इसीलिए वह कह रही थी कि मैं अंधा हो गया हूँ।" महाराजा ने गंभीरता से दोनों प्रश्नों के उत्तर दे दिए। तभी उनकी दृष्टि उस युवती पर पड़ी जो चारों भाइयों के साथ आयी थी। महाराजा को युवती बड़ी अच्छी लगी।
चारों भाइयों और उनके साथियों को महाराजा की बुद्धिमत्तापूर्ण बातों से पक्का विश्वास हो गया कि उनके मामले का निर्णय वह अवश्य कर देंगे।
"अब तुम लोग अपना मामला विस्तार से बताओ।" महाराजा युवती की ओर से ध्यान हटाकर गंभीरता से बोले।
एक वृद्ध व्यक्ति ने आगे बढ़कर पूरी बात बता दी।
"अरे यह तो बड़ी आसान बात है। इसका निर्णय तो अभी हुआ जाता है।" महाराजा हँसते हुए बोले और उठकर खड़े हो गए। उन्होंने अपनी कमर से बँधी तलवार निकाली और चारों भाइयों को ले जाकर एक कमरे में बन्द कर दिया। फिर उन्होंने सबसे बड़े भाई को बुलाया और एक दूसरे कमरे में ले जाकर अपनी तलवार उसके हाथ में देते हुए बोले- "देखो भाई, तुम होशियार आदमी हो और होशियार वही होता है जो अवसर का लाभ उठाए मैंने तुम्हारे तीनों भाइयों को एक कमरे में बन्द कर दिया है। वे खाली हाथ हैं और तुम्हारे पास तलवार है। तुम अपने तीनों भाइयों को मार डालो। में तुम्हें सारी जायदाद का मालिक बना दूँगा।" महाराजा ने उसे अपनी युवा बहन से विवाह का लालच भी दिया। "मुझे अपने छोटे भाइयों की हत्या करके जायदाद नहीं लेनी। इससे तो अच्छा है कि मैं अपना हिस्सा छोड़ दूँ और तीनों भाई अपना-अपना हिस्सा लेकर आराम से रहें।" बड़ा भाई शान्त स्वर में बोला और उसने महाराजा को उसकी तलवार वापस कर दी। अब महाराजा दूसरे भाई को लेकर उसी एकान्त कमरे में पहुँचा। उन्होंने उसे भी तलवार दी और पहले की तरह अपने भाइयों की हत्या करने को कहा। दूसरे भाई ने भी पहले के समान तलवार वापस करते हुए अपने भाइयों की हत्या से इन्कार कर दिया। इसी प्रकार तीसरा भाई भी अपना हिस्सा छोड़ने को तैयार हो गया और उसने भी अपने भाइयों की हत्या करने से मना कर दिया। अब महाराजा चौथे भाई को लेकर एकान्त कमरे में पहुँचा। उसने उसे भी तलवार देकर परले की तरह अपने भाइयों को कत्ल करने के लिए कहा। चौथा भाई अपने भाइयों का कत्ल करने के लिए तैयार हो गया। उसने सोचा कि धनवान बनने का यह अच्छा अवसर है। यदि वह अपने भाइयों को कत्ल कर दे तो पूरी जायदाद उसे मिल जाएगी। साथ ही महाराजा की सुन्दर बहन से उसका विवाह भी हो जाएगा। अभी चौथा भाई रंगीन सपने देख ही रहा था कि महाराजा ने उसको जेल में डाल दिया। महाराजा ने बाहर निकलकर तीनों भाइयों और उनके साथियों को पूरी बातें समझाई। सभी इस निर्णय से बहुत प्रसन्न थे। उन्होंने सोचा कि अवश्य ही छोटा भाई अपने पिता को भी इसी तरह कष्ट देता होगा। इसलिए उन्होंने अपनी जायदाद के तीन हिस्से किए थे। बड़े भाई ने महाराजा के साथ अपनी बहन के विवाह की इच्छा व्यक्त की। महाराजा तैयार हो गया। वह तो पहले से ही उस पर मोहित हो चुका था। शुभ मुहूर्त देखकर महाराजा ने विवाह किया। उसकी नवविवाहिता पत्नी केवल रूपवती ही नहीं गुणवती भी थी। उसने शीघ्र ही अपनी ननद व देवर का विवाह भी करा दिया। (1) एक दिन पंचायत लगी हुई थी। तभी वहाँ से एक राहगीर निकला। उसने पंचों से राम-राम की और बैठ गया। पंचों ने राहगीर को पूरा मामला समझाया और सहायता करने को कहा। राहगीर को भी आश्चर्य हुआ। उसने पंचों को समझाया कि मामला इतना जटिल है कि इसका फैसला केवल महाराजा ही कर सकता है। उसने उन्हें