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शिक्षण योजना के प्रमुख बिन्दु | formet of teaching plan in hindi

आकर्षक एवं सुनियोजित अध्यापन के लिए शिक्षण योजना तैयार करना आवश्यक होता है। यदि शिक्षक द्वारा शिक्षण योजना पूर्व में तैयार कर ली जाती है, इसके बाद कक्षा में जाकर अध्यापन किया जाता है तो निश्चित ही अध्यापन उत्कृष्ट होता है और विद्यार्थियों का अधिगम भी भली-भांति होता है।
एक शिक्षक को हिंदी विषय की शिक्षण योजना तैयार करने के लिए किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है, यहाँ पर आवश्यक सुझाव दिए गए हैं।
हिंदी विषय की शिक्षण योजना कक्षा 1 से 8 तक हमें किसी भी कक्षा के लिए बनानी हो एवं किसी भी पाठ की तैयार करनी हो तो हमें Learning Outcome based teacher handbook (सीखने के प्रतिफल आधारित शिक्षक हस्तपुस्तिका) में दिए गए 9 कॉलम में प्रत्येक कॉलम पर ध्यान देना होगा। ये 9 कॉलम है–
1.अवधारणा क्षेत्र
2. पाठ का नाम एवं क्रमांक
3. पेडागाजीकल प्रक्रिया, गतिविधियाँ, प्रस्तावना
4. शिक्षण अधिगम सामग्री (t.l.m.)
5. अनुमानित कालखंड
6. लर्निंग इंडिकेटर
7. मूल्यांकन हेतु गतिविधियों एवं प्रश्न
8. आओ करके सीखें, घर में एवं खेल-खेल में
9.लर्निंग आउटकम्स

यहाँ पर शिक्षण योजना के इस प्रारूप में किसी पाठ के किस भाग से कौनसी जानकारी लेना है क्रमशः बताया गया है।

1. अवधारणा क्षेत्र- इस खण्ड में कक्षा तीन, चार, पाँच एवं सात में आइए सीखे खंड से, कक्षा 6 में पाठ का केंद्रीय भाव एवं कक्षा 8 में आइए सीखें एवं पाठ परिचय से बातें समाहित करनी चाहिए। इसके अलावा सभी कक्षाओं के पाठों के भाषा अध्ययन खण्ड से अवधारणा क्षेत्र में जानकारियों का लेखन करना चाहिए।

2.पाठ का नाम एवं क्रमांक- इस खंड में जिस भी पाठ के लिए शिक्षण योजना बना रहे हो, उसका क्रमांक और उस पाठ का नाम लिखना होगा।

3. पेडागाजीकल प्रक्रिया, गतिविधियाँ एवं प्रस्तावना- इस खंड में पाठ की शुरुआत कैसे की जाए, पाठ को बेहतर तरीके से किस प्रकार बच्चों को समझाया जाए, इस हेतु हिंदी विषय में विधा के अनुसार गतिविधियों एवं प्रक्रियाओं का आयोजन किया जाता है। विधा के अनुसार हम प्रस्तावना का निर्माण कर सकते हैं। विधाएँ जैसे कहानी, एकांकी, निबंध, कविता, संस्मरण आदि के अनुसार हम विविध गतिविधियों एवं प्रस्तावना का निर्माण कर सकते हैं। इस हेतु पाठ का सारांश हमें ज्ञात होना चाहिए। यदि ज्ञात है तो शिक्षक अपनी योग्यता के अनुसार इसमें बातों को समाहित कर सकते हैं। जैसे कहानी है तो, कहानी हेतु गतिविधियों में लिखा जा सकता है कि कहानी का वाचन करें, कहानी में आगे क्या हुआ होगा? इसी तरह किसी कविता का अध्यापन कराने की बात हो तो, कविता का सस्वर वाचन करें, कठिन शब्दों का उच्चारण करें आदि। इस खण्ड में कुल मिलाकर उन समस्त गतिविधियों प्रक्रियाओं का लेखन किया जाना चाहिए जिनके माध्यम से हम अवधारणा को विद्यार्थियों को अच्छी तरह से समझा सके और वे पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दे सकने में समर्थ हों सकें।

