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बंगाल का पाल वंश- गोपाल, धर्मपाल, देवपाल, महिपाल प्रथम, रामपाल | Pala dynasty of Bengal- Gopal, Dharmapala, Devapala, MahipalaI, Rampal

चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा विवरण के अनुसार लगभग आठवीं शताब्दी के बीच में बंगाल में चार राज्यों का अस्तित्व था। ये प्रमुख राज्य निम्नलिखित हैं-
1. पुंड्रवर्धन
2. कर्णसुवर्ण
3. समतट
4. ताम्रलिप्ति

According to the travel account of the Chinese traveler Hiuen Tsang, about the middle of the eighth century, four kingdoms existed in Bengal. These major states are as follows-
1. Pundravardhan
2. Karensuvaran
3. Samtat
4. Tamralipti

पाल शासकों का शासन संपूर्ण बंगाल, कन्नौज और बिहार में विस्तृत था। उनके साम्राज्य की सीमाएंँ खाड़ी से लेकर दिल्ली तक एवं जालंधर से लेकर विंध्य पर्वत तक फैली हुई थीं। पाल शासक मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। बंगाल के पाल वंश के प्रमुख शासक निम्नलिखित हैं-
1. गोपाल
2. धर्मपाल
3. देवपाल
4. महिपाल प्रथम
5. रामपाल

The rule of the Pala rulers was extended throughout Bengal, Kannauj and Bihar. The boundaries of his empire extended from the Gulf to Delhi and from Jalandhar to the Vindhya Mountains. The Pala rulers were mainly followers of Buddhism. The following are the main rulers of the Pala dynasty of Bengal-
1. Gopal
2. Dharmapala
3. Devpal
4. Mahipal I
5. Rampal

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गोपाल- लगभग आठवीं शताब्दी के बीच में बंगाल क्षेत्र में अशांति तथा अव्यवस्था की स्थिति थी। इस अशांति एवं अव्यवस्था का अंत करने के लिए बंगाल के कुछ प्रमुख लोगों ने गोपाल को प्रांत का शासक बनाया। उसने 750 ईसवी में पाल वंश की स्थापना की थी। गोपाल ने 750 से 770 ईसवी तक शासन किया। वह मुख्य रूप से बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसने ओदंतपुरी में एक मठ बनवाया था।

Gopal- Around the middle of the eighth century, there was a state of unrest and disorder in the Bengal region. To put an end to this unrest and disorder, some prominent people of Bengal made Gopal the ruler of the province. He founded the Pala dynasty in 750 AD. Gopal ruled from 750 to 770 AD. He was primarily a follower of Buddhism. He built a monastery at Odantapuri.

धर्मपाल- धर्मपाल गोपाल का पुत्र था। वह लगभग 770 ईसवी में बंगाल के राज सिंहासन पर विराजमान हुआ। उसने लगभग 770 ईसवी से 810 ईसवी तक शासन किया। बंगाल को उत्तरी भारत के प्रमुख राज्यों की श्रेणी में स्थापित करने का श्रेय धर्मपाल को ही दिया जाता है। अपने शासनकाल के दौरान वह कन्नौज पर अधिकार करने के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष में उलझा रहा। उसने कन्नौज के शासक इंद्रायुध को युद्ध में परास्त किया था। इस विजय के परिणाम स्वरूप उसने चक्रायुध को अपने संरक्षण में कन्नौज के राज सिहासन पर बैठाया। उसने चक्रायुध को अपने संरक्षण में कन्नौज की बागडोर सौपने के पश्चात् एक भव्य दरबार का आयोजन किया। इस आयोजन में धर्मपाल को गुजराती कवि सोड्ढल ने उसे 'उत्तरापथ स्वामी' की उपाधि प्रदान की। इसके अतिरिक्त धर्मपाल के लेखों में उसे 'परम सौगात' कहकर संबोधित किया गया है। वह मुख्य रूप से बौद्ध धर्म का अनुयायी था। धर्मपाल ने की मठों तथा बौद्ध विहारों का निर्माण करवाया। उसके द्वारा बिहार के भागलपुर जिले में विक्रमशिला विश्वविद्यालय एवं वर्तमान बांग्लादेश में सोमपुर महाविहार की स्थापना करवायी गयी थी।

