यूरोप महाद्वीप के प्रमुख देश एवं उनकी राजधानियाँ | Europe's Main Countries And Their Capitals
यहाँ यूरोप महाद्वीप के प्रमुख देश एवं उनकी राजधानियाँ दी गई हैं। Europe's Main Countries And Their Capitals given here.
Read moreयहाँ यूरोप महाद्वीप के प्रमुख देश एवं उनकी राजधानियाँ दी गई हैं। Europe's Main Countries And Their Capitals given here.
Read moreजर्मनी यूरोप महाद्वीप के महत्वपूर्ण देशों में से एक है। इसके उत्तर-पश्चिम में उत्तर सागर स्थित है। जर्मनी के उत्तर-पूर्व में बाल्टिक सागर स्थित है।
Read moreफ्रांस क्षेत्रफल की दृष्टि से यूरोप महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश रूस है।
Read moreयूनाइटेड किंगडम यूरोप महाद्वीप का महत्वपूर्ण देश है। यह उत्तरी अटलांटिक महासागर के पूर्वी हिस्से में द्वीप समूह के रूप में स्थित है।
Read moreयूरोप महाद्वीप से बहुत सी नदियाँ प्रवाहित होती हैं। Many rivers flow through the continent of Europe.
Read moreभौगोलिक जानकारी के अंतर्गत यूरोप महाद्वीप के पर्वतों का विवरण यहां दिया गया है। study of Mountains of Europe.
Read moreयूरोप महाद्वीप को भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
Read moreयूरोप महाद्वीप क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का छठा सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसे 'प्रायद्वीपों का प्रायद्वीप' के नाम से जाना जाता है।
Read moreदक्षिण अमेरिका में लोगों की तीन प्रजातियाँ निवास करती हैं। ये निम्नलिखित हैं- 1. अमेरिकन इंडियन 2. अश्वेत 3. यूरोपियन।
Read moreदक्षिण अमेरिका महाद्वीप के महत्वपूर्ण देशों में ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, उरूग्वे, इक्वाडोर, पेरू आदि हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका के महत्वपूर्ण देश एवं उनकी राजधानियों में अर्जेंटीना इसकी राजधानी ब्यूनस आयर्स है।
Read moreदक्षिण अमेरिका महाद्वीप में मुख्य रूप से लौह अयस्क, बॉक्साइट, मैंगनीज, तांबा, टिन, नाइट्रेट, चांदी आदि महत्वपूर्ण संसाधनों के भंडार उपलब्ध हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका की महत्वपूर्ण झीलें, मरुस्थल एवं उच्चभूमि में टिटिकाका झील, अटाकामा मरुस्थल, बोलीविया उच्चभूमि आदि प्रमुख हैं।
Read moreप्राकृतिक संसाधन- दक्षिण अमेरिका के वनों में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण वृक्ष कार्नोबा, सिनकोना, महोगनी, वाल्सा, चिकिल आदि हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका के मैदानी क्षेत्रों में विभिन्न नदियाँ प्रवाहित होती हैं। ये नदियाँ दक्षिण अमेरिका के लिए उपहार स्वरूप हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका महाद्वीप का अधिकांश भाग पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में अवस्थित है। यह मध्य और उत्तर अमेरिका से पनामा नहर के द्वारा अलग होता है।
Read moreदक्षिण अमेरिका की प्रमुख खाड़ियाँ, प्रायद्वीप एवं जलसंधियाँ में ड्रेक पैसेज, मैगलन जलसंधि, वाल्देस प्रायद्वीप, ताइताव प्रायद्वीप आदि प्रमुख हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका के उन क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय जलवायवीय दशाएँ पाई जाती हैं, जो विषुवत रेखा के निकट अवस्थित हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका एवं कैरेबियन द्वीप समूह के प्रमुख देश एवं उनकी राजधानियाँ यहाँ दी गई हैं।
Read moreकैरेबियन द्वीप समूह अटलांटिक महासागर में स्थित है। यह मेक्सिको के पूर्व में और दक्षिण अमेरिका के उत्तर में स्थित है।
Read moreउत्तर अमेरिका में कनाडा क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है। इसके अलावा यह क्षेत्रफल की दृष्टि से रूस के पश्चात् विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
