कार्यालयों में फाइलिंग (नस्तीकरण) - Meaning of filing || फाइलिंग के प्रकार, उपयोगिता एवं आवश्यकता
फाइलिंग का अर्थ
किसी शासकीय अशासकीय कार्यालयों में पत्रों को इस प्रकार व्यवस्थित रूप से रखना ताकि भविष्य में किसी सन्दर्भ की आवश्यकता पड़े तो उसे सुविधा एवं शीघ्रता पूर्वक प्राप्त किया जा सके फाइलिंग कहलाता है। इसे हिन्दी भाषा में "नस्तीकरण" भी कहा जाता है।
परिभाषा की फाइलिंग
सर मिल्स के अनुसार- "फाइलिंग वह कला है जिसके द्वारा व्यापार सम्बन्धी सभी पत्रों और उनसे सम्बन्धित सभी कागजातों को चतुराई से रखा जाता है, ताकि भविष्य में काम पड़ने पर उनमें इच्छित पत्र या प्रतिलिपि को शीघ्र प्राप्त किया जा सके।"
फाइलिंग (नस्तीकरण) की उपयोगिता एवं आवश्यकता
1. पत्रों की सुरक्षा - इसके द्वारा पत्र सुरक्षित रखे रहते हैं।
2. भावी सन्दर्भ - यदि भविष्य में किसी पत्र द्वारा संदर्भ देने की आवश्यकता पड़ती है तो उसे फाइल से निकाल कर आसानी से सन्दर्भित किया जा सकता है।
3. शंका समाधान - कभी व्यापारी या ग्राहक के बीच या सरकार जनता के मध्य मतभेद पैदा हो जाता है तो पूर्व में भेजे गये पत्रों की प्रतिलिपि उपलब्ध कराकर उसका समाधान कर दिया जाता है।
4. न्यायालय साक्ष्य हेतु - न्यायालय साक्ष्य हेतु की गई फाइलिंग में से यदि अदालती कार्यवाही हेतु किसी पत्र की आवश्यकता पड़ती है तो फाइल में से पत्र निकाल कर साक्ष्य हेतु प्रस्तुत कर दिया जाता है।
5. वैधानिक आवश्यकता - कुछ पत्रों को वैधानिक दृष्टि से सुरक्षित रखना आवश्यक होता है।
एक आदर्श फाइल के लक्षण
एक आदर्श फाइलिंग में सरलता, शीघ्रता, अल्पस्थान में रखा जाना, सुरक्षा, मितव्ययिता, लोच, अनुकुलता आदि लक्षणों का होना आवश्यक है।
फाइलिंग की प्रणालियाँ
फाइलिंग की दो प्रणालियों प्रचलित हैं-
(A) लेटी हुई नस्तीकरण के रूप में-
1. तार की फाइल
2. कार्ड बोर्ड फाइल
3. फोल्डर फाइल
4. लोहे की मुड़ी शलाखों वाली फाइल
5. कबूतर खाने वाली फाइल
6. शैनन फाइल
(B) खड़ी फाइलिंग की तीन प्रणालियों हैं-
1. अलमारी वाली फाइल
2. खुले खाने वाली फाइल
3. लटकती हुई फाइल
(1) तार फाइल - यह एक साधारण मोटा तार होता है जिसका एक सिरा गोल या चौकोर तख्ती पर लटका होता है। इसका सिरा बड़ा व नुकीला होता है, इसमें जो पत्र पहले आता है पहले और जो पत्र बाद में आता है, बाद में लगा दिया जाता है। इसमें ध्यान रखने की बात यह होती है कि पत्र को लगाते समय लिखे पत्र को नुकसान न पहुँचे एवं लिखा हुआ हिस्सा कट न जाये।
(2) कार्ड बोर्ड फाइल - एक मोटी दफ्ती के मध्य में दोनों ओर कागज के टुकड़े लगे होते हैं और इन टुकड़ों के नजदीक से ही दो फीते लगे होते हैं, इसमें पत्रों को जमाकर कागजों से दबा फीता बाँध देते हैं।
(3) फोल्डर फाइल - एक मोटी दफ्ती से बनी जिल्द होती है, इस जिल्द के अन्दर कागज रखने के लिये एक टीन या प्लास्टिक की पत्ती रहती है, इस पत्ती में कागजों को फृसाकर पत्ती लाक से दबा देते हैं।
(4) लोहे की मुड़ी शलाखों वाली फाइल - इसमें मजबूत दफ्ती के मोड़ में निर्धारित फासले पर दो कीलें होती हैं, जिसमे मुडी हुयी शलाखें बिठायी जाती हैं। कीलों के पास लोहे का टुकड़ा लगा होता है जिसे दबाकर मुड़ी हुयी शलाखों की सीधी कीलों से उठाया जा सकता है।
(5) कबूतर खाने वाली अलमारी - यह लकड़ी या लोहे की अलमारी होती है, जिसमें करीब 24 खाने होते हैं इसमें प्रत्येक खाने पर अंग्रेजी के अक्षर लगे रहते हैं। आखिरी खाना तीन अक्षरों एक्स, वाई, जैड के लिये होता है। इस अलमारी का प्रयोग प्रदेश या कार्यालयों से आये पत्रों को उसके प्रथम अक्षर को देखकर रख देते हैं। इसका प्रयोग पोस्ट आफिस में पोस्ट बाक्स के लिये भी किया जाता है।
