यूरोप महाद्वीप के प्रमुख देश एवं उनकी राजधानियाँ | Europe's Main Countries And Their Capitals
यहाँ यूरोप महाद्वीप के प्रमुख देश एवं उनकी राजधानियाँ दी गई हैं। Europe's Main Countries And Their Capitals given here.
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Read moreजर्मनी यूरोप महाद्वीप के महत्वपूर्ण देशों में से एक है। इसके उत्तर-पश्चिम में उत्तर सागर स्थित है। जर्मनी के उत्तर-पूर्व में बाल्टिक सागर स्थित है।
Read moreफ्रांस क्षेत्रफल की दृष्टि से यूरोप महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश रूस है।
Read moreयूनाइटेड किंगडम यूरोप महाद्वीप का महत्वपूर्ण देश है। यह उत्तरी अटलांटिक महासागर के पूर्वी हिस्से में द्वीप समूह के रूप में स्थित है।
Read moreयूरोप महाद्वीप से बहुत सी नदियाँ प्रवाहित होती हैं। Many rivers flow through the continent of Europe.
Read moreभौगोलिक जानकारी के अंतर्गत यूरोप महाद्वीप के पर्वतों का विवरण यहां दिया गया है। study of Mountains of Europe.
Read moreयूरोप महाद्वीप को भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
Read moreयूरोप महाद्वीप क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का छठा सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसे 'प्रायद्वीपों का प्रायद्वीप' के नाम से जाना जाता है।
Read moreदक्षिण अमेरिका में लोगों की तीन प्रजातियाँ निवास करती हैं। ये निम्नलिखित हैं- 1. अमेरिकन इंडियन 2. अश्वेत 3. यूरोपियन।
Read moreदक्षिण अमेरिका महाद्वीप के महत्वपूर्ण देशों में ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, उरूग्वे, इक्वाडोर, पेरू आदि हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका के महत्वपूर्ण देश एवं उनकी राजधानियों में अर्जेंटीना इसकी राजधानी ब्यूनस आयर्स है।
Read moreदक्षिण अमेरिका महाद्वीप में मुख्य रूप से लौह अयस्क, बॉक्साइट, मैंगनीज, तांबा, टिन, नाइट्रेट, चांदी आदि महत्वपूर्ण संसाधनों के भंडार उपलब्ध हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका की महत्वपूर्ण झीलें, मरुस्थल एवं उच्चभूमि में टिटिकाका झील, अटाकामा मरुस्थल, बोलीविया उच्चभूमि आदि प्रमुख हैं।
Read moreप्राकृतिक संसाधन- दक्षिण अमेरिका के वनों में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण वृक्ष कार्नोबा, सिनकोना, महोगनी, वाल्सा, चिकिल आदि हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका के मैदानी क्षेत्रों में विभिन्न नदियाँ प्रवाहित होती हैं। ये नदियाँ दक्षिण अमेरिका के लिए उपहार स्वरूप हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका महाद्वीप का अधिकांश भाग पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में अवस्थित है। यह मध्य और उत्तर अमेरिका से पनामा नहर के द्वारा अलग होता है।
Read moreदक्षिण अमेरिका की प्रमुख खाड़ियाँ, प्रायद्वीप एवं जलसंधियाँ में ड्रेक पैसेज, मैगलन जलसंधि, वाल्देस प्रायद्वीप, ताइताव प्रायद्वीप आदि प्रमुख हैं।
Read moreदक्षिण अमेरिका के उन क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय जलवायवीय दशाएँ पाई जाती हैं, जो विषुवत रेखा के निकट अवस्थित हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका एवं कैरेबियन द्वीप समूह के प्रमुख देश एवं उनकी राजधानियाँ यहाँ दी गई हैं।
Read moreकैरेबियन द्वीप समूह अटलांटिक महासागर में स्थित है। यह मेक्सिको के पूर्व में और दक्षिण अमेरिका के उत्तर में स्थित है।
Read moreउत्तर अमेरिका में कनाडा क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है। इसके अलावा यह क्षेत्रफल की दृष्टि से रूस के पश्चात् विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
Read moreसंयुक्त राज्य अमेरिका की स्थापना 4 जुलाई 1776 ईस्वी में हुई थी। यहाँ की कुल जनसंख्या लगभग 326,625,791 है।
Read moreहिमालय पर्वत एक जटिल पर्वत तंत्र है। हिमालय उत्पत्ति के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं- 1. भू-सन्नति का सिद्धांत 2. प्लेट विवर्तनिकी
Read moreहिमालय पर्वत भारत का एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक खण्ड है। यह देश की आत्मा एवं शरीर दोनों है।
Read moreभारत के भू-आकृतिक प्रदेश के छः भाग- विशाल हिमालय, गंगा सिंधु मैदान, प्रायद्वीपीय प्रदेश, विशाल भारतीय मरुस्थल, तटीय मैदान, द्वीप समूह हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप के प्रमुख शहरों में शिकागो, न्यूयॉर्क, लॉस एंजेल्स, बर्मिंघम, मेक्सिको सिटी, सिएटल आदि हैं।
Read moreउत्तरी अमेरिका महाद्वीप में प्रायः वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। महाद्वीप के उत्तरी भाग के पश्चिमी तट पर पछुआ पवनों का प्रभाव रहता है।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की प्रमुख झीलों में सुपीरियर झील, मिशिगन झील, ओंटेरियो झील, ईरी झील, ग्रेट साल्ट लेक, ह्यूरान झील आदि सम्मिलित हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की प्रमुख जलसंधियों में पनामा नहर, बेरिंग जलसंधि, जुआन डी फ्यूका जल संधि, मोना पैसेज आदि प्रमुख हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की प्रमुख नदियों में रियो ग्रांडे नदी, कोलोरैडो नदी, सेंट लॉरेंस नदी, मिसिसिपी नदी, फ्रेज़र नदी, कोलंबिया नदी आदि हैं।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की स्थलाकृतियाँ (भौतिक विशेषताएँ) में पश्चिमी कॉर्डिलेरा या पर्वत श्रेणी, मध्यवर्ती विशाल मैदान, अपलेसियन पर्वतीय क्षेत्र तथा पूर्वी उच्च भूमि कनाडियन शील्ड का अध्ययन करेंगे।