Dharampal- Dharampal was the son of Gopal. He ascended the royal throne of Bengal in about 770 AD. He ruled from about 770 AD to 810 AD. Dharmapala is credited with establishing Bengal in the ranks of the major states of northern India. During his reign he was involved in a tripartite struggle to take control of Kanauj. He defeated Indrayudha, the ruler of Kannauj, in a battle. As a result of this victory, he placed Chakrayudha on the throne of Kannauj under his protection. He organized a grand court after handing over the reins of Kannauj to Chakrayudha under his protection. In this event Dharampal was conferred the title of 'Uttarapath Swami' by the Gujarati poet Sodhal. Apart from this, in the writings of Dharmapala, he has been addressed as 'Param Saugat'. He was primarily a follower of Buddhism. Dharmapala built monasteries and Buddhist viharas. Vikramshila University was established by him in Bhagalpur district of Bihar and Sompur Mahavihara in present day Bangladesh.

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देवपाल- देवपाल धर्मपाल का पुत्र था। वह लगभग 810 ईसवी में बंगाल की गद्दी पर विराजमान हुआ। उसने लगभग 810 से 850 ईसवी तक शासन किया। अपने पिता के समान उसने भी विस्तारवादी नीति का पालन किया। उसने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाया। उसके शासनकाल के दौरान अरब यात्री सुलेमान भारत आया था। सुलेमान के विवरण के अनुसार देवपाल प्रतिहार राष्ट्रकूट शासकों से अधिक शक्तिशाली था।

Devpal- Devpal was the son of Dharmapala. He ascended the throne of Bengal in about 810 AD. He ruled from about 810 to 850 AD. Like his father, he also followed an expansionist policy. He made Munger his capital. The Arab traveler Suleiman came to India during his reign. According to Suleman's description, Devapala Pratihara was more powerful than the Rashtrakuta rulers.

देवपाल के शासन के बाद कुछ समय के लिए पाल शासकों का साम्राज्य बंगाल एवं बिहार तक ही सीमित रह गया। देवपाल के शासन के पश्चात् विग्रहपाल, नारायणपाल, राज्यपाल, गोपाल द्वितीय, विग्रहपाल द्वितीय नामक शासकों ने शासन किया। पाल वंश के शासक महिपाल प्रथम के शासनकाल के दौरान पाल शासकों की शक्ति की पुनर्स्थापना हुई।

After the rule of Devapala, the empire of the Pala rulers remained confined to Bengal and Bihar for some time. After the rule of Devapala, rulers named Vigrahapal, Narayanpal, Governor, Gopal II, Vigrahapala II ruled. The power of the Pala rulers was restored during the reign of Mahipala I, the ruler of the Pala dynasty.

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शैलेन्द्र नामक शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। उन्होंने अपने कई राजदूत पाल शासकों के राज दरबार में भेजे थे। उन्होंने पाल राजा से नालंदा में एक विहार निर्माण करने की अनुमति माँगी थी। उन्होंने पाल शासक देवपाल से इस विहार के खर्च के लिए पाँच गाँव की आमदनी देने का अनुरोध किया था। पाल शासक द्वारा इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया था।

The ruler named

Sailendra was a follower of Buddhism. He sent many of his ambassadors to the court of Pala rulers. He had asked the Pala king for permission to build a vihara at Nalanda. He requested the Pala ruler Devapala to provide the income of five villages for the expenses of this vihara. This request was accepted by the Pala ruler.

