Bauddh dharm history in hindi | गौतम बुद्ध का जीवन परिचय
Buddhism was founded by 'Gautama Buddha' . The word Buddha literally means 'luminous' or 'awakened' .
महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय इस प्रकार है-
Life introduction of Mahatma Buddha is as follows -
1. जन्म- महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में हुआ था।
Birth - Mahatma Buddha was born in 563 BC .
2. जन्म स्थान- इनका जन्म शाक्यों की राजधानी कपिलवस्तु के निकट 'लुंबिनी' नामक स्थान में हुआ था। यह वर्तमान नेपाल में आता है।
Place of Birth - He was born in a place called 'Lumbini' near the capital of the Shakyas, Kapilvastu . It comes in the current Nepal .
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3. बचपन का नाम- बुद्ध के बचपन का नाम 'सिद्धार्थ' था। इनका गोत्रीय अभिधान 'गौतम' था।
Childhood Name - Buddha's childhood name was 'Siddhartha' . His gotra designation was 'Gautham' .
4. पिता का नाम- इनके पिता का नाम 'शुद्धोधन' था। ये कपिलवस्तु के शाक्य गणराज्य के प्रधान थे।
Father's name - His father's name was 'Shuddhodhan' . He was the head of the Shakya Republic of Kapilavastu.
5. माता का नाम- बुद्ध की माता का नाम 'माया देवी' या 'महामाया' था। ये कोलीय गणराज्य की राजकुमारी थी। इनके पुत्र सिद्धार्थ के जन्म के सातवें दिन ही उनकी मृत्यु हो गई।
Mother's name - Buddha's mother's name was 'Maya Devi' or 'Mahamaya' . She was the princess of the Collegian Republic . His son Siddharth died on the seventh day of his birth.
6. पालन पोषण- इनका पालन-पोषण इनकी मौसी 'प्रजापति गौतमी' ने किया था।
Parenting - He was raised by his aunt 'Prajapati Gautami' .
7. पत्नी का नाम- सिद्धार्थ का विवाह केवल 16 वर्ष की आयु में यशोधरा के साथ हुआ था। वह शाक्य कुल की कन्या थी। यशोधरा के अन्य नाम बिंबा, गोपा और भद्रकच्छा थे।
Wife's name - Siddharth was married at the age of 16 with Yashodhara . She was the daughter of Shakya clan. Other names for Yashodhara were Bimba, Gopa and Bhadrakchha .
8. पुत्र का नाम- सिद्धार्थ और यशोधरा का एक पुत्र था। इसका नाम 'राहुल' था।
Son's name - Siddharth and Yashodhara had a son. It was named 'Rahul' .
9. घोड़े का नाम- इनके घोड़े का नाम 'कंथक' था।
Horse Name - His horse's name was 'Kanthaka' .
10. सारथी का नाम- गौतम बुद्ध का सारथी 'चाण' था।
The name of the charioteer - Gautama Buddha's charioteer was 'Chan' .
11. मृत्यु- गौतम बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में मल्लों की राजधानी 'कुशीनगर' में हुई थी।
Death - Gautama Buddha died at the age of 80 in 483 BCE in the capital of Mulla 'Kushinagar' .
टीप Note- महावीर स्वामी से संबंधित जानकारी के लिए नीले शब्दों पर टच करें।
For information related to Mahavir Swami, touch the blue words.
महावीर स्वामी की पारीवारिक जानकारी एवं जैन धर्म के 24 तीर्थंकर
सिद्धार्थ जब 29 वर्ष के थे, वे सांसारिक समस्याओं से व्यथित हो गए थे। इस कारण उन्होंने अपने ग्रह का त्याग कर दिया। गृह त्याग करने के बाद सबसे पहले सिद्धार्थ 'अनुपिय' नाम के एक आम्र उद्यान में कुछ दिन व्यतीत किए। इसके पश्चात वैशाली के पास उनकी मुलाकात 'आचार्य अलार कलाम' से हुई। वे सांख्य दर्शन के दार्शनिक थे। सिद्धार्थ राजगृह के पास 'धर्माचार्य रूद्रक रामपुत्र' से भी मिले। इन दोनों से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। अतः ये दोनों उनके प्रारंभिक गुरु कहलाए। इसके बाद सिद्धार्थ ने 6 सालों तक घोर तपस्या और अथक परिश्रम किया। इसके फलस्वरूप उन्हें 35 वर्ष की अवस्था में ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्हें ज्ञान प्राप्ति वैशाख पूर्णिमा की एक रात में बोधि (पीपल) वृक्ष के नीचे पुनपुन (निरंजना) नदी के तट पर हुई थी। इसी दिन से सिद्धार्थ तथागत हो गए और वे सिद्धार्थ से 'गौतम बुद्ध' के रूप में संसार में प्रसिद्ध हो गए। महात्मा बुद्ध को बौद्ध धर्म में 'महाभिनिष्क्रमण' के नाम से जाना जाता है।
When Siddharth was 29 years old, he was distressed by worldly problems. For this reason, they abandoned their planet. After leaving the house, Siddhartha first spent a few days in an amra garden named 'Anupiya' . He then met 'Acharya Alar Kalam' near Vaishali. He was a philosopher of Sankhya philosophy. Siddharth also met 'Dharmacharya Rudrak Ramputra' near Rajgriha. He received education from both of them. Therefore, these two were called their early mentors. After this, Siddhartha practiced severe penance and tireless labor for 6 years. As a result, he attained enlightenment at the age of 35 years. He was enlightened on a night of Vaishakh Poornima under the Bodhi (Peepal) tree on the banks of the Punpun (Niranjana) river . From this day onwards, Siddhartha became Tathagata and he became famous in the world from Siddhartha as 'Gautama Buddha' . Mahatma Buddha is known as 'Mahabhinishkramana' in Buddhism.