Read moreउत्तर अमेरिका महाद्वीप की खोज सन् 1492 ईस्वी में कोलंबस ने की थी। जनसंख्या की दृष्टि से यह चौथा बड़ा महाद्वीप है।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप में नैरोबी, बाब-अल-मंदेब जलसंधि, डरबन, फ़ूटा जालौन पठार, कोको त्रिभुज, साहेल क्षेत्र की जानकारी।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख मरुस्थलों में सहारा मरुस्थल,कालाहारी मरुस्थल, नूबियन मरुस्थल, नामीब मरुस्थल, लीबिया मरूभूमि, पूर्वी मरूभूमि, सम्मिलित हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप की प्रमुख झीलों में विक्टोरिया झील, तुर्काना झील (रूडोल्फ झील), ताना झील, तंगनाइका झील, नासिर झील प्रमुख हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप से संलग्न सागर, महासागर एवं खाड़ियाँ में लाल सागर, भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर (अंध महासागर), हिंद महासागर, वाल्विस की खाड़ीआदि सम्मिलित हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के देश एवं उनकी राजधानियों की जानकारी यहाँ प्रस्तुत की गई हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख देशों में दक्षिण अफ्रीका, मिस्र गणतंत्र, नाइजीरिया सम्मिलित हैं।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप के पर्वत एवं पठारों में माउंट किलिमंजारो, एटलस पर्वत,माउंट केन्या, इथियोपिया की उच्च भूमि आदि का वर्णन किया गया है।
Read moreअफ्रीका महाद्वीप क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से एशिया के पश्चात् विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है।
Read moreएशिया महाद्वीप के महत्वपूर्ण देशों का विवरण यहाँ दिया गया है। नेपाल, भूटान, म्यांमार, चीन,, अफगानिस्तान, बांग्लादेश आदि का वर्णन किया गया है।
Read moreएशिया के भारत के 'मॉसिनराम' में विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है। यहाँ पर वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनों के कारण होती है।
Read moreएशिया महाद्वीप की प्रमुख झीलों में टोनलेसप झील, पेगॉन्ग झील, बाल्खश झील, कैस्पियन झील, वान झील, बैकाल झील आदि सम्मिलित हैं।
Read moreएशिया महाद्वीप में गोबी मरुस्थल, तकला मकान मरुस्थल, रूब-अल-खाली मरुस्थल, मंचूरिया का मैदान, तुरान का मैदान, प्रमुख है।
Read moreएशिया महादीप की प्रमुख जलसंधियों में– बेरिंग जलसंधि, तत्तर जलसंधि, सुगारू जलसंधि, ला-पैरोज जलसंधि (सोया जलसंधि), ताइवान जलसंधि, सुशिमा जलसंधि आदि हैं।
Read moreएशिया महाद्वीप की प्रमुख नदियों में ब्रह्मपुत्र, गंगा, ह्वांगहो (Yellow River), जार्डन, चावो-फ्राया, आमू-दरिया, इरावदी, सालवीन, यांग्त्सीक्यांग, मेकांग, लीना, टिगरिस आदि हैं।
Read moreएशिया क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 44,579,000 वर्ग किलोमीटर है।
Read moreश्रीगुप्त- श्रीगुप्त ने भारतवर्ष में गुप्त वंश की स्थापना की थी। इन्होंने अपने शासनकाल में 'महाराज' की उपाधि धारण की थी।
Read moreतकनीकी उद्योग (Technology Industry) वह उद्योग जिसमें तकनीकी का प्रयोग कर विभिन्न मशीनों, यंत्रों तथा वस्तुओं आदि का निर्माण होता है।
Read moreवस्त्र उद्योग भारत के सबसे प्राचीन उद्योगों में से एक है। यह हमारे देश का सबसे व्यापक तथा संगठित उद्योग है।
Read moreभारत में लौह इस्पात उद्योग- टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO) इसकी शुरुआत सन् 1907 ईस्वी में जमशेदपुर (साकची) में हुई थी।
Read moreभारत में रसायन उद्योग वस्त्र, लोह-इस्पात तथा इंजीनियरिंग उद्योगों के बाद चौथा बड़ा उद्योग समूह है।
Read moreभारत का औद्योगिक विकास दो खंडों में वर्गीकृत है– 1. स्वतंत्रता से पूर्व भारत में उद्योगों का विकास। 2. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में उद्योगों का विकास।
Read moreभारत के औद्योगिक प्रदेश को 8 प्रमुख तथा 13 लघु औद्योगिक प्रदेशों में विभक्त किया गया है।
Read moreवे आर्थिक क्रियाएँ जिसके अंतर्गत वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन तथा उनका संवर्धन किया जाता है, 'उद्योग' कहलाते हैं।
Read moreवह व्यवस्था या विधि जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति वस्तु या संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचाया जाता है, 'परिवहन' कहलाता है।
Read moreप्रकृति में उपस्थित ऐसे पदार्थ जिनके निश्चित भौतिक और रासायनिक गुणधर्म तथा रासायनिक संगठन होते हैं, 'खनिज' कहलाते हैं।
Read moreThe world's largest solar park is located in India. प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने एक बहुउद्देशीय सौर परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया।
Read moreस्रोतों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है- 1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत 2. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
Read more'कोयला' परम्परागत ऊर्जा का स्रोत है। यह एक अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। भारत में कोयले के चार प्रकार हैं।
Read moreभारत में बहुतायत मात्रा में खनिज पदार्थों का उत्पादन होता है। ताँबा, लोहा, बॉक्साइट, मैंगनीज, चूना पत्थर जैसे बहुत सारे खनिज पदार्थों के भंडार हैं।
Read moreपृथ्वी की ऊपरी परत 'मृदा' या 'मिट्टी' कहलाती है। यह धरती पर पौधों की वृद्धि हेतु प्राकृतिक स्रोत के रूप में खनिज लवण, पोषक तत्व तथा जल आदि देती है।
Read moreहमारे भारत को 'मसालों की धरती' के नाम से जाना जाता है। भारत विश्व में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
Read moreसोयाबीन, अरहर, धान, तिल, मूंग, उड़द, लोबिया, रागी, बाजरा, तंबाकू, कपास, मूंगफली आदि। ये वर्षा काल की फसलें कहलाती हैं। Barley, peas, wheat, gram, potato, mustard, flaxseed, lentils, rye etc. These are called winter crops.
