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भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रकृति व महत्व | Nature and Importance of the Preamble of the Indian Constitution

किसी भी देश के संविधान का अपना एक निर्देशक-दर्शन होता है। इसका विवरण संविधान की प्रस्तावना में मिलता है। संविधान का मूल दर्शन 'प्रस्तावना' कहलाता है। यह संविधान की प्रकृति को परिलक्षित करता है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रकृति व महत्व को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

The constitution of any country has its own guiding philosophy. Its details are found in the Preamble of the Constitution. The basic philosophy of the constitution is called 'Preamble'. It reflects the nature of the constitution. The nature and importance of the Preamble of the Indian Constitution can be explained as follows-

1. हम भारत के लोग- इन शब्दों से स्पष्ट है कि भारत में संविधान का स्रोत 'देश की जनता' है। यहाँ पर केवल एकल नागरिकता का प्रावधान है। क्योंकि देश के किसी भी प्रांत में निवास करने वाला व्यक्ति केवल भारतीय नागरिक है, न किसी प्रांत का भी। संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में देश और प्रांत दोनों के नागरिक होने का प्रावधान है। इस विषय पर अमेरिका का संविधान भारत के संविधान के विपरीत है।

1. We the people of India- It is clear from these words that the source of the Constitution in India is 'People of the country'. There is a provision for single citizenship only. Because a person residing in any province of the country is only an Indian citizen and not of any province. The Constitution of the United States of America provides for citizens of both the country and the province. The US constitution on this subject is contrary to the constitution of India.

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2. संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न- भारत का संविधान संपूर्ण रूप से प्रभुतासंपन्न है। इस पर किसी बाहरी शक्ति का कोई दबाव नहीं है। देश अपने फैसले स्वयं लेता है। इन फैसलों पर किसी अन्य देश का कोई दबाव नहीं रहता।

2. Sovereign Sovereign- The Constitution of India is completely sovereign. There is no external force on it. The country takes its own decisions. There is no pressure from any other country on these decisions.

3. समाजवादी- इस शब्द से तात्पर्य प्रतिष्ठा, संपत्ति तथा किसी अन्य आधार पर विषमता का अंत होना है। इसके अतिरिक्त समाजवादी शब्द से आशय देश के संसाधनों पर इसके नागरिकों का सामान रूप से अधिकार होना है।

3. Socialist- This word means the end of inequality on prestige, property and any other basis. Apart from this, the word socialist means that its citizens have equal rights over the resources of the country.

4. पंथनिरपेक्ष- इस शब्द से आशय देश का अपना कोई विशेष धर्म या पंथ न होने है। इससे संबंधित संविधान में राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होता। सभी धर्मों को समानता प्राप्त होती है। भारत में किसी भी धर्म या पंथ को संरक्षित नहीं किया गया है।

4. Secular- This word means that the country should not have any particular religion or sect of its own. The state does not have any religion of its own in the constitution related to it. All religions get equality. No religion or creed is protected in India.

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5. लोकतंत्रात्मक गणराज्य- लोकतंत्र से तात्पर्य देश में जनता के शासन से हैं। गणराज्य से तात्पर्य देश के राजप्रमुख के निर्वाचन से है। वहाँ पर प्रशासक वंशानुगत नहीं होते।

5. Democratic Republic- Democracy refers to the rule of the people in the country. Republic refers to the election of the head of state of the country. There administrators are not hereditary.

6. न्याय- भारत के संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश के लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार प्रदान किये जाएगें।

6. Justice- The Preamble of the Constitution of India clearly states that social, economic and political rights shall be provided to the people of the country.

7. स्वतंत्रता- भारत के संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट किया गया है कि देश के नागरिकों को विश्वास, विचार अभिव्यक्ति, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता दी गई है। इस विषय पर नागरिकों पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध बाध्यकारी नहीं है।

7. Freedom- It has been clarified in the Preamble of the Constitution of India that the citizens of the country have been given freedom of belief, thought, expression, religion and worship. Any kind of restriction is not binding on citizens on this subject.

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8. समानता- भारत के संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट किया गया है कि देश के प्रत्येक नागरिक को अवसर की समानता प्रदान की गयी है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि समानता के बिना स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं होता।

8. Equality- It has been clarified in the Preamble of the Constitution of India that every citizen of the country has been given equality of opportunity. This is important for everyone, because without equality, liberty has no meaning.

9. बंधुता- स्वतंत्रता, समानता और न्याय के आदर्श केवल तभी सार्थक सिद्ध होते हैं, जब बंधुत्व और भाईचारे की भावना व्यक्ति में बनी रहती है। अतः भारतीय संविधान में देश की सभी विविधताओं को परे रखकर नागरिकों में बंधुता बनाए रखने की अपेक्षा की गई है।

9. Fraternity- The ideals of liberty, equality and justice become meaningful only when the spirit of fraternity and brotherhood remains in the individual. Therefore, the Indian Constitution has been expected to maintain fraternity among the citizens by keeping all the diversities of the country.

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10. भारत की एकता और अखंडता- किसी भी देश और देशवासियों की सुरक्षा के लिए एकता और अखंडता का मजबूत होना महत्वपूर्ण है। इसी वजह से देश की एकता और अखंडता को विशेष महत्व प्रदान किया गया है। संविधान की प्रस्तावना उसकी मूल भावना को परिलक्षित करता है। यह देश के संपूर्ण संविधान का सारांश प्रस्तुत करता है। इसका सबसे बड़ा महत्व यह है कि देश के संविधान की व्याख्या करने में इसकी विशेष भूमिका है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके बिना संविधान की व्याख्या नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए 'केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य' मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसकी कुछ ऐसी आधारभूत विशेषताएँ हैं जिसे अनुच्छेद 368 के अधीन संसद द्वारा संशोधित नहीं किया जा सकता।

10. Unity and Integrity of India- For the security of any country and countrymen, it is important to have strong unity and integrity. For this reason, the unity and integrity of the country has been given special importance. The Preamble of the Constitution reflects its basic spirit. It summarizes the entire constitution of the country. Its biggest importance is that it has a special role in interpreting the constitution of the country. It cannot be ignored. Without it the Constitution cannot be interpreted. For example, in the case 'Kesavananda Bharati v State of Kerala', the Supreme Court held that the Preamble is an important part of the Constitution and has certain basic features which cannot be amended by Parliament under Article 368.

अतः स्पष्ट है कि संविधान की प्रस्तावना में वे सभी आदर्श निहित हैं जो प्रजातंत्र को स्थायी रखने हेतु शासन में अपेक्षित तथा अपरिहार्य हैं। ये आदर्श प्रजातंत्र के सभी पहलुओं को अभिव्यक्त करने में संपूर्ण रूप से सक्षम हैं।

So it is clear that all those ideals are contained in the Preamble of the Constitution which are necessary and indispensable in governance to keep democracy stable. These ideals are perfectly capable of expressing all aspects of democracy.

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