प्राचीन विश्वविद्यालय– तक्षशिला, नालंदा, वल्लभी, विक्रमशिला | Ancient Universities– Takshashila, Nalanda, Vallabhi, Vikramshila
तक्षशिला विश्वविद्यालय (Taxila University)
तक्षशिला, वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले में स्थित है। तक्षशिला प्राचीन भारत का महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय है। प्राचीन समय में यहाँ पर राजनीति और शस्त्रविद्या की शिक्षाएँ प्रदान की जाती थीं। चाणक्य इस विश्वविद्यालय के प्रमुख आचार्य थे। यहाँ पर निम्नलिखित विद्वानों ने शिक्षा प्राप्त की थी–
1. आचार्य चाणक्य– ये सुप्रसिद्ध राजनीतिविद् थे।
2. प्रसेनजित– ये कोशल के राजा थे।
3. जीवक– ये मगध के राजवैद्य थे।
4. वसुबंधु– ये बौद्ध विद्वान थे।
Takshashila is located in the Rawalpindi district of present-day Pakistan. Taxila is an important university of ancient India. In ancient times, the teachings of politics and weapons were imparted here. Chanakya was the chief Acharya of this university. The following scholars had received education here-
1. Acharya Chanakya– He was a well-known political scientist.
2. Prasenjit– He was the king of Kosala.
3. Jivaka– He was the royal doctor of Magadha.
4. Vasubandhu– He was a Buddhist scholar.
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नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University)
नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्रों में से एक है। अनेक प्राचीन ग्रंथों में इस विश्वविद्यालय का उल्लेख मिलता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम ने अपने शासनकाल के दौरान की थी। उन्होंने 415 ई. से 455 ई. तक शासन किया था। नालंदा विश्वविद्यालय में 8 बड़े कमरे थे। साथ ही व्याख्यान के लिये 300 छोटे कमरे भी थे। इस विश्वविद्यालय में भारत के बहुत से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे। यहाँ पर पढ़ने के लिए विदेशों से भी विद्यार्थी आते थे। चीन, मंगोलिया, तिब्बत, कोरिया, मध्य एशिया आदि देशों से यहाँ पर विद्यार्थी आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय में महायान बौद्ध धर्म की शिक्षा प्रदान की जाती थी। इस विश्वविद्यालय में लगभग 10,000 विद्यार्थी पढ़ते थे। इन विद्यार्थियों को लगभग 2000 शिक्षक पढ़ाते थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग लगभग 18 महीने तक नालंदा में रूका और उसने शिक्षा ग्रहण की। ह्वेनसांग के समय में इस विश्वविद्यालय के कुलपति 'शीलभद्र' थे। ह्वेनसांग के अलावा चीनी यात्री इत्सिंग ने भी इस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। यहाँ रहकर उसने 400 संस्कृत ग्रंथों की प्रतिलिपियाँ तैयार की थी। नालंदा विश्वविद्यालय में 'धर्मगंज' नामक भव्य पुस्तकालय था। यह पुस्तकालय तीन भव्य भवनों में स्थित था। ये भवन हैं– रत्नासागर, रत्नोद्धि औल रत्नरंजक। वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय, पटना (बिहार की राजधानी) से लगभग 90 किमी दूर नालंदा जिले के राजगीर नामक स्थान पर स्थित है।
Nalanda University is one of the important educational centers of ancient India. The mention of this university is found in many ancient texts. This university was established by the Gupta dynasty ruler Kumragupta I during his reign. He ruled from 415 AD to 455 AD. Nalanda University had 8 big rooms. Also there were 300 small rooms for lectures. Many students of India used to take education in this university. Students from abroad also used to come here to study here. Students used to come here from countries like China, Mongolia, Tibet, Korea, Central Asia etc. Mahayana Buddhism was taught at Nalanda University. About 10,000 students studied in this university. About 2000 teachers used to teach these students. The Chinese traveler Hiuensang stayed at Nalanda for about 18 months and took education. During the time of Hiuen Tsang, the Vice-Chancellor of this university was 'Shilbhadra'. Apart from Hiuen Tsang, the Chinese traveler Itsing also studied at this university. While staying here, he had prepared copies of 400 Sanskrit texts. Nalanda University had a grand library named 'Dharamganj'. The library was housed in three grand buildings. These buildings are – Ratnasagar, Ratnodhi and Ratnaranjaka. Presently Nalanda University is situated at a place called Rajgir of Nalanda district, about 90 km away from Patna (capital of Bihar).