Read more1. बाणसागर परियोजना (Bansagar Project)- यह सोन नदी की परियोजना है। इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्य प्रदेश राज्य आते हैं।
It is a project of Son River . It covers the states of Uttar Pradesh, Bihar and Madhya Pradesh.
Read moreजल 'ऑक्सीजन' एवं 'हाइड्रोजन' का योगिक है। पृथ्वी के कुल भू-भाग के लगभग 71% भूभाग में जल है। जल वाले भू-भाग के अंतर्गत पृथ्वी के महासागर, सागर, झीलें, ग्लेशियर नदियाँ आदि आते हैं। Water is a valuable asset, because it is a life-long and basic necessity for humans and animals, trees, plants etc. Water is a natural resource. It should be used economically.
Read moreसुनामी की सर्वाधिक उत्पत्ति प्रशांत महासागर में होती है। अतः प्रशांत महासागर के तट क्षेत्रों में सुनामी के कारण जनधन के अत्यधिक हानि होती है। 26 दिसंबर सन् 2004 को हिंद महासागर में आए भूकंप की वजह से शक्तिशाली सुनामी उत्पन्न हुई। इस वजह से भारी जन - धन की हानि हुई। इसी प्रकार मार्च 2011 में प्रशांत महासागर के पश्चिम क्षेत्र में शक्तिशाली सुनामी आई थी। इस वजह से जापान में जन-धन की बहुत हानि हुई थी एवं अत्यधिक तबाही मच गई थी।
Read moreज्वार-भाटा सदैव समुद्री सतह पर उत्पन्न होता है। इसकी उत्पत्ति का कारण सूर्य तथा चंद्रमा के आकर्षण बल एवं पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल तथा अपकेंद्रण बल के प्रभाव के कारण होती है। समुद्री जल स्तर के ऊपर उठने को 'ज्वार' कहा जाता है एवं उसके नीचे गिरने को 'भाटा' कहा जाता है।
Read moreभूकंप (Earthquake) - पृथ्वी के अंतर्जाल तथा बहिर्जाल बलों की वजह से ऊर्जा निष्कासित होती है। इस प्रक्रिया के कारण तरंगे उत्पन्न होती हैं। ये सभी अलग-अलग दिशाओं में फैलकर पृथ्वी पर कंपन उत्पन्न करती हैं। इसे ही 'भूकंप' की संज्ञा दी जाती है। In practical language, the vibration of the earth due to natural phenomena is called earthquake.
Read moreअक्षांश रेखाएँ - पृथ्वी के केंद्र से विषुवत् रेखा को आधार मानकर मापी गई कोणीय दूरी को 'अक्षांश' कहा जाता है। समान अक्षांशों को मिलाने वाली रेखा को 'अक्षांश रेखा' कहा जाता है। यह विषुवत रेखा के समानांतर खींची गई क्षैतिज रेखाएँ होती हैं। प्रति 1 डिग्री की अक्षांशीय दूरी लगभग 111 किलोमीटर होती है। पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर इसका मान एक जैसा नहीं होता। इसकी लंबाई में परिवर्तन होता रहता है।
जलसंधि (Strait)– पानी का सकरा भाग जो दो बड़ी जल राशि जैसे समुद्रों तथा महासागरों को एक दूसरे से जोड़ती है जलसंधि कहते हैं।
The narrow section of water that connects two large water masses like the oceans and oceans is called the strait.
विश्व की प्रमुख जलसंधियाँ (Major Straits of the World)–
जलसंधि ......................जोड़ने वाले सागर/
Straits........................ महासागर का नाम
पाक जलडमरू संधि – मन्नार एवं बंगाल की
..............................................खाडी।
ऋतु परिवर्तन, ग्रहण, सुपरमून और विषुव क्या है ? पृथ्वी का सूर्य के चक्कर लगाने में Earth अलग-अलग स्थितियों में आती है।
Read moreघूर्णन गति (Rotational speed)- इस गति में पृथ्वी अपने अक्ष के सापेक्ष पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है। इसके अंतर्गत पृथ्वी लट्टू की भांति घूर्णन करती है। इससे 'परिभ्रमण' या 'दैनिक' गति भी कहा जाता है। Our Earth rotates from west to east at a speed of approximately 1,670 km per hour. Earth completes its rotation in 23 hours, 56 minutes and 4 seconds . For this reason, there are days and nights on the earth. Throughout the year, the days and nights are equal on the equator, because the angular inclination of the equator is always 0 ° relative to the Sun.
Read moreसंघनन के विभिन्न रूप- ओस, पाला, कुहरा, धुन्ध, बादल, वर्षा, हिमपात, ओले
Various forms of condensation - dew, frost, fog, haze, cloud, rain, snow, hail
जलवाष्प के पुनः द्रव्य या ठोस रूप में बदलने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं। वाष्प से बादल बन कर जल और हिम की वर्षा होती है। इसी प्रकार वाष्प से ओस, पाला, कुहरा, धुन्ध और ओले भी बनते हैं।
The process of converting water vapor into liquid or solid form is called condensation. Water and snow rain as a cloud from vapor. Similarly, dew, frost, mist, haze and hail are also formed from the vapor.
Read moreउपग्रह (Satellite) - ये ऐसे अकाशीय पिंड होते हैं, जो अपने ग्रह की परिक्रमा करने के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं। प्रकृति द्वारा निर्मित उपग्रह 'प्राकृतिक उपग्रह' कहलाते हैं। इनमें अपनी स्वयं की चमक या प्रकाश नहीं होता है। यह भी ग्रहों की भांति सूर्य या तारों के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। हमारे सौरमंडल में सबसे अधिक उपग्रह वाला ग्रह बृहस्पति है। बुध एवं शुक्र ऐसे ग्रह हैं, जिनका कोई भी उपग्रह नहीं है। हमारी पृथ्वी का भी एक प्राकृतिक उपग्रह 'चंद्रमा' है।
Read moreनिर्माण की प्रक्रिया के आधार पर पर्वतों को चार भागों में बाँटा जा सकता है -
Depending on the process of construction, the mountains can be divided into four parts -
1. वलित पर्वत - अभिसरण प्लेट सीमांत पर प्लेटो की टक्कर के कारण अधिक संपीडन बल के कारण वलन की प्रक्रिया से बनी स्थलाकृति को 'वलित पर्वत' अथवा 'मोड़ दार पर्वत' कहा जाता है।
उदाहरण - हिमालय, एंडीज, रॉकी पर्वत श्रृंखलाएँ आदि। संपूर्ण विश्व की सबसे ऊँची चोटियाँ इन्हीं नवीन मोड़दार पर्वतों में पाई जाती हैं।
पृथ्वी की स्थलाकृतियाँ – पर्वत, पठार एवं मैदान
Topography of the earth– Mountain, Plateau and Plain
Types of Rain- Sustainable Rain, Mountain Rain, Cyclonic Rain
आर्द्रता के विभिन्न रूपों में वर्षा हमारे लिए सबसे उपयोगी और महत्वपूर्ण है। पृथ्वी पर तीन प्रकार की वर्षा होती है- 1. संवहनीय वर्षा 2. पर्वतीय वर्षा 3.चक्रवाती वर्षा।
Rainfall is most useful and important for us in various forms of humidity. There are three types of rainfall on the Earth- 1. Sustainable Rain 2. Mountain Rain 3. Cyclonic Rain.
