An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



पाठ 14 नारियल का बगीचा- केरल कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख पद्यांशों का संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या, Prashnottar व भाषा की बात (Hindi Grammar)

केन्द्रीय भाव— विश्व में भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य अनूठा है। इसके उत्तर में कश्मीर है तो दक्षिण में केरल। प्रस्तुत पाठ में केरल राज्य के बारे में लेखक ने विस्तार से वर्णन किया है। केरल के रामकृष्णजी मुम्बई में रहते हैं। वे छुट्टियो में केरल की यात्रा पर जाते हैं। ट्रेन में अधिक भीड़ होने के कारण एक सज्जन उनकी मदद करते हैं। बातों ही बातों में रामकृष्ण केरल की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, लोक-नृत्य, तीज-त्योहार, वन, पशु-संपदा तथा पहनावे आदि की जानकारी ट्रेन में बैठे सह यात्रियों को देते हैं। यात्री भी बड़े चाव से उनकी बातों में रुचि लेते हैं।—संकलित

पाठ 14 नारियल का बगीचा - केरल (सम्पूर्ण पाठ)

मैंने खिड़की से झांककर देखा उफ। वही उबाने वाला एक जैसा सपाट मैदान। कहीं कोई एक-आध वृक्ष ऋषि की तरह चुपचाप धूनी रमाए खड़ा है। सोचता हूँ, कव त्रिवेंद्रम पहुँचूँगा? कब अपनी बिटिया से मिलूँगा? अब तो काफी सयानी हो गई होगी वह।

ट्रेन की गति धीमी हुई। शायद कोई छोटा सा स्टेशन था। एक सज्जन हॉफते-हॉफते कम्पार्टमेन्ट की ओर लपके। उनके दोनों हाथों में अटैची, बिस्तर और न जाने क्या-क्या था। डिब्बे में वैसे कोई ज्यादा भीड़ नहीं थी, पर दरवाजे पर एक पहलवाननुमा लड़का अड़ा हुआ था जो किसी को अन्दर आने नहीं देता था। उन सज्जन ने बड़ी मिन्नतें कीं, पर लड़का टस से मस नहीं हुआ। मुझे दया आ गई। बेचारे कहीं प्लेटफार्म पर ही रह गए और ट्रेन चल पड़ी तो!

मैं अपनी जगह से उठा और बाथरूम जाने के बहाने उस लड़के के पास खड़ा हो गया। लड़का अभी भी उन सज्जन को अन्दर नहीं आने दे रहा था और वे सज्जन थे कि उसी डिब्बे के सामने खड़े इधर से उधर चक्कर लगा रहे थे। मैंने लड़के से कहा, "बेटे, तेरे पिता की उम्र का है। यह आदमी अंदर जाकर कहीं खड़ा रह जाएगा तेरा इसमें बिगड़ता क्या है"?

लड़के ने मुझे जरा गौर से देखा और दरवाजे से हट गया। मैंने उन सज्जन की मदद की समान आदि चढ़वा दिया कंपार्टमेंट में आकर उन्होंने पसीना पोछना शुरू किया और फिर बोले, "आपने मुझ पर बड़ी कृपा की, नहीं तो रात भर इसी प्लेटफार्म पर पड़े रहना पड़ता। मेरा कोई नहीं है। में केरल का हूँ जी।" मैंने सहज आत्मीयता से कहा, "कोई बात नहीं। आप मेरी जगह बैठिए। आप मलयाली होकर अच्छी हिन्दी बोल लेते हैं।" वे बोले, "जी, मै वर्षो मुम्बई में रहा हुॅ। छु‌ट्टियों में अपने वतन केरल जा रहा हूँ। बच्चे पहले जा चुके हैं। आप कहां के है।

"जी, मै रहता तो अहमदाबाद में हूँ, पर ग्रीष्मकालीन शिविर के लिए में भी त्रिवेंद्रम जा रहा हूँ। वैसे वहीं मेरे जमाई रहते हैं, रास्ते में आपका साथ हो जाए‌गा, यह तो मै सोच भी नहीं सकता था। मेने प्रसन्नता से कहा और उनके सामान को जमाने में मदद करने लगा।