महाराजा का पता भी बता दिया। शब्दार्थ- पंचायत लगी हुई थी = पंचायत जुड़ी हुई थी। सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘वसीयतनामे का रहस्य से अवतरित है। इसके लेखक डॉ. परशुराम शुक्ल हैं। प्रसंग- इस गद्यांश में पिता द्वारा की गई वसीयतनामे की कठिन समस्या के विषय में एक राहगीर के द्वारा उपाय बताया गया है। व्याख्या- वसीयतनामे के रहस्य को (छिपी बात को) समझने के लिए एक दिन पंचायत बुलाई गई थी। पंचायत में सभी पंच उस वसीयतनामे की भाषा के अर्थ को समझ कर निर्णय करने का उपाय कर रहे थे परन्तु उन पंचों की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। उसी समय वहाँ से एक पथिक अपने मार्ग से चला जा रहा था। उसने समस्या को सुलझाने के लिए जुटी पंचायत के सदस्यों को राम-राम कहकर अभिवादन किया और इसके बाद वहाँ चुपचाप बैठ गया। पंचायत के सदस्यों ने उस राहगीर को समस्या के विषय में समझाया तथा उससे प्रार्थना की कि वह भी उनकी (पंचायत के सदस्यों की) सहायता करे जिससे वसीयतनामे में लिखी भाषा के अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट समझा जा सके और सम्पत्ति का बँटवारा उसके अनुसार किया जा सके। (2) महाराजा बड़े निर्भीक, साहसी और निडर थे। उन्होंने अपनी रक्षा के लिए एक भी सैनिक नहीं रखा था। वह हमेशा प्रजा के सुख और आराम के लिए ही कार्य करते थे। उनके पास दूर-दूर से एक से एक जटिल मामले आते जिन्हें वह कुछ ही पलों में इस बुद्धिमानी से हल – कर लेते कि लोग देखते रह जाते। शब्दार्थ- निर्भीक = निडर, भय रहित।
साहसी = हिम्मत वाले।
सैनिक = सेना का जवान।
प्रजा = अपने राज्य के लोगों के लिए।
जटिल = कठिन, उलझी हुई।
मामले = समस्याएँ।
कुछ ही पलों में = कुछ ही क्षणों में।
बुद्धिमानी = समझदारी।
हल कर लेते = सुलझा लेते।
देखते रह जाते = अचम्भे में रह जाते थे, चकित रह जाते। सन्दर्भ- पूर्व की तरह। व्याख्या- राहगीर पंचायत के सदस्यों को बताने लगा कि महाराजा बहुत ही निडर हैं। उनमें किसी भी समस्या का सामना करने की बड़ी हिम्मत है। वे किसी से भी नहीं डरते थे। वे अपनी सुरक्षा के लिए भी चिन्ता नहीं करते थे, अत: उन्होंने कोई भी सैनिक (सेना का सिपाही) अपनी रक्षा करने के लिए नियुक्त नहीं किया था। वे सदैव अपने राज्य की जनता के सुख की चिन्ता। करते थे। प्रजा के आराम के लिए ही कार्य करते थे। वे सदा उन लोगों से घिरे रहते थे जो अपनी कठिन समस्याओं को लेकर उनको सुलझाने के लिए उनके पास आते थे। उन लोगों की उन समस्याओं को बहुत कम समय में ही सुलझा देते थे। वे बहुत ही चतुर थे। उनके समस्याओं को सुलझाने के तरीके को देखकर सभी लोग अचम्भे में पड़ जाते। प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए। प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए― (ख) गाँव का वयोवृद्ध व्यक्ति किस विशिष्ट कार्य के लिए प्रसिद्ध था ? (ग) वसीयतनामे में जायदाद कितने पुत्रों को बाँटने का संकेत था? (घ) बँटवारे का अन्तिम निर्णय किसने किया ? (ङ) राजा के प्रथम दो महलों में जो दो लोग मिले, वे कौन थे? (च) पंचों को किस बात की शंका थी? (छ) वसीयतनामे में क्या लिखा था? प्रश्न 3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए― (ख) गाँव वालों को वसीयत के बारे में जानकर आश्चर्य क्यों हुआ? (ग) गाँव के वृद्ध व्यक्ति ने राजा से कौन-सी दो बातें पूछीं? (घ) राजा ने तीनों भाइयों को अलग-अलग ले जाकर क्या कहा ? (ङ) क्या तीनों भाई राजा के प्रस्ताव से सहमत थे? (च) चौथा भाई राजा के द्वारा दिए गए प्रस्ताव से क्या सोचकर सहमत हो गया ? (छ) राजा ने समस्या का निदान कैसे किया ? प्रश्न 4. सही विकल्प चिह्नित कीजिए―