4. शिक्षण अधिगम सामग्री t.l.m- इस खंड में हिंदी के पाठों को बेहतर एवं सहज ढंग से समझाने के उद्देश्य विविध शिक्षण अधिगम सामग्री को लिखा जाना चाहिए जैसे किसी कविता को समझा रहे हैं तो उस कविता का पोस्टर या कविता से संबंधित चित्र। इसी तरह से कहानी के अंतर्गत कहानी के पात्रों के चित्र और पाठ की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए संबंधित चित्र या पोस्टर होना चाहिए। भाषा सिखाने के उद्देश्य से शब्द कार्ड, चित्रकार्ड, अक्षर कार्ड, लोकोक्तियों एवं मुहावरों, शब्दों, प्रत्यय-उपसर्ग आदि के कार्डों के बारे में लिखना चाहिए।

5. अनुमानित कालखण्ड- इस खण्ड में हमें काल खण्डों की संख्या लिखना होता है। पाठ के आकार के अनुसार या पाठ में दी गई अवधारणाओं, उसमें दिए गए अभ्यास के अनुसार हम कितने काल खण्डों में उसे पूरा कर सकते हैं उनकी संख्या हमको लिखना चाहिए।


6. लर्निंग इंडीकेटर (सीखने के संकेतक)-
learning indicator में हमें उन बातों का समावेश करना होता है जिसमें हम को यह पता चलता है कि विद्यार्थी सीख रहे हैं। शिक्षक के अध्यापन के समय विद्यार्थियों की गतिविधियों, उनकी प्रतिक्रियाएँ, उनके वार्तालाप आदि बातों को लिखा लिखना चाहिए, जिससे कि हमें पता चले कि हम जो कुछ भी पढ़ा रहे हैं वे उसे ग्रहण कर रहे हैं। उदाहरण- यदि कोई कहानी की शिक्षण योजना तैयार कर रहे हैं तो लिख सकते हैं- विद्यार्थी कहानी पर चर्चा करेंगे, वे उसे अपने शब्दों में एक दूसरे को बताते हैं।

7. मूल्यांकन हेतु गतिविधियों एवं प्रश्न- शिक्षण योजना के इस खण्ड में हमें उन गतिविधियों एवं प्रश्नों का लेखन करना होता है, जिससे कि हम यह जाँच करते हैं कि विद्यार्थियों को जो कुछ भी हमने पढ़ाया या सिखाया है, वे उसे समझ चुके हैं। इस खण्ड में केवल प्रश्नों को ही नहीं अपितु विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को भी समाहित करना चाहिए, जिससे कि सहज तरीके से विद्यार्थियों का आकलन कर सकें और उन्हें पता भी न चले कि उनका मूल्यांकन हो रहा है।

8. आओ करके सीखे घर में, खेल खेल में- शिक्षण योजना के इस खण्ड में हम विद्यार्थियों को कुछ अतिरिक्त कार्य करने के लिए देने वाली बातों को लिखते हैं जिससे कि पढ़ाया हुआ अंश विद्यार्थी पुनरावलोकन कर सके और उसको आत्मसात कर सके। इस खंड में हम विद्यार्थियों को घर पर करने के लिए गृहकार्य स्वरूप अभ्यास के अंतर्गत कुछ प्रश्नों के अलावा गतिविधियों और भाषा अध्ययन के अंतर्गत बिंदुओं को दे सकते जिन्हें इस खण्ड में लेखन करना चाहिए।
9. लर्निंग इंडीकेटर (सीखने के प्रतिफल)- शिक्षण योजना के इस अंतिम खण्ड में हम पाठ के उन बिंदुओं को समाहित कर सकते हैं, जिसका कि विद्यार्थियों को ज्ञान कराना हमारा लक्ष्य होता है। किसी पाठ में प्रारंभ में आइए सीखें में जो बिन्दु दिए गए होते हैं, उन बिंदुओं में दी गई जानकारी को हम इसमें लिख सकते हैं। कहने का आशय यह है कि प्रत्येक पाठ को पढ़ाने का हमारा एक उद्देश्य होता है, हम यह चाहते हैं कि विद्यार्थी इस पाठ से अमुक-अमुक बातों को सीख ले और आत्मसात करके उसे अपने जीवन में उतारे साथ ही सामने आने वाली समस्याओं का अपने ज्ञान के आधार पर समाधान कर सके। उदाहरण- कोई कहानी है तो हम लिख सकते हैं- विद्यार्थी कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिख सकता है। कोई कविता है तो हम लिख सकते हैं। कविता का हाव-भाव के साथ सस्वर वाचन कर सकता है या कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिख पाता है। इस तरह से हम इस खंड में जानकारियों को अंकित कर सकते हैं।
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