Read moreसंयुक्त राज्य अमेरिका की स्थापना 4 जुलाई 1776 ईस्वी में हुई थी। यहाँ की कुल जनसंख्या लगभग 326,625,791 है।
Read moreहिमालय पर्वत एक जटिल पर्वत तंत्र है। हिमालय उत्पत्ति के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं- 1. भू-सन्नति का सिद्धांत 2. प्लेट विवर्तनिकी
Read moreहिमालय पर्वत भारत का एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक खण्ड है। यह देश की आत्मा एवं शरीर दोनों है।
Read moreभारत के भू-आकृतिक प्रदेश के छः भाग- विशाल हिमालय, गंगा सिंधु मैदान, प्रायद्वीपीय प्रदेश, विशाल भारतीय मरुस्थल, तटीय मैदान, द्वीप समूह हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप के प्रमुख शहरों में शिकागो, न्यूयॉर्क, लॉस एंजेल्स, बर्मिंघम, मेक्सिको सिटी, सिएटल आदि हैं।
Read moreउत्तरी अमेरिका महाद्वीप में प्रायः वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। महाद्वीप के उत्तरी भाग के पश्चिमी तट पर पछुआ पवनों का प्रभाव रहता है।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की प्रमुख झीलों में सुपीरियर झील, मिशिगन झील, ओंटेरियो झील, ईरी झील, ग्रेट साल्ट लेक, ह्यूरान झील आदि सम्मिलित हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की प्रमुख जलसंधियों में पनामा नहर, बेरिंग जलसंधि, जुआन डी फ्यूका जल संधि, मोना पैसेज आदि प्रमुख हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की प्रमुख नदियों में रियो ग्रांडे नदी, कोलोरैडो नदी, सेंट लॉरेंस नदी, मिसिसिपी नदी, फ्रेज़र नदी, कोलंबिया नदी आदि हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की स्थलाकृतियाँ (भौतिक विशेषताएँ) में पश्चिमी कॉर्डिलेरा या पर्वत श्रेणी, मध्यवर्ती विशाल मैदान, अपलेसियन पर्वतीय क्षेत्र तथा पूर्वी उच्च भूमि कनाडियन शील्ड का अध्ययन करेंगे।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की खोज सन् 1492 ईस्वी में कोलंबस ने की थी। जनसंख्या की दृष्टि से यह चौथा बड़ा महाद्वीप है।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप में नैरोबी, बाब-अल-मंदेब जलसंधि, डरबन, फ़ूटा जालौन पठार, कोको त्रिभुज, साहेल क्षेत्र की जानकारी।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख मरुस्थलों में सहारा मरुस्थल,कालाहारी मरुस्थल, नूबियन मरुस्थल, नामीब मरुस्थल, लीबिया मरूभूमि, पूर्वी मरूभूमि, सम्मिलित हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप की प्रमुख झीलों में विक्टोरिया झील, तुर्काना झील (रूडोल्फ झील), ताना झील, तंगनाइका झील, नासिर झील प्रमुख हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप से संलग्न सागर, महासागर एवं खाड़ियाँ में लाल सागर, भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर (अंध महासागर), हिंद महासागर, वाल्विस की खाड़ीआदि सम्मिलित हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के देश एवं उनकी राजधानियों की जानकारी यहाँ प्रस्तुत की गई हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख देशों में दक्षिण अफ्रीका, मिस्र गणतंत्र, नाइजीरिया सम्मिलित हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के पर्वत एवं पठारों में माउंट किलिमंजारो, एटलस पर्वत,माउंट केन्या, इथियोपिया की उच्च भूमि आदि का वर्णन किया गया है।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से एशिया के पश्चात् विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है।
Read moreएशिया महाद्वीप के महत्वपूर्ण देशों का विवरण यहाँ दिया गया है। नेपाल, भूटान, म्यांमार, चीन,, अफगानिस्तान, बांग्लादेश आदि का वर्णन किया गया है।
Read moreएशिया के भारत के 'मॉसिनराम' में विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है। यहाँ पर वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनों के कारण होती है।