प्रश्न― वसीयतनामे के विषय में जानकर पंचों को शक था प्रश्न 1. जायदाद विदेशी शब्द है, इसके स्थान पर मानक हिन्दी शब्द सम्पत्ति होता है। इसी प्रकार इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों के मानक हिन्दी शब्द लिखिए- प्रश्न 2. प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्यों में से साधारण वाक्य, मिश्रित वाक्य और संयुक्त वाक्य अलग करके लिखिए- प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्द,शब्द युग्म हैं या पुनरुक्त ? उनके सामने लिखिए― प्रश्न 5. पाठ में दिए गए प्रसंग के अनुसार सही जोड़े (विशेषण-विशेष्य) बनाइए। प्रश्न 6. उदाहरण की तरह शब्दों के रूप परिवर्तित कीजिए― प्रश्न 7. शिक्षक की सहयता से इस पाठ के कुछ महत्त्वपूर्ण वाक्यों को अनुतान के साथ (भिन्न-भिन्न ढंग से) पढ़िए और उनके बोलने से होने वाले अर्थ परिवर्तन को समझिए। कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों के ब्लूप्रिंट आधारित प्रश्नोत्तर को भी पढ़े। कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें। कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पद्य पाठों को भी पढ़े। एटग्रेड हिन्दी पाठों के 👇 प्रश्नोत्तर पढ़ें।
डॉ. परशुराम शुक्लगद्यांशों के अर्थ
तभी = उसी समय।
राहगीर = पथिक।
राम-राम की = अभिवादन किया।
आश्चर्य = अचम्भा।
मामला = समस्या।
जटिल = कठिन, उलझी हुई।
फैसला = न्याय।
प्रसंग- महाराजा की बुद्धिमानी के विषय में बताया जा रहा है।अभ्यास
बोध प्रश्न
उत्तर-
दूरदर्शी = दूर तक की बात सोचने वाला।
न्यायप्रियन्याय (इन्साफ) चाहने वाला।
निष्पक्ष = बिना भेदभाव के।
विवाद = झगड़ा।
जटिल = कठिन।
जायदाद = सम्पत्ति।
वसीयत = वसीयत सम्बन्धी लिखित आदेश।।
(क) वसीयतनामे का अर्थ समझाइए।
उत्तर- सम्पत्ति के बँटवारे का लिखित आदेश वसीयतनामा कहा जाता है।
उत्तर- गाँव का वयोवृद्ध व्यक्ति अपनी बुद्धिमानी, दूरदर्शिता व न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था। वह झगड़ों और विवादों का निपटारा निष्पक्षता से करता था। वह एक न्यायप्रिय पंच के रूप में चारों ओर प्रसिद्ध था।
उत्तर- वसीयतनामे में जायदाद के तीने हिस्से करके उसे तीन भाइयों (पुत्रों) में बाँट दिया जाय, परन्तु उस वसीयतनामे में यह नहीं लिखा था कि किस भाई को (पुत्र को) हिस्सा न दिया जाए।
उत्तर- बँटवारे का अन्तिम निर्णय महाराजा ने किया।
उत्तर- राजा के प्रथम दो महलों में जो दो लोग मिले, उनमें क्रमश: सत्रह-अठारह वर्ष का एक युवक और उन्नीस-बीस वर्षीय अद्वितीय सुन्दर कन्या थी।
उत्तर- पंचों को इस बात की शंका थी कि वृद्ध किसान के तीन बेटे असली है व एक बेटा उसका नहीं है। तभी तो उसने अपनी जायदाद के तीन हिस्से करने की बात वसीयत में लिखी है।
उत्तर- वसीयतनामे में दो बातें लिखी हुई थीं। पहली सम्पूर्ण जायदाद के तीन हिस्से कर उसे तीन भाइयों में बाँट दिया जाए, लेकिन यह नहीं लिखा था कि किस भाई को हिस्सा न दिया जाए। दूसरी-जो पंच इस बात का फैसला करे उसके साथ बेटी का विवाह कर दिया जाए।
(क) झगड़े का कारण क्या था?
