28 जुलाई विशेष World Hepatitis Day (विश्व हेपेटाइटिस दिवस) || हेपेटाइटिस की स्थिति || हेपेटाइटिस से बचने के 10 उपाय
विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day)― "विश्व हेपेटाइटिस दिवस" हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता प्रसारित करने और लोगों को शीघ्र निदान, रोकथाम और हेपेटाइटिस के उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है।
मनाने का उद्देश्य― हेपेटाइटिस के उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने हेतु प्रतिवर्ष इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य देशों ने वायरल हैपेटाइटिस के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तथा वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरे के तौर पर हेपेटाइटिस को समाप्त करने के लक्ष्य के साथ उन्मूलन रणनीति अपनाने का संकल्प लिया है।
हेपेटाइटिस रोग की स्थिति एवं भारत― राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (NCDC) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार― वर्ष 2012 में भारत में, हैपेटाइटिस वायरल के लगभग 1,19,000 मामले देखने में आये। हैपेटाइटिस से पीड़ित रोगियों की संख्या वर्ष 2013 में बढ़कर 2,90,000 तक पहुँच गयी।
भारत में, हेपेटाइटिस के महामारी वाले रूप का सबसे महत्वपूर्ण कारण हेपेटाइटिस E वायरस (HEV) है तथा हेपेटाइटिस A वायरस (HAV) बच्चों के बीच होना सामान्य बात है। गर्भावस्था के दौरान, हेपेटाइटिस का सबसे आम कारण एचईवी है। जब संक्रमित व्यक्ति अपनी पुरानी हेपेटाइटिस की अवस्था से अनभिज्ञ होता हैं, तब वह दूसरे व्यक्तियों को लंबे समय तक इस रोग के प्रसारण के माध्यम से संक्रमित कर सकता हैं, जिसके परिणामस्वरूप जीर्ण यकृत रोग, यकृत की विफलता और कैंसर हो सकता है।
हेपेटाइटिस रोग के प्रकार― हेपेटाइटिस संक्रामक बीमारियों का समूह है, जिसे हेपेटाइटिस A, हेपेटाइटिस B, हेपेटाइटिस C, हेपेटाइटिस D एवं हेपेटाइटिस E के रूप में जाना जाता है। हेपेटाइटिस एक संक्रामक रोग है, किंतु यह ये छूने मात्र से ही नहीं फैलता है। अतः परिवार के किसी सदस्य को यह रोग होने पर उसे बिल्कुल अलग रखने की ज़रूरत नहीं होती है, हालांकि परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमणमुक्त रखने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतना आवश्यक है।
हेपेटाइटिस रोग के लक्षण― हेपेटाइटिस यकृत की सूजन है, जिसे यकृत के ऊतकों में सूजन वाली कोशिकाओं की मौजूदगी से पहचाना जाता हैं। हेपेटाइटिस एक्यूट और क्रोनिक दो प्रकार का होता हैं। एक्यूट हेपेटाइटिस की अवस्था तब होती हैं, जब यह कम से कम छह महीनों तक रहता है। क्रोनिक हैपेटाइटिस की अवस्था तब होती हैं, जब यह लंबे समय तक बना रहता है। हेपेटाइटिस सीमित या लक्षण रहित हो सकता हैं, लेकिन यह प्राय: पीलिया, आहार में अरुचि (भूख में कमी) और अस्वस्थता/बेचैनी पैदा करता हैं।
हेपेटाइटिस रोग के कारण, रोकथाम एवं टीके की उपलब्धता―
1. Hepatitis A (HV)
हेपेटाइटिस रोग के कारण― दूषित आहार और पानी।
हेपेटाइटिस रोग की रोकथाम ― स्वस्थ पौष्टिक आहार का सेवन करें तथा साफ़ और शुद्ध पानी पीना चाहिए।
हेपेटाइटिस के टीके की उपलब्धता― एचएवी टीके की उपलब्ध हैं।
2. Hepatitis B (HBV)
हेपेटाइटिस रोग के कारण― संक्रमित माता से उसके नवजात शिशु में प्रसारित हो सकता है।
हेपेटाइटिस रोग की रोकथाम ― गर्भावस्था के दौरान अपना परीक्षण ज़रूर करवाना चाहिए।
हेपेटाइटिस के टीके की उपलब्धता― एचबीवी टीके की उपलब्ध हैं।
3. Hepatitis C (HCV)
हेपेटाइटिस रोग के कारण― संक्रमित रक्त और सुईयों द्वारा हो सकता है।
हेपेटाइटिस रोग की रोकथाम ― स्टेरल/जीवाणुरहित सुई एवं चिकित्सा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
हेपेटाइटिस के टीके की उपलब्धता― कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
4. Hepatitis D (HDV)
हेपेटाइटिस रोग के कारण― संक्रमित रक्त और संक्रमित सुईयों से हो सकता है। इस तरह संक्रमित माता से उसके नवजात शिशु में प्रसारित हो सकता है।
हेपेटाइटिस रोग की रोकथाम ― गर्भावस्था के दौरान अपना परीक्षण अवश्य करवाना चाहिए।
हेपेटाइटिस के टीके की उपलब्धता― एचडीवी के लिए एचबीवी टीका उपलब्ध है।
5. Hepatitis E (HEV)
हेपेटाइटिस रोग के कारण― दूषित पानी है।
हेपेटाइटिस रोग की रोकथाम ― शुद्ध पानी पीना चाहिए।
हेपेटाइटिस के टीके की उपलब्धता― कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
हेपेटाइटिस रोग से बचाव के 10 उपाय― हेपेटाइटिस से बचाव हेतु प्रत्येक व्यक्ति को अपना प्रतिरक्षण अवश्य करवाना चाहिए। बचाव एवं उत्तम स्वास्थ्य हेतु इन 10 सावधानियाँ एवं उपायों को करना श्रेयस्कर होगा।
1. अल्कोहल, तंबाकू और मनोरंजक दवाओं से बचाव करना चाहिए।
2. कम वसा और उच्च रेशा युक्त आहार का सेवन करना चाहिए।
3. अपने आहार में फल, सब्जियों और साबुत अनाजों को शामिल करना चाहिए।
4. संतृप्त वसा से बचना चाहिए।
5. हाइड्रेटेड रहें तथा अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
6. अधिक नमक युक्त अथवा नमकीन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
7. स्वस्थ कैलोरी के सेवन को बनाए रखें। यह शरीर के वज़न को संतुलित रखता है।
8. सिके सीलबंद आहार, सोडा, केक और कुकीज जैसे मीठे आहार का सेवन करने से बचना चाहिए।
9. कम कैलोरी और गैर दुग्ध उत्पादों का सेवन करना चाहिए।
10. तनाव से बचेना चाहिए।
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