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कश्मीर के महत्वपूर्ण राजवंश- कार्कोट वंश, उत्पल वंश और लोहार वंश || Important Dynasties of Kashmir- Karkot Dynasty, Utpal Dynasty and Lohar Dynasty

भारतवर्ष के कश्मीर पर शासन करने वाले महत्वपूर्ण राजवंश निम्नलिखित हैं-
1. कार्कोट राजवंश
2. उत्पल राजवंश
3. लोहार राजवंश

The following are the important dynasties that ruled Kashmir of India-
1. Karkot Dynasty
2. Utpal Dynasty
3. Blacksmith Dynasty

कार्कोट राजवंश- लगभग सातवीं शताब्दी ईस्वी के दौरान कश्मीर पर कार्कोट वंश के राजाओं का शासन आरंभ हुआ। इस वंश का संस्थापक दुर्लभवर्धन था। उसके शासनकाल के दौरान चीनी यात्री युवान चांग (ह्वेनसांग) कश्मीर की यात्रा के लिए आया था। दुर्लभवर्धन के बाद दुर्लभक शासक हुआ। वह दुर्लभवर्धन का पुत्र था। उसने 632 ईस्वी से 682 ईस्वी तक शासन किया। दुर्लभक के पश्चात चंद्रापीड ने शासन किया। वह अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था। इसके बाद तारापीड ने शासन किया। कल्हण की रचना राजतरंगिणी के अनुसार तारापीठ एक क्रूर व निर्दयी शासक था। कार्कोट वंश का सबसे शक्तिशाली शासक 'ललितादित्य मुक्तापीड' था। उसने 724 इसी से 760 ईसवी तक शासन किया। कश्मीर के 'मार्तंड सूर्य मंदिर' के निर्माण का श्रेय राजा ललितादित्य मुक्तापीड को भी दिया जाता है। यह मंदिर कश्मीर की स्थापत्य कला, वास्तुकला एवं तक्षण कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मुक्तापीड ने अपने शासनकाल के दौरान कन्नौज नरेश यशोवर्मन को पराजित किया था। यह उसकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कार्कोट वंश का अंतिम शासक जयापीड था। सन् 810 ईसवी में उसकी मृत्यु हो गई। इसके पश्चात कार्कोट वंश का कश्मीर से अंत हो गया।

Karkot Dynasty- Kashmir was ruled by the kings of the Karkot dynasty during about the seventh century AD. The founder of this dynasty was Ralabhvardhan. During his reign, the Chinese traveler Yuwan Chang (Hiuan Tsang) came to visit Kashmir. After Ralfavardhana, there was a rare ruler. He was the son of rarevardhana. He ruled from 632 AD to 682 AD. After Ralfak, Chandrapid ruled. He was famous for his justice. After this Tarapid ruled. According to Kalhana's composition Rajatarangini, Tarapith was a cruel and ruthless ruler. The most powerful ruler of the Karkot dynasty was 'Lalitaditya Muktapid'. He ruled from 724 to 760 AD. King Lalitaditya Muktapid is also credited with the construction of the 'Martand Sun Temple' of Kashmir. This temple is an excellent example of architecture, architecture and fine art of Kashmir. Muktapid defeated the Kanauj king Yashovarman during his reign. This is his most important achievement. Jayapida was the last ruler of the Karkot dynasty. He died in 810 AD. After this the Karkot dynasty came to an end in Kashmir.

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उत्पल राजवंश- कार्कोट वंश का पतन होने के पश्चात् कश्मीर पर उत्पल राजवंश का शासन आरंभ हुआ। इस वंश का संस्थापक अवंतिवर्मन था। उसने 855 ईसवी से 883 ईसवी तक शासन किया। अपने नाम पर ही उसने अवंतिवर्मन नामक नगर की स्थापना की। अवंतिवर्मन के अभियंता सूय्य ने कश्मीर में सिंचाई हेतु नहरों की व्यवस्था करवायी। लगभग 980 ईस्वी के आसपास कश्मीर पर उत्पल वंश की रानी दिद्दा ने शासन किया। वह महान शासिका थी। इस महत्वाकांक्षी शासिका की सन् 1003 ईस्वी में मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु होने के पश्चात् कश्मीर पर संग्रामराज ने अधिकार कर लिया। उसने कश्मीर पर एक नवीन वंश लोहार वंश की स्थापना की।