वे भी खुश दिखाई देते थे। बोले, "जी, हमारा केरल भारत का नन्दनवन है। आप देखेंगे कि उसका प्राकृतिक सौन्दर्य कश्मीर से जरा भी कम नहीं। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में हुआ। इसलिए उस प्रदेश का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है।"
"लोग केरल को नारियल का बगीचा कहते हैं। क्या आप इसका कारण बताएँगे?" मैंनेबात आगे बढ़ाने की गरज से कहा

अब वे पूरे मूड में थे। बोले, "केरल के पश्चिम में अरब सागर है और उस पूरी पट्टी पर नारियल के कुंज हैं वन हैं। आपको वह पूरा हिस्सा नारियल के विशाल बगीचे की तरह ही दिखाई देगा। नारियल तो हमारा कल्प वृक्ष है। यह एक नहीं, अनेक वस्तुएँ प्रदान करता है। नारियल अमृततुल्य मीठा पानी प्रदान करता है। नारियल की गिरी का साग-सब्जी और चटनी में उपयोग होता है। उसके गोले से तेल निकाला जाता है। भोजन के अतिरिक्त साबुन बनाने और सिर में डालने के लिए इसके तेल का उपयोग होता है। (नारियल के पेड़ के तने का उपयोग पानी की नाली बनाने में होता है। नारियल का वृक्ष रस्सी, मोटे रस्से, चटाई, कूची तथा पायदान जैसी वस्तुएँ बनाने के लिए रेशे प्रदान करता है नारियल के सख्त छिलकों से कटोरे, प्याले तथा चमचे आदि बनाए जाते हैं। मकान बनाने के लिए नारियल की लकड़ी और उसकी छत बनाने के लिए पत्तियों का उपयोग होता है।

केरल में भारी वर्षा होती है। 400 से 500 सेंटीमीटर तक वर्षा होने से हमारा पर्वतीय प्रदेश जंगलों से ढका है। वनो में सागोन, शीशम, रबर और चन्दन के वृक्ष होते हैं। ये वृक्ष कई उद्योगों को जन्म देते हैं।"

अब तक कुछ और लोग भी हमारे पास सिमट आए थे। खिडकी के पास बार भी पेट की जेब में हाथ डाले हमारी सुन रहा था जो उन्हें अन्दर आने से रोक जब यो वह बीच में बोला, "केरल के अपाए जाते हैं। क्या यह सच है?"

वे सज्जन बोले, "हाँ बेटे। हमारे जंगलों में शेर, भेड़िया, रीछ, चीता आदि पशु बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। हाथी भी खूब मिलते हैं। असम की ही तरह उनका उपयोग हमारे यहाँ लकड़ियो को ढोने तथा सवारी करने में होता है।असम की ही तरह हमारे यहां नीलगिरी पर्वत पर चाय के बगीचे हैं। इसके अलावा कालीमिर्च, इलायची, सुपारी तथा नागरवेल भी यहाँ बड़ी मात्रा में पैदा होते हैं।"

मेने सुना है, आपके केरल में रेल बहुत कम है", एक कोने से आवाज आई। ये एक सरदारजी थे जो आगे झुककर हमारी बातें सुन रहे थे।

"जी सरदार जी। केरल में समुद्री किनारों, झीलों, नदियों तथा नहरों के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर नावों से यात्रा की जाती है और यह सरल तथा सुगम भी होती है। वैसे हमारी राजधानी त्रिवेंद्रम से उत्तर की और एक रेलमार्ग जाता है लेकिन हमारे यहाँ रेल बहुत नहीं है। हां, पक्की सड़कें हैं।"

"खाने पीने का क्या हाल है वहाँ?" एक लालाजी अपनी तोंद पर हाथ फेरते हुए बोले ।
"जी चावल हमारा मुख्य भोजन है। हमारे यहाँ चावल की भिन्न-भिन्न वस्तुएँ बनती हैं।
चावल के साथ रसम तथा सांभर भी बनता है। रसम का अर्थ है- इमली का मसालेदार पानी और सांभर का अर्थ है (एक प्रकार की दाल । इडली और डोसा हमारे प्रिय खाद्य पदार्थ हैं। अब तो ये पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए हैं, वे सज्जन बोले।

"आपकी वातों में इडली-डोसे का ही स्वाद आ रहा है", मेने कहा । पूरे डिब्बे में हंसी की एक लहर फैल गई।
एक छोटी बालिका ने अपनी वर्थ पर लेटे-लेटे ही पूछा, "क्या केरल के लोग ऐसे ही कपड़े पहनते हैं जैसे आप पहने हैं?"