उत्तर- चारों भाई जायदाद के बँटवारे को लेकर आपस में झगड़ने लगे। जायदाद के तीन हिस्से थे और हिस्सेदार थे चार। तीन हिस्से को चार भाइयों में किस प्रकार विभाजित किया जाए। उन चार भाइयों में से कोई एक भाई अपना हिस्सा छोड़ देता तो न्याय हो जाता परन्तु कोई भी अपना हक छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। बुद्धिमान पिता ने इस तरह की वसीयत क्यों लिखी ? इसमें कोई न कोई रहस्य अवश्य होगा।
उत्तर- गाँव वालों को जब वसीयतनामे के बारे में जानकारी हुई तो उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि वसीयतनामे में जायदाद का बँटवारा तीन हिस्सों में किया था जबकि उस वृद्ध किसान के चार पुत्र थे। जायदाद का बँटवारा तो चारों पुत्रों में बराबर ही होना चाहिए था। गाँव वाले लोग सोचने लगे कि इतने बुद्धिमान व्यक्ति ने इस तरह की वसीयत क्यों लिखी अवश्य ही इसमें कोई रहस्य की बात होगी। अत: गाँववासियों ने विवाद को बहुत ही कठिन समझा। इसलिए उन्होंने उन चार भाइयों को वसीयतनामे के रहस्य को समझने के लिए गाँव में पंचायत बुलाने की सलाह दी।
उत्तर- गाँव के वृद्ध व्यक्ति ने राजा से दो बातें बड़ी विनम्रता से पूर्थी
1. पहली बात यह कि अब वे महल के पास से गुजर रहे थे तो उन्हें एक युवक मिला था। उस युवक से जब आपके (राजा के) बारे में पूछा तो उस युवक ने उन्हें बताया (गाँव के वृद्ध व्यक्ति को बताया) कि राजा को मरे हुए तीन साल हो गए हैं।
2. दूसरी बात यह कि जब वे दूसरे महल के पास से गुजर रहे थे तो वहाँ उन्हें एक रूपवती कन्या मिली। उसने उन्हें (गाँव के वृद्ध व्यक्ति को) बताया कि आप (राजा) अन्धे हो गए हैं। उपर्युक्त दोनों की बातों का क्या रहस्य है?
उत्तर- राजा तीनों भाइयों को अलग-अलग ले गये और हर एक को अपनी तलवार देकर कहा कि वह शेष तीनों की हत्या उसकी तलवार से कर सकता है परन्तु इन तीनों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया। वे अपने-अपने हिस्से की जायदाद छोड़ने के लिए तैयार हो गये।
उत्तर- तीनों भाई राजा के प्रस्ताव से सहमत नहीं थे। वे जमीन जायदाद के लालच में अपने भाइयों की हत्या करना नहीं चाहते थे। वे अपने इस फैसले पर अडिग थे। वे सभी अपने हिस्से की जायदाद को अपने अन्य भाइयों के लिए छोड़ने के लिए तैयार थे। उनके अन्दर त्याग की भावना उच्च स्तर की थी और वे अपने भाइयों को आपस में फलता-फूलता देखना चाहते थे।