Read moreएशिया महाद्वीप की प्रमुख झीलों में टोनलेसप झील, पेगॉन्ग झील, बाल्खश झील, कैस्पियन झील, वान झील, बैकाल झील आदि सम्मिलित हैं।
Read moreएशिया महाद्वीप में गोबी मरुस्थल, तकला मकान मरुस्थल, रूब-अल-खाली मरुस्थल, मंचूरिया का मैदान, तुरान का मैदान, प्रमुख है।
Read moreएशिया महादीप की प्रमुख जलसंधियों में– बेरिंग जलसंधि, तत्तर जलसंधि, सुगारू जलसंधि, ला-पैरोज जलसंधि (सोया जलसंधि), ताइवान जलसंधि, सुशिमा जलसंधि आदि हैं।
Read moreएशिया महाद्वीप की प्रमुख नदियों में ब्रह्मपुत्र, गंगा, ह्वांगहो (Yellow River), जार्डन, चावो-फ्राया, आमू-दरिया, इरावदी, सालवीन, यांग्त्सीक्यांग, मेकांग, लीना, टिगरिस आदि हैं।
Read moreएशिया क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 44,579,000 वर्ग किलोमीटर है।
Read moreश्रीगुप्त- श्रीगुप्त ने भारतवर्ष में गुप्त वंश की स्थापना की थी। इन्होंने अपने शासनकाल में 'महाराज' की उपाधि धारण की थी।
Read moreतकनीकी उद्योग (Technology Industry) वह उद्योग जिसमें तकनीकी का प्रयोग कर विभिन्न मशीनों, यंत्रों तथा वस्तुओं आदि का निर्माण होता है।
Read moreवस्त्र उद्योग भारत के सबसे प्राचीन उद्योगों में से एक है। यह हमारे देश का सबसे व्यापक तथा संगठित उद्योग है।
Read moreभारत में लौह इस्पात उद्योग- टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) इसकी शुरुआत सन् 1907 ईस्वी में जमशेदपुर (साकची) में हुई थी।
Read moreभारत में रसायन उद्योग वस्त्र, लोह-इस्पात तथा इंजीनियरिंग उद्योगों के बाद चौथा बड़ा उद्योग समूह है।
Read moreभारत का औद्योगिक विकास दो खंडों में वर्गीकृत है– 1. स्वतंत्रता से पूर्व भारत में उद्योगों का विकास। 2. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में उद्योगों का विकास।
Read moreभारत के औद्योगिक प्रदेश को 8 प्रमुख तथा 13 लघु औद्योगिक प्रदेशों में विभक्त किया गया है।
Read moreवे आर्थिक क्रियाएँ जिसके अंतर्गत वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन तथा उनका संवर्धन किया जाता है, 'उद्योग' कहलाते हैं।
Read moreवह व्यवस्था या विधि जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति वस्तु या संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचाया जाता है, 'परिवहन' कहलाता है।
Read moreप्रकृति में उपस्थित ऐसे पदार्थ जिनके निश्चित भौतिक और रासायनिक गुणधर्म तथा रासायनिक संगठन होते हैं, 'खनिज' कहलाते हैं।
Read moreThe world's largest solar park is located in India. प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने एक बहुउद्देशीय सौर परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया।
Read moreस्रोतों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है- 1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत 2. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
Read more'कोयला' परम्परागत ऊर्जा का स्रोत है। यह एक अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। भारत में कोयले के चार प्रकार हैं।
Read moreभारत में बहुतायत मात्रा में खनिज पदार्थों का उत्पादन होता है। ताँबा, लोहा, बॉक्साइट, मैंगनीज, चूना पत्थर जैसे बहुत सारे खनिज पदार्थों के भंडार हैं।
Read moreपृथ्वी की ऊपरी परत 'मृदा' या 'मिट्टी' कहलाती है। यह धरती पर पौधों की वृद्धि हेतु प्राकृतिक स्रोत के रूप में खनिज लवण, पोषक तत्व तथा जल आदि देती है।
Read moreहमारे भारत को 'मसालों की धरती' के नाम से जाना जाता है। भारत विश्व में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
Read moreसोयाबीन, अरहर, धान, तिल, मूंग, उड़द, लोबिया, रागी, बाजरा, तंबाकू, कपास, मूंगफली आदि। ये वर्षा काल की फसलें कहलाती हैं। Barley, peas, wheat, gram, potato, mustard, flaxseed, lentils, rye etc. These are called winter crops.