उन्होंने मानव के जीवन के संबंध में चार अत्यंत प्रसिद्ध दृश्य देखें थे। इन दृश्यों को देखकर गौतम बुद्ध के मन में वैराग्य की भावना जाग उठी। ये चार दृश्य निम्नलिखित हैं-
1. वृद्ध व्यक्ति
2. बीमार व्यक्ति
3. मृत व्यक्ति
4. प्रसन्न मुद्रा में सन्यासी व्यक्ति
He had seen four very famous scenes in relation to human life. Seeing these scenes aroused a feeling of disinterest in the mind of Gautama Buddha. These four scenes are the following -
1. Older person
2. Sick person
3. Dead person
4. Saints in happy posture
बौद्ध धर्म के प्रतीक- ये प्रतीक महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित हैं। ये निम्नलिखित हैं-
Symbols of Buddhism - These symbols are related to the life of Mahatma Buddha. These are the following-
1. जन्म - कमल तथा साँड
2. गृह त्याग - घोड़ा
3. ज्ञान - बोधि (पीपल) वृक्ष
4. निर्वाण - पद चिन्ह
5. महापरिनिर्वाण (मृत्यु)- स्तूप
1. Birth - Lotus and Bull
2. Home Disclaimer - Horse
3. Gyan-Bodhi (Peepal) tree
4. Nirvana - footprint
5. Mahaparinirvan (death) - Stupa
सिद्धार्थ से बुद्ध बनने के पश्चात वे उरुवेला (यह वर्तमान बोधगया है) से आगे बढ़कर सारनाथ (ऋषिपत्तनम अथवा मृगदाव) चले गए। यहाँ जाकर उन्होंने अपने प्रथम उपदेश पाँच ब्राह्मण सन्यासियों को दिए। बुद्ध के इन उपदेशों को बौद्ध ग्रंथों में "धर्म चक्र प्रवर्तन" कहा जाता है। इसके बाद महात्मा के नेतृत्व में लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी बनने लगे। उन्होंने सर्वप्रथम 'भल्लिक' और 'तपस्सु' नाम के दो शूद्रों को बौद्ध धर्म का अनुयायी बनाया। धीरे-धीरे उनके अनुयायी बढ़ते गए। बुद्ध राजगृह पहुँच गए। यहाँ पर 'बिंबिसार' ने उनका स्वागत किया। बिंबिसार महात्मा बुद्ध के समकालीन था। उसने महात्मा को 'वेणुवन' नामक विहार दान में दिया था। राजगृह में बुद्ध ने सारिपुत्र, उपालि, महामोद्गलायन और अभय इत्यादि को शिष्य के रूप में स्वीकार किया। ज्ञान प्राप्ति के 8 वर्ष पश्चात वैशाली के लिच्छवियों के आमंत्रण पर बुद्ध वैशाली गए। उन्हें लिच्छवियों ने 'कूटाग्रशाला' विहार दान में दिया। वैशाली में उनके शिष्य 'आनंद' ने आग्रह किया कि महिलाओं को भी बौद्ध संघ में प्रवेश दिया जाए। महात्मा बुद्ध ने उसके आग्रह को स्वीकार कर लिया। बौद्ध संघ में प्रवेश करने वाली प्रथम भिक्षुणी 'प्रजापति गौतमी' थीं। 'पिंडोला भारद्वाज' एक बौद्ध भिक्षु था। इसके प्रभाव में आकर कौशांबी के शासक 'उदायिन' बौद्ध धर्म अनुयायी बन गए। उन्होंने 'घोषितराम' नामक विहार भिक्षु संघ को दान में दिया। ज्ञान प्राप्ति के 20 वर्ष पश्चात महात्मा बुद्ध श्रावस्ती गए। वहाँ उन्होंने 'अंगुलिमाल' नाम के एक डाकू को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया। महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन में सबसे अधिक उपदेश कोशल राज्य की राजधानी 'श्रावस्ती' में ही दिए थे। उन्होंने 'मगध' को अपना प्रचार केंद्र बनाया। धीरे-धीरे बौद्ध धर्म भारत में प्रसिद्ध होता गया और इस धर्म के अनुयायी बढ़ते गए।
After Siddhartha became Buddha, he moved from Uruvela (this is present-day Bodh Gaya) to Sarnath (Rishipatnam or Mrigadava). Here, he gave his first sermons to the five Brahmin ascetics. These sermons of the Buddha are called "Dharma Chakra Pravartana" in Buddhist texts. After this, people started becoming followers of Buddhism under the leadership of Mahatma. He first made the two Shudras named 'Bhalik' and 'Tapasu' a follower of Buddhism. Gradually, his followers grew. The