Read moreवर्तमान में सौरमंडल में कुल 8 ग्रह हैं। इन्हें दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है -
There are currently 8 planets in the solar system. They can be classified into two parts -
1. आंतरिक या पार्थिव ग्रह - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल।
2. बाह्या या जोवियन ग्रह - बृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण।
सूर्य, पृथ्वी के समान ग्रहों, विभिन्न उपग्रहों एवं अन्य खगोलीय पिंडों का परिवार 'सौरमंडल' कहलाता है। सौरमंडल का प्रमुख सदस्य 'सूर्य' एक 'तारा' है। इसके चारों और आठ ग्रह चक्कर लगाते हैं। ये ग्रह क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण तथा वरुण हैं। ये ग्रह परवलयाकार मार्ग में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। सौरमंडल की संपूर्ण ऊर्जा का स्रोत सूर्य है।
Units to Measurement astronomical distances:
एक प्रकाश वर्ष = 9.46 × (10 की घात 12) किलोमीटर।
2. Parsec:
Read moreब्रह्मांड में उपस्थित गैसों एवं धूल के कणों अथवा बादलों में गुरुत्वाकर्षण होता है। इस कारण से आकाशगंगा के केंद्र में नाभिकीय संलयन प्रारंभ हो जाता है। इससे हाइड्रोजन, हीलियम में परिवर्तित होने की वजह से नवीन तारे निर्मित होते हैं। इन्हीं बादलों को 'स्टेलर नर्सरी' कहते हैं। आकाशगंगा में हाइड्रोजन का बादल बहुत बड़ा होता है। इससे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से गैसीय पिंड सिकुड़ने लगता है। यह तारे के जन्म का प्रारंभिक रूप होता है। इसे 'आदि तारा' कहा जाता है।
Read moreब्रह्मांड की उत्पत्ति के संदर्भ में चार सिद्धांत प्रचलित हैं। इन सिद्धांतों में से एक 'बिग बैंग सिद्धांत' सर्वाधिक प्रचलित है एवं इसकी सबसे अधिक मान्यता है। इसे 'विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना' के नाम से भी जाना जाता है। 'जॉर्ज लेमैत्रे' नामक विद्वान ने इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया था। बाद में सन् 1967 ई. में 'रॉबर्ट वेगनर' ने इस सिद्धांत की व्याख्या की थी। विस्तारित ब्रह्मांड की परिकल्पना की पुष्टि 'डॉप्लर प्रभाव' से हो सकती है।
Read moreमृदा अपरदन के कारण (Reasons of soil erosion) :
जलीय अपरदन (Water erosion) : जल से मिट्टी के घुलनशील पदार्थों को घोलकर एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए परिवहित किया जाना जलीय अपरदन कहलाता है।
निर्वनीकरण (Deforestation) : अत्यधिक पशुचारण (Excessive pastoralism) : वायु अपरदन (Wind erosion) : हिमानी अपरदन (Glacial erosion) : भूस्खलन अपरदन (Landslide erosion) : झूम कृषि (Jhoom Agriculture) :
मृदा अपरदन से बचाव के उपाय (Measures to prevent soil erosion) :
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मृदा से तात्पर्य पृथ्वी की ऊपरी परत से है, जिसे सामान्य भाषा में 'मिट्टी' कहा जाता है। मृदा हमारे लिए बहुत आवश्यक है। यह पौधों की वृद्धि हेतु प्राकृतिक स्रोत के रूप में पौधों को जल, खनिज लवण एवं अन्य पोषक तत्व प्रदान करती है। मृदा पृथ्वी की ऊपरी परत है, जो कि खनिज कणों और जीवाश्म का मिश्रण है। यह लाखों वर्षों में निर्मित हुई है। सामान्य रूप से मिट्टी की कई परतें होती हैं।
Soil refers to the upper layer of the earth, which in common language is called 'soil' . Soil is very important for us. It provides water, mineral salts and other nutrients to the plants as a natural source for plant growth. Soil is the upper layer of the Earth, which is a mixture of mineral particles and fossils. It has been produced in millions of years. There are normally many layers of soil.
मिट्टी की सबसे ऊपरी परत फसलों की पैदावार हेतु बहुत उपयोगी होती है। यह परत छोटे मिट्टी के कण, सड़े - गले पेड़ पौधे तथा जीवों के अवशेष होते हैं। मृदा भूपर्पटी की सतह पर निर्मित होती है। यह शैलों के अपक्षयण व विघटन से उत्पन्न भू पदार्थों, मलवा तथा विविध जैव सामग्रियों का मिश्रण है।
The topmost layer of soil is very useful for crop production. This layer is the remnants of small soil particles, rotten tree plants and organisms. Soil is formed on the surface of the earth's crust. It is a mixture of soil, debris and various bio-materials produced by weathering and dissolution of rocks.