उत्तर- महाराजा चौथे भाई को किसी एकान्त कमरे में ले गए। राजा ने उसे अपनी तलवार दे दी और सलाह दी कि वह अपने शेष तीन भाइयों को उनकी तलवार से कत्ल कर दे। वह चौथा भाई अपने तीन भाइयों को कत्ल करने के लिए तैयार हो गया क्योंकि उसने सोच लिया था ऐसा अवसर, जो उसे हाथ लगा है कि उसके लिए बहुत ही शुभ है। वह शीघ्र ही धनवान हो जायेगा। अपने भाइयों का कत्ल करके उसे पूरी जायदाद मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त उसका विवाह भी महाराजा की सुन्दर बहन से हो जाएगा। इस तरह के विचारों को सोचकर चौथा भाई राजा के द्वारा दिए गए प्रस्ताव से सहमत हो गया।
उत्तर- धनवान होने तथा महाराजा की सुन्दर बहन के साथ विवाह होने के रंगीन सपने देखते हुए उस चौथे भाई को महाराजा | ने जेल में डाल दिया। महाराजा बाहर निकलकर आए। उन्होंने उनके साथियों को पूरी बात बतलाई तथा उन्हें समझा दिया। सभी लोग इस निर्णय से बहुत ही प्रसन्न थे । वे सभी सोचने लगे कि छोटा भाई अपने पिता को इसी तरह कष्ट देता होगा। इसलिए ही उन्होंने (उनके पिता ने) अपनी जायदाद के तीन हिस्से किए थे। तीन भाइयों ने अपने-अपने हिस्से की जायदाद प्राप्त कर ली और समस्या का निदान बड़ी चतुराई से कर दिया।
(1) वसीयतकर्ता मूर्ख था
(2) भूल से उससे गलती हो गई
(3) तीन बेटे असली हैं और एक बेटा उसका नहीं है।
उत्तर- (3) तीन बेटे असली हैं और एक बेटा उसका नहीं है।भाषा अध्ययन
वसीयतनामे, हिस्सा, हिस्सेदार, हक, राहगीर, शानदार, फैसला, मामला, गुजर, राज, होशियार।
उत्तर- वसीयतनामे = सम्पत्ति का लिखित आदेश।
हिस्सा = भाग।
हिस्सेदार = भागीदार।
हक = अधिकार।
राहगीर = पथिक।
शानदार = चमकीला, तेज।
फैसला = न्याय।
मामला = विषय।
गुजर = व्यतीत।
राज = रहस्य।
होशियार = चतुर, सावधान।
इस पाठ में आने वाले विभिन्न कारकों के उदाहरण छाँटकर लिखिए।
उत्तर-
उदाहरण ――― कारक
(1) एक गाँव में - अधिकरण
(2) झगड़ों का निपटारा - सम्बन्ध
(3) बुद्धिमानी से करता था - करण
(4) बेटों ने वसीयत पढ़ी - कर्त्ता कारक
(5) भाइयों का झगड़ा - सम्बन्ध
(6) इस विवाद को जटिल समझकर - कर्म कारक
(7) वहाँ से एक राहगीर - अपादान
(8) उसे तलवार देकर - सम्प्रदान
(9) अरे ! यह तो बड़ी आसान बात है - सम्बोधन
(क) एक गाँव में एक किसान रहता था।
(ख) जायदाद के तीन हिस्से थे और चार हिस्सेदार थे।
(ग) यदि एक भाई अपना हिस्सा छोड़ देता तो न्याय हो जाता।
(घ) वे सोचने लगे कि इतने बुद्धिमान व्यक्ति ने ऐसी वसीयत क्यों लिखी?