Read more1. बाणसागर परियोजना (Bansagar Project)- यह सोन नदी की परियोजना है। इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्य प्रदेश राज्य आते हैं।
Read moreजल 'ऑक्सीजन' एवं 'हाइड्रोजन' का योगिक है। पृथ्वी के कुल भू-भाग के लगभग 71% भूभाग में जल है। जल वाले भू-भाग के अंतर्गत पृथ्वी के महासागर, सागर, झीलें, ग्लेशियर नदियाँ आदि आते हैं। Water is a valuable asset, because it is a life-long and basic necessity for humans and animals, trees, plants etc. Water is a natural resource. It should be used economically.
Read moreसुनामी की सर्वाधिक उत्पत्ति प्रशांत महासागर में होती है। अतः प्रशांत महासागर के तट क्षेत्रों में सुनामी के कारण जनधन के अत्यधिक हानि होती है। 26 दिसंबर सन् 2004 को हिंद महासागर में आए भूकंप की वजह से शक्तिशाली सुनामी उत्पन्न हुई। इस वजह से भारी जन - धन की हानि हुई। इसी प्रकार मार्च 2011 में प्रशांत महासागर के पश्चिम क्षेत्र में शक्तिशाली सुनामी आई थी। इस वजह से जापान में जन-धन की बहुत हानि हुई थी एवं अत्यधिक तबाही मच गई थी।
Read moreज्वार-भाटा सदैव समुद्री सतह पर उत्पन्न होता है। इसकी उत्पत्ति का कारण सूर्य तथा चंद्रमा के आकर्षण बल एवं पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल तथा अपकेंद्रण बल के प्रभाव के कारण होती है। समुद्री जल स्तर के ऊपर उठने को 'ज्वार' कहा जाता है एवं उसके नीचे गिरने को 'भाटा' कहा जाता है।
Read moreभूकंप (Earthquake) - पृथ्वी के अंतर्जाल तथा बहिर्जाल बलों की वजह से ऊर्जा निष्कासित होती है। इस प्रक्रिया के कारण तरंगे उत्पन्न होती हैं। ये सभी अलग-अलग दिशाओं में फैलकर पृथ्वी पर कंपन उत्पन्न करती हैं। इसे ही 'भूकंप' की संज्ञा दी जाती है। In practical language, the vibration of the earth due to natural phenomena is called earthquake.
Read moreअक्षांश रेखाएँ - पृथ्वी के केंद्र से विषुवत् रेखा को आधार मानकर मापी गई कोणीय दूरी को 'अक्षांश' कहा जाता है। समान अक्षांशों को मिलाने वाली रेखा को 'अक्षांश रेखा' कहा जाता है। यह विषुवत रेखा के समानांतर खींची गई क्षैतिज रेखाएँ होती हैं। प्रति 1 डिग्री की अक्षांशीय दूरी लगभग 111 किलोमीटर होती है। पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर इसका मान एक जैसा नहीं होता। इसकी लंबाई में परिवर्तन होता रहता है।
Read moreजलसंधि (Strait)– पानी का सकरा भाग जो दो बड़ी जल राशि जैसे समुद्रों तथा महासागरों को एक दूसरे से जोड़ती है जलसंधि कहते हैं।
Read moreऋतु परिवर्तन, ग्रहण, सुपरमून और विषुव क्या है ? पृथ्वी का सूर्य के चक्कर लगाने में Earth अलग-अलग स्थितियों में आती है।
Read moreघूर्णन गति (Rotational speed)- इस गति में पृथ्वी अपने अक्ष के सापेक्ष पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है। इसके अंतर्गत पृथ्वी लट्टू की भांति घूर्णन करती है। इससे 'परिभ्रमण' या 'दैनिक' गति भी कहा जाता है। Our Earth rotates from west to east at a speed of approximately 1,670 km per hour. Earth completes its rotation in 23 hours, 56 minutes and 4 seconds . For this reason, there are days and nights on the earth. Throughout the year, the days and nights are equal on the equator, because the angular inclination of the equator is always 0 ° relative to the Sun.