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वल्लभी विश्वविद्यालय (Vallabhi University)
वल्लभी प्राचीन भारत का महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय है। वल्लभी पश्चिम भारत में शिक्षा और संस्कृति का प्रसिद्ध केंद्र था। यहाँ पर हीनयान बौद्ध धर्म की शिक्षा प्रदान की जाती थी। इत्सिंग के विवरण के अनुसार, सभी देशों के विद्वान इस विश्वविद्यालय में एकत्रित होते थे। विद्वानों की इस सभा में विविध सिद्धांतों पर शास्त्रार्थ किया जाता था और उनकी सत्यता निर्धारित किया जाता था। ह्वेनसांग के विवरण के अनुसार, वल्लभी विश्वविद्यालय में एक सौ बौद्ध विहार थे। इन विहारों में लगभग 6000 हीनयान बौद्ध शाखा के भिक्षु रहते थे।
Vallabhi is an important university of ancient India. Vallabhi was a famous center of education and culture in western India. Here the teachings of Hinayana Buddhism were imparted. According to the description of Itsing, scholars from all countries used to gather in this university. In this assembly of scholars, various theories were debated and their veracity was determined. According to the description of Hiuan Tsang, Vallabhi University had one hundred Buddhist viharas. About 6000 Hinayana Buddhist monks lived in these viharas.
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विक्रमशिला विश्वविद्यालय (Vikramshila University)
विक्रमशिला प्राचीन भारत का महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय है। विक्रमशिला के महाविहार की स्थापना पाल नरेश धर्मपाल ने अपने शासनकाल के दौरान करवायी थी। उन्होंने लगभग 770 ई. से 810 ई. तक शासन किया था। विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अंतर्गत छह महाविद्यालय थे। प्रत्येक महाविद्यालय में एक केंद्रीय कक्ष था और 108 अध्यापक शिक्षा प्रदान करते थे। केंद्रीय कक्ष को 'विज्ञान भवन' के नाम से जाना जाता था। यहाँ पर शिक्षा देने वाले प्रमुख आचार्य दीपंकर, श्रीज्ञान आदि हैं। विक्रमशिला विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर के अध्ययन पूर्ण होने के बाद विद्यार्थियों को पाल शासकों द्वारा उपाधियाँ दी जाती थीं। स्नातकों को 'पंडित' की उपाधि प्रदान की जाती थी। महापंडित, उपाध्याय और आचार्य क्रमशः उच्चतर उपाधियाँ थीं। दुर्भाग्यवश सन् 1203 ई. के दौरान मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय का विनाश कर दिया। साथ ही भिक्षुओं की सामूहिक हत्या भी की।
Vikramshila is an important university of ancient India. The Mahavihara of Vikramshila was established by Pala Naresh Dharmapala during his reign. He ruled from about 770 AD to 810 AD. There were six colleges under Vikramshila University. Each college had a central hall and 108 teachers imparted education. The central hall was known as 'Vigyan Bhawan'. The main teachers who teach here are Deepankar, Shreejnana etc. Degrees were awarded by the Pala rulers to the students after the completion of their graduation at Vikramshila University. The graduates were given the title of 'Pandit'. Mahapandita, Upadhyaya and Acharya were the higher titles respectively. Unfortunately during 1203 AD Muslim invader Bakhtiar Khilji destroyed Vikramshila University. Also mass murder of monks.
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