मृदा की दूसरी परत महीन कणों की होती है। इन महीन कणों के अंतर्गत चिकनी मिट्टी इत्यादि आते हैं। मृदा की इस दूसरी परत के नीचे विखंडित चट्टाने तथा मिट्टी का मिश्रण होता है और इसके नीचे अविखंडित सख्त चट्टाने पाई जाती हैं। ये कुछ सेंटीमीटर से लेकर कई मीटर तक भी हो सकती हैं।
Read moreमृदा से तात्पर्य पृथ्वी की ऊपरी परत से है, जिसे सामान्य भाषा में 'मिट्टी' कहा जाता है। मृदा हमारे लिए बहुत आवश्यक है। यह पौधों की वृद्धि हेतु प्राकृतिक स्रोत के रूप में पौधों को जल, खनिज लवण एवं अन्य पोषक तत्व प्रदान करती है। मृदा पृथ्वी की ऊपरी परत है, जो कि खनिज कणों और जीवाश्म का मिश्रण है। यह लाखों वर्षों में निर्मित हुई है। सामान्य रूप से मिट्टी की कई परतें होती हैं।
Soil refers to the upper layer of the earth, which in common language is called 'soil' . Soil is very important for us. It provides water, mineral salts and other nutrients to the plants as a natural source for plant growth. Soil is the upper layer of the Earth, which is a mixture of mineral particles and fossils. It has been produced in millions of years. There are normally many layers of soil.
मिट्टी की सबसे ऊपरी परत फसलों की पैदावार हेतु बहुत उपयोगी होती है। यह परत छोटे मिट्टी के कण, सड़े - गले पेड़ पौधे तथा जीवों के अवशेष होते हैं। मृदा भूपर्पटी की सतह पर निर्मित होती है। यह शैलों के अपक्षयण व विघटन से उत्पन्न भू पदार्थों, मलवा तथा विविध जैव सामग्रियों का मिश्रण है।
The topmost layer of soil is very useful for crop production. This layer is the remnants of small soil particles, rotten tree plants and organisms. Soil is formed on the surface of the earth's crust. It is a mixture of soil, debris and various bio-materials produced by weathering and dissolution of rocks.
मृदा की दूसरी परत महीन कणों की होती है। इन महीन कणों के अंतर्गत चिकनी मिट्टी इत्यादि आते हैं। मृदा की इस दूसरी परत के नीचे विखंडित चट्टाने तथा मिट्टी का मिश्रण होता है और इसके नीचे अविखंडित सख्त चट्टाने पाई जाती हैं। ये कुछ सेंटीमीटर से लेकर कई मीटर तक भी हो सकती हैं।
Read moreभारत की जलवायु 'मानसूनी' है। जलवायु की दशाओं में समरूपता जलवायु के कारकों के संयुक्त प्रभाव से उत्पन्न होती हैं। वर्षा और तापमान जलवायु के दो महत्वपूर्ण कारक है। इन्हें जलवायु वर्गीकरण की पद्धतियों में निर्णायक कहा जाता है। जलवायु वर्गीकरण की कई पद्धतियाँ हैं। इन पद्धतियों में से 'कोपेन' का जलवायु वर्गीकरण प्रमुख है। इन्होंने जलवायु वर्गीकरण के लिए वर्षा और तापमान को मुख्य आधार बनाया था।
The climate of India is 'monsoon' . Symmetries in climatic conditions arise from the combined effect of climatic factors. Rainfall and temperature are two important factors of climate. These are said to be decisive in the methods of climate classification. There are several methods of climate classification. Climate classification of 'Köppen' is prominent among these systems. They made rainfall and temperature the mainstay for climate classification.
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
(Major factors affecting India's climate)
स्थिति एवं उच्चावच से संबंधित कारक (Factors related to condition and relief) :
समुद्र तट से दूरी :– भारत के विस्तृत तटीय प्रदेशों में समकारी जलवायु पाई जाती है, क्योंकि भारत की तटीय रेखा लंबी है। इसके विपरीत भारत के आंतरिक भाग समुद्र के समकारी प्रभाव से वंचित रह जाते हैं। इन स्थानों पर विषमकारी जलवायु पाई जाती है।
Read moreभारतवर्ष में जलवायु के आधार पर ऋतु को चार भागों में बांटा जा सकता है :
1. ग्रीष्म ऋतु : यह ऋतु 15 मार्च से 15 जून तक चलती है।
2. वर्षा ऋतु : यह ऋतु 15 जून से 15 सितंबर तक चलती है।
3. शरद ऋतु : यह ऋतु 15 सितंबर से 15 दिसंबर तक चलती है।
4. शीत ऋतु : यह ऋतु 15 दिसंबर से 15 मार्च तक चलती है।
Depending on the climate in India, the seasons can be divided into four parts:
1. Summer season This season runs from 15 March to 15 June.
2. Rain Season: This season lasts from 15 June to 15 September.
3. Autumn: This season runs from 15 September to 15 December.
4. Winter season: This season runs from 15 December to 15 March.
Read moreभारत की जलवायु 'मानसूनी' है। मानसून शब्द की उत्पत्ति 'मौसिम' शब्द से हुई है, जोकि 'अरबी भाषा' का शब्द है। मौसिम का अर्थ है 'पवनों की दिशा का ऋतुवत (मौसम के अनुरूप) प्रत्यावर्तन'। भारत में अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी से चलने वाली हवाओं की दिशा ऋतु परिवर्तन के साथ परिवर्तित हो जाती हैं। इसी वजह से भारतीय जलवायु को 'मानसूनी जलवायु' कहा जाता है।
The climate of India is 'monsoon' . The word monsoon is derived from the word 'mausim' , which is the word for 'Arabic language' . Mausim means 'the seasonal (alternating season) alternation of wind direction' . In India, the direction of the winds from the Arabian Sea and the Bay of Bengal changes with the change of seasons. For this reason, the Indian climate is called 'monsoon climate' .
चारों ओर से स्थलखंडों से गिरा जल का स्थिर भाग 'झील' कहलाता है। भारत में प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों प्रकार की झीलें हैं। मानव निर्मित झील में बहुउद्देशीय परियोजनाओं के अंतर्गत निर्मित जलाशयों को सम्मिलित किया जाता है।
The stagnant part of the water that has fallen from the terrain around it is called 'lake' . India has both natural and man-made types of lakes. Man-made lake consists of reservoirs constructed under multipurpose projects.