Buddha reached the Rajgriha. Here 'Bimbisara' welcomed him. Bimbisara was a contemporary of Mahatma Buddha. He donated the Vihara named 'Venuvan' to the Mahatma. In the Rajgriha, Buddha accepted Sariputra, Upali, Mahamodagalayan and Abhaya etc. as disciples. After 8 years of attaining enlightenment, Buddha went to Vaishali at the invitation of the Lichchhavis of Vaishali. The Lichchhavis donated 'Kootagrashala' to Vihara. His disciple in Vaishali 'Anand' urged that women too be given entry into the Buddhist Sangha. Mahatma Buddha accepted his request. The first monk to enter the Buddhist Sangha was 'Prajapati Gautami' . 'Pindola Bharadwaj' was a Buddhist monk. Under its influence, the ruler of Kaushambi 'Udayin' became a Buddhist follower. He donated to the Vihara Monk Sangha named 'Annunciation Ram' . After 20 years of attaining enlightenment, Mahatma Buddha went to Shravasti. There he accepted a bandit named 'Angulimal' as his disciple. Mahatma Buddha gave the most sermons in his life in the capital of Kosala state 'Shravasti' . He made 'Magadha' his center of publicity. Gradually Buddhism became famous in India and followers of this religion grew.
महात्मा बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश कुशीनगर में परिव्राजक 'सुभद्द' को दिया था। गौतम बुद्ध ने अपने जीवन के अंतिम क्षण 'हिरण्यवती' नदी के तट पर व्यतीत किए। वहाँ 'चुंद' नाम के उनके एक शिष्य ने उन्हें सूकरमाद्दव नामक भोज्य सामग्री खिलाई। इसे ग्रहण करने से बुद्ध अतिसार रोग से पीड़ित हो गए। वहीं पर 483 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने 80 वर्ष की आयु तक जीवन जिया और अपने संपूर्ण जीवन में सभी मनुष्यों को उपदेश देते रहे। बुद्ध की मृत्यु को बौद्ध ग्रंथों में 'महापरिनिर्वाण' कहा जाता है। महापरिनिर्वाण के पश्चात गौतम बुद्ध के अस्थि अवशेष को आठ जगह भेजा गया और उन सभी आठ स्थानों पर स्तूप निर्मित किए गए। ये 8 स्थान निम्नलिखित हैं -
Mahatma Buddha gave his last sermon to the Parivrajaka 'Subhaddh' in Kushinagar. Gautama Buddha spent the last moments of his life on the banks of the river 'Hiranyavati' . There, one of his disciples named 'Chund' fed him a food item called Sukramadva . By consuming it, the Buddha suffered from diarrhea disease . He died there in 483 BC. He lived till the age of 80 and throughout his life he preached to all human beings. The death of Buddha is called 'Mahaparinirvana' in Buddhist texts. After Mahaparinirvana, Gautama the bone relics of Buddha were sent to eight places and stupas were erected at all eight of them. Following are these 8 places -
1. कुशीनारा Kushinara
2. वैशाली Vaishali
3. मगध Magadh
4. कपिलवस्तु Kapilavastu
5. पावा Pava
6. अल्लकप्प Allakappa
7. रामग्राम Ramgram
8. वेथादीप Vethadeep
इस तरह सिद्धार्थ से बुद्ध बने और बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ। आशा है यह जानकारी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगी।
In this way Siddhartha became Buddha and Buddhism expanded. Hope this information will prove to be very useful for competitive exams.
Thanks
RF Temre
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
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R F Temre
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