Utpal Dynasty- After the decline of the Karkot dynasty, the rule of the Utpal dynasty started over Kashmir. The founder of this dynasty was Avantivarman. He ruled from 855 AD to 883 AD. In his own name, he founded a city named Avantivarman. Avantivarman's engineer Suyya got the canals arranged for irrigation in Kashmir. Around 980 AD, Kashmir was ruled by Rani Didda of the Utpal dynasty. She was a great ruler. This ambitious ruler died in 1003 AD. After his death, Sangramraj took control of Kashmir. He founded a new dynasty Lohar dynasty on Kashmir.

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लोहार वंश- कश्मीर से उत्पल वंश का पतन होने के पश्चात् लोहार वंश का शासन आरंभ हुआ। इस वंश की स्थापना संग्रामराज ने की थी। उसने सन् 1003 ईस्वी से 1028 ईस्वी तक शासन किया। इसके पश्चात अनंत ने शासन किया। उसकी पत्नी सूर्यमती थी। वह प्रशासन को सुधारने में अनंत की सहायता किया करती थी। हर्ष लोहार वंश का महत्वपूर्ण शासक है। वह स्वयं एक विद्वान, कवि और कई भाषाओं का ज्ञाता था। हर्ष को 'कश्मीर का नीरो' के नाम से भी जाना जाता है। उसके शासनकाल के दौरान कश्मीर में भयानक अकाल पड़ा था। राज्य में आंतरिक अशांति फैली हुई थी। इस स्थिति का लाभ उठाकर उत्सल व सुस्सल नाम के दो भाइयों ने विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह के फलस्वरुप सन् 1101 ईस्वी के दौरान राजा हर्ष और उनके पुत्र भोज की हत्या कर दी गई। कल्हण ने राजतंरगिणी की रचना की है। कल्हण हर्ष पर आश्रित कवि थे। उन्होंने राजतरंगिणी की रचना जयसिंह के शासनकाल में की थी। जयसिंह लोहार वंश का अंतिम शासक था। उसने 1128 ईस्वी से 1155 ईस्वी तक शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान उसने यवनों को युद्ध में पराजित किया। जयसिंह के शासन के अंत के साथ ही राजतंरगिणी का विवरण भी समाप्त हो जाता है।

Lohar Dynasty- After the decline of Utpal dynasty from Kashmir, the rule of Lohar dynasty started. This dynasty was founded by Sangramraj. He ruled from 1003 AD to 1028 AD. After this Anant ruled. His wife was Suryamati. She used to assist Anant in reforming the administration. Harsha is an important ruler of the Lohar dynasty. He himself was a scholar, poet and a master of many languages. Harsha is also known as 'Nero of Kashmir'. During his reign there was a terrible famine in Kashmir. There was internal unrest in the state. Taking advantage of this situation, two brothers named Utsal and Susal revolted. As a result of this rebellion, during 1101 AD, King Harsha and his son Bhoj were killed. Kalhana has composed Rajataragini. Kalhana was a poet dependent on Harsha. He composed Rajatarangini during the reign of Jai Singh. Jai Singh was the last ruler of the Lohar dynasty. He ruled from 1128 AD to 1155 AD. During his reign he defeated the Yavanas in battle. With the end of Jaisingh's rule, the description of Rajataragini also ends.

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आगे चलकर 1339 ईस्वी में कश्मीर पर तुर्कों ने कब्जा कर लिया। कश्मीर पर शासन करने वाले तुर्क राजाओं में सबसे महत्वपूर्ण शासक 'ज़ैन-उल-अबिदीन' हुआ। इसे 'कश्मीर के अकबर' के नाम से भी जाना जाता है।

Later in 1339 AD, the Turks captured Kashmir. 'Zain-ul-Abidin' was the most important of the Ottoman kings who ruled Kashmir. It is also known as 'Akbar of Kashmir'.

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