वर्कशीट माह- फरवरी, विषय- हिन्दी प्रश्नपत्र, कक्षा– 4थी ~ हल करने हेतु महत्वपूर्ण संकेत।
कौशल आधारित लिखित प्रश्न खण्ड 'अ'
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कौशल आधारित लिखित प्रश्न खण्ड 'अ'
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कौशल आधारित लिखित प्रश्न खण्ड 'अ'
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कौशल आधारित लिखित प्रश्न खण्ड 'अ'
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टीप :- यहाँ पर विद्यार्थियों की सहायता के लिए केवल संकेत मात्र दिए गए हैं कि उन्हें किस तरह से प्रश्नों के उत्तर लिखना चाहिए। विद्यार्थी अपने अनुसार उदाहरण को देखते हुए उत्तर लिखें।
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भारत के तटीय मैदान का विस्तार प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणी तथा समुद्र तट के बीच में हुआ है। इन मैदानों का निर्माण 'सागर की तरंगों' द्वारा अपरदन तथा निक्षेपण और पठारी नदियों द्वारा लाए गए अवसादो के जमाव के कारण हुआ है। ये तटीय मैदान पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों घाटों की और फैले हुए हैं।
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टीप :– प्रश्नों की फोटो नीचे दी गई हैं।
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भारतीय प्रायद्वीपीय पठार की आकृति 'अनियमित त्रिभुजाकार' है। इस पठार का विस्तार उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वत श्रेणी तथा दिल्ली, पूर्व में राजमहल की पहाड़ियों, पश्चिम की ओर गिर पहाड़ियों, दक्षिण दिशा में इलायची (कार्डमम) पहाड़ियों तथा पूर्वोत्तर में शिलांग तथा कार्बी-ऐंगलोंग के पठार तक है। इस पठार की ऊंचाई 6,00 से 9,00 मीटर है। यह प्रायद्वीपीय पठार 'गोंडवाना लैंड' के टूटकर उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने के कारण बना था। यह प्राचीनतम भूभाग 'पैंजिया' का ही एक हिस्सा है। यह पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय एवं रूपांतरित शैलों से बना हुआ है। प्रायद्वीपीय पठार की ऊंचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती जाती है। इस वजह से प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश नदियों का प्रवाह पूर्व की ओर ही है। प्रायद्वीपीय पठार का ढाल उत्तर से पूर्व दिशा की ओर है। यह सोन, चंबल और दामोदर नदियों के प्रवाह से स्पष्ट हो जाता है। दक्षिणी भाग में पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर है, जोकि कृष्णा, महानदी, गोदावरी और कावेरी नदियों के प्रवाह से स्पष्ट हो जाता है। प्रायद्वीपीय नदियों में 2 नदियों के अपवाह हैं। ये नदियाँ हैं- नर्मदा एवं ताप्ती। इनके बहने की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है। तथा ये अंत में अरब सागर में गिरती हैं। ऐसा 'भ्रंश घाटी' से होकर बहने के कारण है। प्रायद्वीपीय पठार अनेक पठारों से मिलकर बना हुआ है, अतः इसे 'पठारों का पठार' भी कहते हैं। इसे हम चार भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं :
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Skill Based Written Question Section 'A'
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मरुस्थल ऐसा क्षेत्र होता है, जहाँ वार्षिक वर्षा 25 सेंटीमीटर या उससे भी कम मात्रा में होती है। यह मरुस्थलीय क्षेत्र हमारे 'भारत' में भी स्थित है। यह मरुस्थल भारत में अरावली पर्वतों के उत्तर-पश्चिम तथा पश्चिमी किनारों पर 'बालू के टिब्बों' से ढका हुआ है। इसे हम 'थार का मरुस्थल' के नाम से जानते हैं। यह एक तरंगित मरुस्थलीय मैदान है। थार के मरुस्थल का अधिकांश भाग 'राजस्थान' में स्थित है। इसके अलावा कुछ भाग गुजरात, हरियाणा तथा पंजाब में भी है। विश्व के समस्त मरुस्थलीय क्षेत्र में सर्वाधिक जन घनत्व हमारे थार के मरुस्थल में ही है।
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