प्राकृतिक झीलों को कई भागों में बाँटा जा सकता है: (Natural lakes can be divided into several parts)
लैगून अथवा अनूप झीलें : समुद्र जल का कुछ भाग बालू, चट्टान या प्रवाल भित्ति के द्वारा मुख्य जल से अलग होने पर लैगून अथवा अनूप झील का निर्माण होता है। कुछ झीलें सँकरे जलीय भागों द्वारा समुद्र से जुड़ी हुई हैं, उदाहरण - पुलीकट, चिल्का, अष्टमुदी, वेंबनाद आदि।
Lagoon or Anoop lakes: Lagoon or Anoop lake would have been formed when some part of the sea water was separated from the main water by sand, rock or coral reef. is. Some lakes are connected to the sea by narrow aquatic parts, Examples - Pulicat, Chilka, Ashtamudi, Vembanad etc.
Read moreप्रायद्वीपीय भारत का पश्चिमी घाट एक प्रमुख 'जल विभाजक' है। यह घाट अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों को विभाजित करता है। भारत के प्रायद्वीपीय पठार का सामान्य ढाल पूर्व तथा दक्षिण पूर्व की ओर है। अतः प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलती हैं तथा अंत में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। ये नदियाँ डेल्टा भी बनाती है। प्रायद्वीपीय भारत की दो नदियाँ अपवाद हैं। ये हैं: नर्मदा और ताप्ती। यह दोनों बंगाल की खाड़ी में ना गिरकर अरब सागर में विसर्जित हो जाती हैं। इसका कारण यह है कि ये दोनों नदियाँ 'भ्रंश घाटी' से होकर बहती है तथा 'डेल्टा' के स्थान पर 'ज्वारनदमुख' का निर्माण करती हैं। नर्मदा और ताप्ती नदी घाटियों को 'पुरानी रिफ्ट घाटी' कहा जाता है। प्रायद्वीपीय भारत की द्रोणियाँ आकार में छोटी हैं। हिमालय के अपवाह तंत्र की अपेक्षा प्रायद्वीप का अपवाह तंत्र अधिक पुराना है। दक्षिण भारत में नदियाँ मुख्यतः वृक्ष आकार के अपवाह तंत्र का निर्माण करती है।
Bay of Bengal and major rivers falling in Arabian Sea:
1. Rivers falling in the Arabian Sea: Narmada, Tapti, Periyar, Sabarmati, Mahi, Mandvi, Zuari etc.
2. Rivers falling in the Bay of Bengal: Godavari, Krishna, Mahanadi, Kaveri, Swarnarekha, Brahmani, Vaitarani etc.
Read more1. भाखड़ा - नांगल परियोजना : यह परियोजना 'सतलुज' नदी पर चलाई गई है। इससे संबंधित राज्य राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश है।
1. Bhakra - Nangal Project : This project is run on the 'Sutlej' river . The respective states are Rajasthan, Punjab, Haryana and Himachal Pradesh.
2. इंदिरा गाँधी परियोजना : यह परियोजना सतलुज और व्यास नदी से संबंधित है। इसके अंतर्गत पंजाब, राजस्थान और हरियाणा राज्य आते हैं।
2. Indira Gandhi Project : This project is related to Sutlej and Vyas River . It covers the states of Punjab, Rajasthan and Haryana.
Read moreअलकनंदा नदी और भागीरथी नदी देवप्रयाग में मिलने के पश्चात संयुक्त रुप से 'गंगा नदी' कही जाती है। अलकनंदा नदी का उद्गम सतोपथ हिमानी से हुआ है तथा भागीरथी नदी का उद्गम 'गोमुख' के निकट 'गंगोत्री हिमनद' से हुआ है। गंगा की प्रमुख सहायक नदियाँ - कोसी, गंडक, बाघमती, महानंदा, घाघरा, गोमती रामगंगा, यमुना, सोन, कर्मनाशा, टोंस हैं। अलकनंदा की सहायक नदियाँ पिंडार, रुद्रप्रयाग, धौली गंगा, विष्णु गंगा हैं। गंगा नदी के तट पर 'बद्रीनाथ' का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
After joining the Alaknanda river and Bhagirathi river Devprayag , it is jointly called 'Ganges River' . The Alaknanda River originates from the Satopath Himani and the Bhagirathi River originates from the 'Gangotri Glacier' near the 'Gomukh' . The major tributaries of Ganga are - Kosi, Gandak, Baghmati, Mahananda, Ghaghra, Gomti Ramganga, Yamuna, Sone, Karmanasha, Tons . The tributaries of Alaknanda are Pindar, Rudraprayag, Dhauli Ganga, Vishnu Ganga . The famous temple of 'Badrinath' is situated on the banks of river Ganges.
Read moreसिंधु नदी: का उद्गम कैलाश पर्वत में वह 'बोखर चू' के पास एक हिमनद से हुआ है। इस नदी को तिब्बत में 'शेर मुख' या 'सिंगी खंबान' के नाम से जाना जाता है। सिंधु नदी उद्गम के बाद लद्दाख तथा जास्कर श्रेणियों के मध्य से प्रवाहित होकर 'दमचोक' के पास से भारत में प्रवेश करती है। यह लद्दाख तथा गिलगित से प्रवाहित होने के दौरान गार्ज का निर्माण करती है। इसके बाद यह दर्दिस्तान में चिल्लड़ के निकट पाकिस्तान में प्रवेश करती है। सिंधु नदी की लंबाई 28,80 किलोमीटर है। इसमें से भारत में सिंधु की कुल लंबाई 11,14 किलोमीटर है। सिंधु नदी की अनेक सहायक नदियाँ हैं। उदाहरण - गिलगित, श्योक, काबुल, शिगार, पंचनद, जास्कर इत्यादि। पंचनद के अंतर्गत पाँच नदियाँ आती हैं ये नदियाँ हैं - झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलुज। इसकी अन्य सहायक नदियाँ - कुर्रम, तोची, गोमल, संगर और विबोआ है। ये सभी नदियाँ सुलेमान पर्वत से निकलती है। पंचनद नदियाँ आपस में मिलकर पाकिस्तान में 'मीथनकोट' के पास सिंधु नदी से मिलती हैं। सिंधु नदी का मुहाना अरब सागर में है। यह नदी भारत में केवल लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र से प्रवाहित होती है। इस नदी के दाएँ तट पर भारत का लेह स्थित है। सिंधु नदी जल समझौते के अनुसार भारत विसर्जन क्षमता का केवल 20% भाग ही उपयोग कर सकता है। यह समझौता विभाजन के पश्चात सन् 1960 में हुआ था।
Indus River : It originates from a glacier near 'Bokhar Chu' in Mount Kailash. This river is known as 'Sher Mukh' or 'Singi Khamban' in Tibet. The Indus River flows through the Ladakh and Zaskar ranges after its origin and enters India from near 'Damchok' . It forms a guard while flowing through Ladakh and Gilgit. It then enters Pakistan near Chillad in Dardistan. The Indus River has a length of 28,80 km . Of this, the Indus has a total length of 11,14 km in India. The Indus River has several tributaries. Examples - Gilgit, Shyok, Kabul, Shigar, Panchanad, Zaskar etc. Five rivers fall under Panchanad . These rivers are - Jhelum, Chenab, Ravi, Vyas, Sutlej . Its other tributaries are - Kurram, Tochi, Gomal, Sangar and Viboa . All these rivers originate from Mount Sulaiman . The Panchanad rivers join the Indus river near 'Methankot' in Pakistan. The mouth of the Indus River is in the Arabian Sea. This river flows only from the Union Territory of Ladakh in India. Leh of India is situated on the right bank of this river. According to the Indus River Water Agreement, India can use only 20% of the immersion capacity. The agreement was signed after partition in 1960 .