(6) शैनन फाइल - फाइलिंग व्यवस्था के तहत शैनन फाइल एक उत्तम फाइल है, इसको व्यवस्थित रखने हेतु एक दराजदार अलमारी की आवश्यकता होती है। बाजार में चार खाने की अलमारी से लेकर 64 खाने तक की अलमारी उपलब्ध रहती है। दराज के बाहरी और दीवार होती है, बाकी तीन तरफ वह खुली रहती है ताकि पत्र आसानी से लगाये जा सकें। दराज के भीतरी ओर दो कीलें होती हैं, जिन पर दो मुडी हुई शलाखें होती हैं। मुड़ी हुई शलाखों को लीवर से आसानी से उठाया जा सकता है।
सूक्ष्म फोटो फाइलिंग या माइक्रो फिल्मिंग
बड़ी कम्पनियाँ अपने मूल्यवान एवं गोपनीय रिकार्ड को स्थायी रूप से सुरक्षित रखने हेतु सूक्ष्म फोटो लेने की रीति अपनाती हैं। इस प्रकार की पद्धति से स्थान व रूपये की बचत होती है। इस प्रकार की पद्धति से रिकार्ड का फोटोग्राफ बहुत तेज रफ्तार से छोटे आकार में लिया जाता है जैसे 5,00,000 औसत आकार के कागजात 125 फिल्म रीलों में परिवर्तित करके दो छोटी दराजों में रखे जा सकते है। कोड और फाइल व्यवस्था से किसी भी रिकार्ड को एक मिनट में निकाला जा सकता है।
हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. भाषा का आदि इतिहास - भाषा उत्पत्ति एवं इसका आरंभिक स्वरूप
2. भाषा शब्द की उत्पत्ति, भाषा के रूप - मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक
3. भाषा के विभिन्न रूप - बोली, भाषा, विभाषा, उप-भाषा
4. मानक भाषा क्या है? मानक भाषा के तत्व, शैलियाँ एवं विशेषताएँ
5. देवनागरी लिपि एवं इसका नामकरण, भारतीय लिपियाँ- सिन्धु घाटी लिपि, ब्राह्मी लिपि, खरोष्ठी लिपि
6. विश्व की प्रारंभिक लिपियाँ, भारत की प्राचीन लिपियाँ
हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. हिन्दू (हिन्दु) शब्द का अर्थ एवं हिन्दी शब्द की उत्पत्ति
2. व्याकरण क्या है? अर्थ एवं परिभाषा, व्याकरण के लाभ, व्याकरण के विभाग
3. व्याकरण का प्रारम्भ, आदि व्याकरण - व्याकरणाचार्य पणिनि
ध्वनि एवं वर्णमाला से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. ध्वनि का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, महत्व, ध्वनि शिक्षण के उद्देश्य ,भाषायी ध्वनियाँ
2. वाणी - यन्त्र (मुख के अवयव) के प्रकार- ध्वनि यन्त्र (वाक्-यन्त्र) के मुख में स्थान
3. हिन्दी भाषा में स्वर और व्यन्जन || स्वर एवं व्यन्जनों के प्रकार, इनकी संख्या एवं इनमें अन्तर
4. स्वरों के वर्गीकरण के छः आधार
5. व्यन्जनों के प्रकार - प्रयत्न, स्थान, स्वरतन्त्रिय, प्राणत्व के आधार पर
ध्वनि, वर्णमाला एवं भाषा से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'अ' से 'औ' तक हिन्दी स्वरों की विशेषताएँ एवं मुख में उच्चारण स्थिति
2. प्रमुख 22 ध्वनि यन्त्र- स्वर तन्त्रियों के मुख्य कार्य
3. मात्रा किसे कहते हैं? हिन्दी स्वरों की मात्राएँ, ऑ ध्वनि, अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग एवं हलन्त के चिह्न
4. वर्ण संयोग के नियम- व्यन्जन से व्यन्जन का संयोग
5. बलाघात या स्वराघात क्या है इसकी आवश्यकता, बलाघात के भेद
7. ध्वनि उच्चारण में 'प्रत्यन' क्या है? प्रयत्नों की संख्या, 'प्रयत्न' के आधार पर हिन्दी व्यन्जन के भेद
8. हिन्दी भाषा के विभिन्न अर्थ
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com