Read moreसंघनन के विभिन्न रूप- ओस, पाला, कुहरा, धुन्ध, बादल, वर्षा, हिमपात, ओले
Read moreउपग्रह (Satellite) - ये ऐसे अकाशीय पिंड होते हैं, जो अपने ग्रह की परिक्रमा करने के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं। प्रकृति द्वारा निर्मित उपग्रह 'प्राकृतिक उपग्रह' कहलाते हैं। इनमें अपनी स्वयं की चमक या प्रकाश नहीं होता है। यह भी ग्रहों की भांति सूर्य या तारों के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। हमारे सौरमंडल में सबसे अधिक उपग्रह वाला ग्रह बृहस्पति है। बुध एवं शुक्र ऐसे ग्रह हैं, जिनका कोई भी उपग्रह नहीं है। हमारी पृथ्वी का भी एक प्राकृतिक उपग्रह 'चंद्रमा' है।
Read moreनिर्माण की प्रक्रिया के आधार पर पर्वतों को चार भागों में बाँटा जा सकता है -
Read moreTypes of Rain- Sustainable Rain, Mountain Rain, Cyclonic Rain
Read moreवर्तमान में सौरमंडल में कुल 8 ग्रह हैं। इन्हें दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है -
Read moreसूर्य, पृथ्वी के समान ग्रहों, विभिन्न उपग्रहों एवं अन्य खगोलीय पिंडों का परिवार 'सौरमंडल' कहलाता है। सौरमंडल का प्रमुख सदस्य 'सूर्य' एक 'तारा' है। इसके चारों और आठ ग्रह चक्कर लगाते हैं। ये ग्रह क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण तथा वरुण हैं। ये ग्रह परवलयाकार मार्ग में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। सौरमंडल की संपूर्ण ऊर्जा का स्रोत सूर्य है।
Read moreब्रह्मांड में उपस्थित गैसों एवं धूल के कणों अथवा बादलों में गुरुत्वाकर्षण होता है। इस कारण से आकाशगंगा के केंद्र में नाभिकीय संलयन प्रारंभ हो जाता है। इससे हाइड्रोजन, हीलियम में परिवर्तित होने की वजह से नवीन तारे निर्मित होते हैं। इन्हीं बादलों को 'स्टेलर नर्सरी' कहते हैं। आकाशगंगा में हाइड्रोजन का बादल बहुत बड़ा होता है। इससे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से गैसीय पिंड सिकुड़ने लगता है। यह तारे के जन्म का प्रारंभिक रूप होता है। इसे 'आदि तारा' कहा जाता है।
Read moreब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में चार सिद्धांत प्रचलित हैं। इन सिद्धांतों में से एक 'बिग बैंग सिद्धांत' सर्वाधिक प्रचलित है एवं इसकी सबसे अधिक मान्यता है। इसे 'विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना' के नाम से भी जाना जाता है। 'जॉर्ज लेमैत्रे' नामक विद्वान ने इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया था। बाद में सन् 1967 ई. में 'रॉबर्ट वेगनर' ने इस सिद्धांत की व्याख्या की थी। विस्तारित ब्रह्मांड की परिकल्पना की पुष्टि 'डॉप्लर प्रभाव' से हो सकती है।
Read moreमृदा अपरदन के कारण (Reasons of soil erosion) :
Read moreमृदा से तात्पर्य पृथ्वी की ऊपरी परत से है, जिसे सामान्य भाषा में 'मिट्टी' कहा जाता है। मृदा हमारे लिए बहुत आवश्यक है। यह पौधों की वृद्धि हेतु प्राकृतिक स्रोत के रूप में पौधों को जल, खनिज लवण एवं अन्य पोषक तत्व प्रदान करती है। मृदा पृथ्वी की ऊपरी परत है, जो कि खनिज कणों और जीवाश्म का मिश्रण है। यह लाखों वर्षों में निर्मित हुई है। सामान्य रूप से मिट्टी की कई परतें होती हैं।
Read moreमृदा से तात्पर्य पृथ्वी की ऊपरी परत से है, जिसे सामान्य भाषा में 'मिट्टी' कहा जाता है। मृदा हमारे लिए बहुत आवश्यक है। यह पौधों की वृद्धि हेतु प्राकृतिक स्रोत के रूप में पौधों को जल, खनिज लवण एवं अन्य पोषक तत्व प्रदान करती है। मृदा पृथ्वी की ऊपरी परत है, जो कि खनिज कणों और जीवाश्म का मिश्रण है। यह लाखों वर्षों में निर्मित हुई है। सामान्य रूप से मिट्टी की कई परतें होती हैं।