महिपाल प्रथम- बंगाल के इतिहास में महिपाल प्रथम को पाल वंश का दूसरा संस्थापक कहा जाता है। उसने लगभग 978 ईसवी से 1038 ईसवी तक शासन किया। वह मुख्य रूप से बौद्ध धर्म का संरक्षक था। उसने अपने राज दरबार में 'वज्रदत्त' को संरक्षण प्रदान किया था। वज्रदत्त ने 'लोकेश्वर शतक' की रचना की थी। महिपाल के शासनकाल के दौरान चोल वंश के शासक राजेंद्र ने बंगाल पर आक्रमण किया था। इस युद्ध में पाल शासक को पराजय का मुख देखना पड़ा। उसने एक बौद्ध भिक्षु अतिशा के नेतृत्व में एक धर्म प्रचारक मंडल तिब्बत भिजवाया था।

Mahipala I- In the history of Bengal, Mahipala I is said to be the second founder of the Pala dynasty. He ruled from about 978 AD to 1038 AD. He was primarily a patron of Buddhism. He had patronized 'Vajradatta' in his royal court. Vajradutt composed 'Lokeshwar century'. During the reign of Mahipala, Rajendra, the ruler of the Chola dynasty, invaded Bengal. In this war, the Pala ruler had to see the face of defeat. He had sent a missionary board to Tibet under the leadership of Atisha, a Buddhist monk.

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रामपाल- रामपाल पाल वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक था। उसने लगभग 1075 ईसवी से 1120 ईसवी तक शासन किया। उसके शासनकाल के दौरान के कैवर्तों का विद्रोह हुआ था। इस घटना का उल्लेख 'संध्याकरनंदी' की रचना 'रामचरित' में किया गया है।

Rampal- Rampal was the last powerful ruler of the Pala dynasty. He ruled from about 1075 AD to 1120 AD. The Kaivartas revolted during his reign. This incident is mentioned in 'Sandhyakaranandi''s composition 'Ramcharit'.

रामपाल के पश्चात कुमारपाल, गोपाल तृतीय एवं मदनपाल नामक शासकों ने लगभग 30 वर्षों तक शासन किया। रामपाल की मृत्यु के पश्चात् गहड़वालों ने बिहार में शाहाबाद एवं गया तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था।

Rampal was followed by rulers named Kumarpal, Gopal III and Madanpal who ruled for about 30 years. After the death of Rampal, the Gahadavalas extended their kingdom to Shahabad and Gaya in Bihar.

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पालकालीन संस्कृति- पाल शासक मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। इस अवधि के दौरान संतरक्षित, कमलशील एवं दीपंकर जैसे विद्वानों ने तिब्बत की यात्रा की थी। पाल कलाकारों को कांस्य मूर्तियों के निर्माण में महारत प्राप्त थी। बौद्ध धर्म के महायान तथा वज्रयान संप्रदायों के प्रभाव से इस अवधि के दौरान मूर्तिकला का विकास हुआ। पाल शासकों के काल में मूर्तिकला के प्रमुख केंद्र निम्नलिखित हैं-
1. नालंदा
2. बोधगया
3. कुर्किहार

Pala period culture- The Pala rulers were mainly followers of Buddhism. Scholars like Santarakshita, Kamalashila and Dipankar visited Tibet during this period. The Pala artists were skilled in the making of bronze sculptures. Sculpture flourished during this period under the influence of the Mahayana and Vajrayana sects of Buddhism. Following are the major centers of sculpture during the period of Pala rulers-
1. Nalanda
2. Bodh Gaya
3. Kurkihar

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पाल शासकों के अधीन संस्कृत के अलावा बांग्ला लिपि एवं भाषा और जनभाषा को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। पाल शासकों ने जीमूतवाहन को संरक्षण प्रदान किया था। जीमूतवाहन को हिंदू काव्य 'दायभाग' का जन्मदाता कहा जाता है।

In addition to Sanskrit, under the Pala rulers, the Bengali script and language and public language received encouragement. The Pala rulers had patronized Jimutavahana. Jimutvahana is said to be the father of Hindu poetry 'Dayabhaga'.

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