(ङ) एक दिन पंचायत लगी थी।
(च) महाराजा हंसते हुए बोला और उठकर खड़ा हो गया।
उत्तर- (क) साधारण वाक्य
(ख) संयुक्त वाक्य
(ग) मिश्रित वाक्य
(घ) मिश्रित वाक्य
(ङ) साधारण वाक्य
(च) संयुक्त वाक्य
(क) दूर-दूर, (ख) तरह-तरह, (ग) राम-राम, (घ) सत्रह-अठारह, (ङ) युवक-युवती, (च) उन्नीस-बीस, (छ) अपना-अपना, (ज) एक-दो।
उत्तर- (क) पुनरुक्त
(ख) पुनरुक्त
(ग) पुनरुक्त
(घ) शब्द युग्म
(ङ) शब्द युग्म
(च) शब्द युग्म
(छ) पुनरुक्त
(ज) शब्द युग्म
वर्ग (क) – वर्ग (ख)
(1) दूसरा – (अ) मामला
(2) अद्वितीय – (ब) स्वर
(3) शान्त – (स) महल
(4) पूरा – (द) कन्या
(5) रंगीन – (य) सुन्दरी
(6) रूपवती – (र) सपने
उत्तर- (1) दूसरा – (स) महल
(2) अद्वितीय – (य) सुन्दरी
(3) शान्त – (ब) स्वर
(4) पूरा – (अ) मामला
(5) रंगीन – (र) सपने
(6) रूपवती – (द) कन्या
उदाहरण- दुकान-दुकानें, कपड़ा-कपड़े।
बहन, भाई, युवक, युवती, महल, सपना, मामला, राहगीर।
उत्तर-
1. बहनें
2. भाइयों
3. युवकों
4. युवतियाँ
5. महलों
6. सपने
7. मामलों
8. राहगीरोंपढ़िए और समझिए
अनुतान- जब हम बोलते हैं तब हमारा लहजा बदलता रहता है। शब्दों को हमेशा एक ही लहजे में न बोलकर उतार-चढ़ाव के साथ बोलते हैं। बोलने में आए इन उतार चढ़ावों के अन्तर को सुर-परिवर्तन कहते हैं।
हिन्दी में सुर-परिवर्तन या सुर का उतार-चढ़ाव तो मिलता है पर इसके कारण शब्दों का अर्थ नहीं बदलता। हिन्दी में सुर-परिवर्तन वाक्य के स्तर पर कार्य करता है, अर्थात वाक्य का अर्थ बदल देता है जब सुर-परिवर्तन से वाक्य का अर्थ बदल जाता है तब वह अनुतान कहलाता है।
उत्तर- उदाहरण - वाक्य स्तर पर अनुतान का प्रयोग
मोहन जाएगा। (सामान्य कथन)
मोहन जाएगा? (प्रश्नवाचक)
मोहन जाएगा! (विस्मय सूचक)
1. पाठ 1 वर दे के ब्लूप्रिंट आधारित बहुविकल्पीय, अतिलघुत्तरीय, लघुत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. पाठ 2 'आत्मविश्वास' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
2. पाठ 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत― पाठ के प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन
3. पाठ 4 अपराजिता हिन्दी (भाषा भारती) प्रश्नोत्तर एवं भाषाअध्ययन
4. पाठ–5 'श्री मुफ़्तानन्द जी से मिलिए' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन)
5. पाठ 7 'भेड़ाघाट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
6. पाठ 8 'गणितज्ञ ज्योतिषी आर्यभट्ट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर और व्याकरण)
7. पाठ 9 बिरसा मुण्डा अभ्यास एवं व्याकरण
8. पाठ 10 प्राण जाए पर पेड़ न जाए अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
9. पाठ 12 याचक एवं दाता अभ्यास (बोध प्रश्न एवं व्याकरण)
10. पाठ 14 'नवसंवत्सर' कक्षा 8 विषय- हिन्दी || परीक्षापयोगी गद्यांश, शब्दार्थ, प्रश्नोत्तर व व्याकरण
11. पाठ 15 महेश्वर कक्षा 8 विषय हिन्दी ― महत्वपूर्ण गद्यांश, शब्दार्थ, प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
1. पाठ 1 वर दे ! कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 वर दे ! अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
3. Important प्रश्न व उनके उत्तर पाठ 1 'वर दे' (हिन्दी 8th) के अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा/मूल्यांकन 2023-24
4. उपमा अलंकार एवं उसके अंग
5. पाठ 6 'भक्ति के पद पदों का भावार्थ एवं अभ्यास
6. पाठ 11 'गिरधर की कुण्डलियाँ' पदों के अर्थ एवं अभ्यास
7. पाठ- 13 "न यह समझो कि हिन्दुस्तान की तलवार सोई है।" पंक्तियों का अर्थ एवं अभ्यास
8. पाठ 16 'पथिक से' कविता की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर, भाषा अध्ययन (व्याकरण)
3. हिन्दी विशिष्ट - पाठ 1 'वर दे' कविता (एटग्रेट) प्रश्नों के सटीक उत्तर
4. हिन्दी विशिष्ट - पाठ 2 'आत्मविश्वास' (एटग्रेट पाठ्यपुस्तक) प्रश्नों के सटीक उत्तर
3. पाठ 1 'वर दे' व पाठ 2 'आत्मविश्वास' के प्रश्नोत्तर
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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