Read moreभारत की जलवायु 'मानसूनी' है। जलवायु की दशाओं में समरूपता जलवायु के कारकों के संयुक्त प्रभाव से उत्पन्न होती हैं। वर्षा और तापमान जलवायु के दो महत्वपूर्ण कारक है। इन्हें जलवायु वर्गीकरण की पद्धतियों में निर्णायक कहा जाता है। जलवायु वर्गीकरण की कई पद्धतियाँ हैं। इन पद्धतियों में से 'कोपेन' का जलवायु वर्गीकरण प्रमुख है। इन्होंने जलवायु वर्गीकरण के लिए वर्षा और तापमान को मुख्य आधार बनाया था।
Read moreभारतवर्ष में जलवायु के आधार पर ऋतु को चार भागों में बांटा जा सकता है :
Read moreभारत की जलवायु 'मानसूनी' है। मानसून शब्द की उत्पत्ति 'मौसिम' शब्द से हुई है, जोकि 'अरबी भाषा' का शब्द है। मौसिम का अर्थ है 'पवनों की दिशा का ऋतुवत (मौसम के अनुरूप) प्रत्यावर्तन'। भारत में अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी से चलने वाली हवाओं की दिशा ऋतु परिवर्तन के साथ परिवर्तित हो जाती हैं। इसी वजह से भारतीय जलवायु को 'मानसूनी जलवायु' कहा जाता है। The climate of India is 'monsoon' . The word monsoon is derived from the word 'mausim' , which is the word for 'Arabic language' . Mausim means 'the seasonal (alternating season) alternation of wind direction' . In India, the direction of the winds from the Arabian Sea and the Bay of Bengal changes with the change of seasons. For this reason, the Indian climate is called 'monsoon climate' . Read more
Read moreचारों ओर से स्थलखंडों से गिरा जल का स्थिर भाग 'झील' कहलाता है। भारत में प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार की झीलें हैं। मानव निर्मित झील में बहुउद्देशीय परियोजनाओं के अंतर्गत निर्मित जलाशयों को सम्मिलित किया जाता है।
Read moreप्रायद्वीपीय भारत का पश्चिमी घाट एक प्रमुख 'जल विभाजक' है। यह घाट अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों को विभाजित करता है। भारत के प्रायद्वीपीय पठार का सामान्य ढाल पूर्व तथा दक्षिण पूर्व की ओर है। अतः प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलती हैं तथा अंत में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। ये नदियाँ डेल्टा भी बनाती है। प्रायद्वीपीय भारत की दो नदियाँ अपवाद हैं। ये हैं: नर्मदा और ताप्ती। यह दोनों बंगाल की खाड़ी में ना गिरकर अरब सागर में विसर्जित हो जाती हैं। इसका कारण यह है कि ये दोनों नदियाँ 'भ्रंश घाटी' से होकर बहती है तथा 'डेल्टा' के स्थान पर 'ज्वारनदमुख' का निर्माण करती हैं। नर्मदा और ताप्ती नदी घाटियों को 'पुरानी रिफ्ट घाटी' कहा जाता है। प्रायद्वीपीय भारत की द्रोणियाँ आकार में छोटी हैं। हिमालय के अपवाह तंत्र की अपेक्षा प्रायद्वीप का अपवाह तंत्र अधिक पुराना है। दक्षिण भारत में नदियाँ मुख्यतः वृक्ष आकार के अपवाह तंत्र का निर्माण करती है।
Read more1. भाखड़ा - नांगल परियोजना : यह परियोजना 'सतलुज' नदी पर चलाई गई है। इससे संबंधित राज्य राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश है।
Read moreअलकनंदा नदी और भागीरथी नदी देवप्रयाग में मिलने के पश्चात संयुक्त रुप से 'गंगा नदी' कही जाती है। अलकनंदा नदी का उद्गम सतोपथ हिमानी से हुआ है तथा भागीरथी नदी का उद्गम 'गोमुख' के निकट 'गंगोत्री हिमनद' से हुआ है। गंगा की प्रमुख सहायक नदियाँ - कोसी, गंडक, बाघमती, महानंदा, घाघरा, गोमती रामगंगा, यमुना, सोन, कर्मनाशा, टोंस हैं। अलकनंदा की सहायक नदियाँ पिंडार, रुद्रप्रयाग, धौली गंगा, विष्णु गंगा हैं। गंगा नदी के तट पर 'बद्रीनाथ' का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