Read moreभारत के तटीय मैदान का विस्तार प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणी तथा समुद्र तट के बीच में हुआ है। इन मैदानों का निर्माण 'सागर की तरंगों' द्वारा अपरदन तथा निक्षेपण और पठारी नदियों द्वारा लाए गए अवसादो के जमाव के कारण हुआ है। ये तटीय मैदान पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों घाटों की और फैले हुए हैं।
India's coastal plain extends between the peninsular mountain range and the coastline. These plains are formed by erosion and deposition by 'ocean waves' and deposition of sediments brought by the plateau rivers. These coastal plains are spread over both the Eastern and Western Ghats.
इन तटीय मैदानों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है :
1. पश्चिमी तटीय मैदान
2. पूर्वी तटीय मैदान।
These coastal plains can be classified into two parts:
1. Western Coastal Plain
2. Eastern Coastal Plain.
भारतीय प्रायद्वीपीय पठार की आकृति 'अनियमित त्रिभुजाकार' है। इस पठार का विस्तार उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वत श्रेणी तथा दिल्ली, पूर्व में राजमहल की पहाड़ियों, पश्चिम की ओर गिर पहाड़ियों, दक्षिण दिशा में इलायची (कार्डमम) पहाड़ियों तथा पूर्वोत्तर में शिलांग तथा कार्बी-ऐंगलोंग के पठार तक है। इस पठार की ऊंचाई 6,00 से 9,00 मीटर है। यह प्रायद्वीपीय पठार 'गोंडवाना लैंड' के टूटकर उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने के कारण बना था। यह प्राचीनतम भूभाग 'पैंजिया' का ही एक हिस्सा है। यह पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय एवं रूपांतरित शैलों से बना हुआ है। प्रायद्वीपीय पठार की ऊंचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती जाती है। इस वजह से प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश नदियों का प्रवाह पूर्व की ओर ही है। प्रायद्वीपीय पठार का ढाल उत्तर से पूर्व दिशा की ओर है। यह सोन, चंबल और दामोदर नदियों के प्रवाह से स्पष्ट हो जाता है। दक्षिणी भाग में पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर है, जोकि कृष्णा, महानदी, गोदावरी और कावेरी नदियों के प्रवाह से स्पष्ट हो जाता है। प्रायद्वीपीय नदियों में 2 नदियों के अपवाह हैं। ये नदियाँ हैं- नर्मदा एवं ताप्ती। इनके बहने की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है। तथा ये अंत में अरब सागर में गिरती हैं। ऐसा 'भ्रंश घाटी' से होकर बहने के कारण है। प्रायद्वीपीय पठार अनेक पठारों से मिलकर बना हुआ है, अतः इसे 'पठारों का पठार' भी कहते हैं। इसे हम चार भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं :
1. केंद्रीय उच्च भूमि,
2. प्रायद्वीपीय पठार,
3. उत्तर-पूर्वी पठार,
4. दक्कन का पठार।
The shape of the Indian peninsular plateau is 'irregular triangular' . The plateau extends to the Aravalli mountain range in the north-west and Delhi, the Rajmahal hills to the east, the Gir hills to the west, the cardamom hills to the south and the plateau of Shillong and Karbi-Anglong in the northeast. The altitude of this plateau is 6,00 to 9,00 m . This peninsular plateau was formed by the breaking of the 'Gondwana Land' and flowing northwards. This ancient landmass is a part of 'Pangea' . It is made up of old crystalline, igneous and metamorphic rocks. The height of the peninsular plateau decreases from west to east. Because of this, most of the rivers in the peninsular plateau flow eastward. The slope of the peninsular plateau is from north to east. This is made clear by the flow of the Sone, Chambal and Damodar rivers. In the southern part, the slope of the plateau is from west to east direction, which is evident by the flow of Krishna, Mahanadi, Godavari and Kaveri rivers. The peninsular rivers have runoff of 2 rivers. These rivers are Narmada and Tapti . The direction of their flow is from east to west. And finally they fall into the Arabian Sea. This is due to the flow through the 'fault valley' . The peninsular plateau consists of several plateaus, so it is also known as 'plateau of plateaus' . We can classify it into four parts:
1. Central Highland,
2. Peninsular Plateau,
3. North-Eastern Plateau,
4. Deccan Plateau.
मरुस्थल ऐसा क्षेत्र होता है, जहाँ वार्षिक वर्षा 25 सेंटीमीटर या उससे भी कम मात्रा में होती है। यह मरुस्थलीय क्षेत्र हमारे 'भारत' में भी स्थित है। यह मरुस्थल भारत में अरावली पर्वतों के उत्तर-पश्चिम तथा पश्चिमी किनारों पर 'बालू के टिब्बों' से ढका हुआ है। इसे हम 'थार का मरुस्थल' के नाम से जानते हैं। यह एक तरंगित मरुस्थलीय मैदान है। थार के मरुस्थल का अधिकांश भाग 'राजस्थान' में स्थित है। इसके अलावा कुछ भाग गुजरात, हरियाणा तथा पंजाब में भी है। विश्व के समस्त मरुस्थलीय क्षेत्र में सर्वाधिक जन घनत्व हमारे थार के मरुस्थल में ही है।
Desert is an area where annual rainfall is 25 cm or less. This desert region is also located in our 'India' . This desert is covered with 'sand dunes' on the northwest and west sides of the Aravalli mountains in India. We know it by the name of 'Thar Desert' . It is a undulating desert plain. Most of the Thar Desert is located in 'Rajasthan' . Apart from this, some parts are also in Gujarat, Haryana and Punjab . The highest mass density in the entire desert region of the world is in the desert of our Thar.
Read moreउत्तरी भारत के विशाल मैदान को 'गंगा, ब्रह्मपुत्र नदियों का मैदान' भी कहा जाता है। क्योंकि इस विशाल मैदान का निर्माण मुख्यतः सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदी तथा उनकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए अवसादो के निक्षेपण के द्वारा हुआ है। यह मैदान पश्चिम दिशा में 'सिंधु नदी' से लेकर पूर्व दिशा में 'ब्रह्मपुत्र नदी' तक विस्तृत है। यह विशाल मैदान समतल है और इसके उच्चावच में अंतर बहुत कम है। यह मैदान पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3,200 किलोमीटर लंबा है। इस मैदान की चौड़ाई लगभग 1,50 से 3,00 किलोमीटर है। यह मैदान समुद्र तल से लगभग 50 से 1,50 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मैदान कृषि कार्य के लिए बहुत उपयुक्त है। क्योंकि यहां की मिट्टी उपजाऊ है तथा यहां पर उपयुक्त जलवायु है एवं पर्याप्त जलापूर्ति होती है।
The vast plains of northern India are also known as 'Ganges, the plains of the Brahmaputra rivers' . Because this vast plain is formed mainly by the deposition of sediments brought by the Indus, Ganga and Brahmaputra river and their tributaries. This plain extends from the 'Indus River' in the west to the 'Brahmaputra River' in the east. This vast plain is flat and the difference in its relief is very small. The plain is approximately 3,200 kilometers long from east to west. The width of this plain is approximately 1,50 to 3,00 km . This plain is situated at an altitude of 50 to 1,50 m above sea level. This field is very suitable for agricultural work. Because the soil here is fertile and has suitable climate and adequate water supply.
Read more'हिमालय' भारतीय भू-आकृतिक संरचना का एक अभिन्न अंग है। यह उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसकी लंबाई लगभग 2,500 किलोमीटर है। इसकी रचना 'टर्टियरी काल' के 'अल्पाइन भूसंचलन' के कारण हुई है। हिमालय पश्चिम में 400 किलोमीटर चौड़ा एवं पूर्व में 160 किलोमीटर चौड़ा है। यह पश्चिम में पूर्व की अपेक्षा अधिक चौड़ा है। इसका प्रमुख कारण अभिसारी सीमांत पर दबाव बल का अधिक होना है। पूर्व में दबाव बल अधिक होने के कारण पूर्व में स्थित पर्वतीय क्षेत्र पश्चिम की अपेक्षा अधिक ऊंचे हैं। इसी कारण 'माउंट एवरेस्ट' तथा 'कंचनजंगा' जैसी ऊंची पर्वत चोटियां पूर्वी हिमालय में स्थित है हिमालय पर्वत श्रेणियां भारत की ओर उत्तल तथा तिब्बत की और अवतल है।
'Himalaya' is an integral part of the Indian geomorphic structure. It extends from Jammu and Kashmir in the northwest to Arunachal Pradesh in the east. Its length is approximately 2,500 km . It is formed by 'Alpine Landscape' of 'Tertiary Period' . The Himalayas are 400 kilometers wide in the west and 160 kilometers wide in the east. It is wider in the west than in the east. The main reason for this is the high pressure force on the convergent frontier. Due to the high pressure force in the east, the mountainous regions in the east are higher than in the west. That is why the high mountain peaks like 'Mount Everest' and 'Kanchenjunga' are located in the eastern Himalayas, the Himalayan ranges are convex towards India and further concave of Tibet.
Read moreनामकरण : हमारे देश भारत का नाम दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र 'भरत' के नाम पर रखा गया था। वे ऋग्वैदिक काल के प्रमुख जन थे। उनका उल्लेख वायु पुराण में मिलता है। भारत को 'आर्यावर्त' के नाम से भी जाना जाता है। इसे यह नाम इसीलिए प्राप्त हुआ क्योंकि यह प्राचीन काल में 'आर्यों' का निवास स्थल था। भारत को 'हिंद' या 'हिंदुस्तान' कहकर भी संबोधित किया जाता है। इसे यह नाम मध्यकालीन इतिहास लेखकों (फारसी, अरबी आदि) ने दिया था। यूनानी लेखकों ने भारत को 'इंडिया' कहा है। 'इंडिया' शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'इंडोई' से हुई है।
Nomenclature: Our country India was named after Dushyant and Shakuntala's son 'Bharat' . He was a prominent figure of the Rigvedic period. He is mentioned in the Vayu Purana. India is also known as 'Aryavarta' . It received this name because it was the abode of 'Aryans' in ancient times. India is also referred to as 'Hind' or 'Hindustan' . It was given this name by medieval history writers (Persian, Arabic etc.). Greek writers call India 'India' . The word 'India' is derived from the Greek word 'indoi' .
Read moreपृथ्वी का आकार एक 'नारंगी' के समान है, जो ध्रुवों पर चपटी है। कई करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी जलता हुआ आग का गोला थी।
Read moreखगोलीय पिंड- सूर्य, चंद्रमा तथा वे सभी वस्तुएं जो रात के समय आसमान में चमकते हैं, खगोलीय पिंड कहलाते हैं। कुछ खगोलीय पिंड बड़े आकार वाले तथा गर्म होते हैं। ये गैसों से बने होते हैं। इनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता है, जिसे वे बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते हैं। इन खगोलीय पिण्डों को तारा कहते हैं। तारे टिमटिमाते हैं। सूर्य भी एक तारा है।
नक्षत्र मण्डल:- रात्रि में आसमान की ओर देखते समय हम तारों की विभिन्न समूहों द्वारा बनाई गई विविध आकृतियों को देख सकते हैं। ये नक्षत्र मंडल कहलाते हैं। उदाहरण- बिग बियर, स्माल बियर या सप्त ऋषि (सात तारों का समूह) आदि।
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