Read moreसिंधु नदी: का उद्गम कैलाश पर्वत में वह 'बोखर चू' के पास एक हिमनद से हुआ है। इस नदी को तिब्बत में 'शेर मुख' या 'सिंगी खंबान' के नाम से जाना जाता है। सिंधु नदी उद्गम के बाद लद्दाख तथा जास्कर श्रेणियों के मध्य से प्रवाहित होकर 'दमचोक' के पास से भारत में प्रवेश करती है। यह लद्दाख तथा गिलगित से प्रवाहित होने के दौरान गार्ज का निर्माण करती है। इसके बाद यह दर्दिस्तान में चिल्लड़ के निकट पाकिस्तान में प्रवेश करती है। सिंधु नदी की लंबाई 28,80 किलोमीटर है। इसमें से भारत में सिंधु की कुल लंबाई 11,14 किलोमीटर है। सिंधु नदी की अनेक सहायक नदियाँ हैं। उदाहरण - गिलगित, श्योक, काबुल, शिगार, पंचनद, जास्कर इत्यादि। पंचनद के अंतर्गत पाँच नदियाँ आती हैं ये नदियाँ हैं - झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलुज। इसकी अन्य सहायक नदियाँ - कुर्रम, तोची, गोमल, संगर और विबोआ है। ये सभी नदियाँ सुलेमान पर्वत से निकलती है। पंचनद नदियाँ आपस में मिलकर पाकिस्तान में 'मीथनकोट' के पास सिंधु नदी से मिलती हैं। सिंधु नदी का मुहाना अरब सागर में है। यह नदी भारत में केवल लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र से प्रवाहित होती है। इस नदी के दाएँ तट पर भारत का लेह स्थित है। सिंधु नदी जल समझौते के अनुसार भारत विसर्जन क्षमता का केवल 20% भाग ही उपयोग कर सकता है। यह समझौता विभाजन के पश्चात सन् 1960 में हुआ था।
Read moreभारत के तटीय मैदान का विस्तार प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणी तथा समुद्र तट के बीच में हुआ है। इन मैदानों का निर्माण 'सागर की तरंगों' द्वारा अपरदन तथा निक्षेपण और पठारी नदियों द्वारा लाए गए अवसादो के जमाव के कारण हुआ है। ये तटीय मैदान पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों घाटों की और फैले हुए हैं।
Read moreभारतीय प्रायद्वीपीय पठार की आकृति 'अनियमित त्रिभुजाकार' है। इस पठार का विस्तार उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वत श्रेणी तथा दिल्ली, पूर्व में राजमहल की पहाड़ियों, पश्चिम की ओर गिर पहाड़ियों, दक्षिण दिशा में इलायची (कार्डमम) पहाड़ियों तथा पूर्वोत्तर में शिलांग तथा कार्बी-ऐंगलोंग के पठार तक है। इस पठार की ऊंचाई 6,00 से 9,00 मीटर है। यह प्रायद्वीपीय पठार 'गोंडवाना लैंड' के टूटकर उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने के कारण बना था। यह प्राचीनतम भूभाग 'पैंजिया' का ही एक हिस्सा है। यह पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय एवं रूपांतरित शैलों से बना हुआ है। प्रायद्वीपीय पठार की ऊंचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती जाती है। इस वजह से प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश नदियों का प्रवाह पूर्व की ओर ही है। प्रायद्वीपीय पठार का ढाल उत्तर से पूर्व दिशा की ओर है। यह सोन, चंबल और दामोदर नदियों के प्रवाह से स्पष्ट हो जाता है। दक्षिणी भाग में पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर है, जोकि कृष्णा, महानदी, गोदावरी और कावेरी नदियों के प्रवाह से स्पष्ट हो जाता है। प्रायद्वीपीय नदियों में 2 नदियों के अपवाह हैं। ये नदियाँ हैं- नर्मदा एवं ताप्ती। इनके बहने की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है। तथा ये अंत में अरब सागर में गिरती हैं। ऐसा 'भ्रंश घाटी' से होकर बहने के कारण है। प्रायद्वीपीय पठार अनेक पठारों से मिलकर बना हुआ है, अतः इसे 'पठारों का पठार' भी कहते हैं। इसे हम चार भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं :
Read moreमरुस्थल ऐसा क्षेत्र होता है, जहाँ वार्षिक वर्षा 25 सेंटीमीटर या उससे भी कम मात्रा में होती है। यह मरुस्थलीय क्षेत्र हमारे 'भारत' में भी स्थित है। यह मरुस्थल भारत में अरावली पर्वतों के उत्तर-पश्चिम तथा पश्चिमी किनारों पर 'बालू के टिब्बों' से ढका हुआ है। इसे हम 'थार का मरुस्थल' के नाम से जानते हैं। यह एक तरंगित मरुस्थलीय मैदान है। थार के मरुस्थल का अधिकांश भाग 'राजस्थान' में स्थित है। इसके अलावा कुछ भाग गुजरात, हरियाणा तथा पंजाब में भी है। विश्व के समस्त मरुस्थलीय क्षेत्र में सर्वाधिक जन घनत्व हमारे थार के मरुस्थल में ही है।
Read moreउत्तरी भारत के विशाल मैदान को 'गंगा, ब्रह्मपुत्र नदियों का मैदान' भी कहा जाता है। क्योंकि इस विशाल मैदान का निर्माण मुख्यतः सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदी तथा उनकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए अवसादो के निक्षेपण के द्वारा हुआ है। यह मैदान पश्चिम दिशा में 'सिंधु नदी' से लेकर पूर्व दिशा में 'ब्रह्मपुत्र नदी' तक विस्तृत है। यह विशाल मैदान समतल है और इसके उच्चावच में अंतर बहुत कम है। यह मैदान पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3,200 किलोमीटर लंबा है। इस मैदान की चौड़ाई लगभग 1,50 से 3,00 किलोमीटर है। यह मैदान समुद्र तल से लगभग 50 से 1,50 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मैदान कृषि कार्य के लिए बहुत उपयुक्त है। क्योंकि यहां की मिट्टी उपजाऊ है तथा यहां पर उपयुक्त जलवायु है एवं पर्याप्त जलापूर्ति होती है।
Read more'हिमालय' भारतीय भू-आकृतिक संरचना का एक अभिन्न अंग है। यह उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसकी लंबाई लगभग 2,500 किलोमीटर है। इसकी रचना 'टर्टियरी काल' के 'अल्पाइन भूसंचलन' के कारण हुई है। हिमालय पश्चिम में 400 किलोमीटर चौड़ा एवं पूर्व में 160 किलोमीटर चौड़ा है। यह पश्चिम में पूर्व की अपेक्षा अधिक चौड़ा है। इसका प्रमुख कारण अभिसारी सीमांत पर दबाव बल का अधिक होना है। पूर्व में दबाव बल अधिक होने के कारण पूर्व में स्थित पर्वतीय क्षेत्र पश्चिम की अपेक्षा अधिक ऊंचे हैं। इसी कारण 'माउंट एवरेस्ट' तथा 'कंचनजंगा' जैसी ऊंची पर्वत चोटियां पूर्वी हिमालय में स्थित है हिमालय पर्वत श्रेणियां भारत की ओर उत्तल तथा तिब्बत की और अवतल है।
Read moreनामकरण : हमारे देश भारत का नाम दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र 'भरत' के नाम पर रखा गया था। वे ऋग्वैदिक काल के प्रमुख जन थे। उनका उल्लेख वायु पुराण में मिलता है। भारत को 'आर्यावर्त' के नाम से भी जाना जाता है। इसे यह नाम इसीलिए प्राप्त हुआ क्योंकि यह प्राचीन काल में 'आर्यों' का निवास स्थल था। भारत को 'हिंद' या 'हिंदुस्तान' कहकर भी संबोधित किया जाता है। इसे यह नाम मध्यकालीन इतिहास लेखकों (फारसी, अरबी आदि) ने दिया था। यूनानी लेखकों ने भारत को 'इंडिया' कहा है। 'इंडिया' शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'इंडोई' से हुई है।
Read moreपृथ्वी का आकार एक 'नारंगी' के समान है, जो ध्रुवों पर चपटी है। कई करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी जलता हुआ आग का गोला थी।
Read moreखगोलीय पिंड- सूर्य, चंद्रमा तथा वे सभी वस्तुएं जो रात के समय आसमान में चमकते हैं, खगोलीय पिंड कहलाते हैं। कुछ खगोलीय पिंड बड़े आकार वाले तथा गर्म होते हैं। ये गैसों से बने होते हैं। इनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता है, जिसे वे बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते हैं। इन खगोलीय पिण्डों को तारा कहते हैं। तारे टिमटिमाते हैं। सूर्य भी एक तारा है।
Read more