"नहीं बिटिया मैं तो 'जैसा देश वैसा वेश' वाली कहावत का पालन करता हूँ। केरल तो मैं भी लुंगी ही पहनता हूँ। हमारे यहाँ गर्मी इतनी अधिक पड़ती है कि बहुत से व्यक्ति लुगी के अतिरिक्त कुछ नहीं पहनते ।यदि पहनते हैं तो ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं। स्त्रियाँ धोती तथा ब्लाउज पहनती हैं। कपड़े भी प्रायः सफेद पहनने का रिवाज है। " वे बोले।
"आपके यहाँ त्योहारों का क्या हाल है? ओणम का नाम सुना तो है, पर और कुछ पता नहीं," मैंने पूछा।

वो पुरे उत्साह और आनंद के भाव को चेहरे पर बिखेरते हुए बोले, "भाई, त्योहारों का कुछ न पुछो। केरल के निवासी उत्सवों के पीछे तो पागल हैं। ओणम हमारा मुख्य त्योहारों है। इस त्योहारो पर घरों को सजाया जाता है। नौका और लक्ष्मी की पूजा की जाती है । तरह-तरह की मिठाइयां बनाई जाती है। इस त्योहार पर नौका प्रतियोगिता होती है। प्रतियोगिता में भाग लेने वाली नौकाएं पानी की लहरों पर नाचती-कूदती दौड़ी चली जाती हैं। इनमें बैठे हुए लोग मीठे स्वरों में गीत गाते जाते हैं।दोनों किनारों पर दर्शकों की अपार भीड़ जमा होती है। इस अवसर हमारे देवताओं की सवारी भी निकलती है जिसमें कई हाथी होते हैं। संगीत और नृत्य के कई कार्यक्रम होते हैं। भाई साहब, केरल के लोग नृत्य और संगीत के बड़े शौकीन हैं। 'कथकली नामक नृत्यकला हमारे यहाँ ही विकसित हुई है जो आज पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इसमें अनेक कथाओं को नृत्य में डाल लिया जाता है। अतः इसे 'कथकली' कहा जाता है।

शायद कोई बड़ा स्टेशन आ गया था। प्लेटफार्म पर काफी शोरगुल था। मैंने खिड़की से तिर निकालकर चाय वाले को बुलाया। फिर उन सज्जन से पूछा, "आप चाय लेंगे या कॉफी अरे, आपने अभी तक अपना नाम नहीं बताया !"

"मेरा नाम रामकृष्ण मेनन है जी। मेरे लिए कॉफी मँगवाइए।"
रामकृष्णजी ने अपने सहयात्रियों को केरल के बारे में और भी बहुत सारी बातें बताई। बातचीत में यात्रा कितनी आसान हो गई पता ही नहीं चला।

शब्दार्थ

आत्मीयता = अपनापन, अपनत्व का भाव।
धूनी रमाना = तपस्या करना।
सख्त = कठोर।
सयाना = समझदार।

पहलवाननुमा = पहलवान जैसा।
टस से मस न होना = जरा भी न हिलना।
गरज = मतलब, आशय।
शोरगुल = कोलाहल।
रिवाज = प्रथा, चलन।

महत्वपूर्ण गद्यांश

(1) हमारा केरल भारत का नन्दनवन है। आप देखेंगे कि उसका प्राकृतिक सौन्दर्य कश्मीर से जरा भी कम नहीं। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में हुआ। इसलिए उस प्रदेश का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है।

संदर्भ— प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक 'भाषा- भारती' के पाठ 'नारियल का बगीचा—केरल' पाठ से ली गई हैं। यह पाठ संकलित है।
प्रसंग— इन पंक्तियों में केरल के विषय में जानकारी दी गई है।

व्याख्या— लेखक का सहयात्री केरल का ही निवासी है। उसने बताया कि केरल बहुत सुन्दर प्रदेश है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से उसे भारत का नन्दनवन कहा जाता है। उसकी प्राकृतिक सुन्दरता इतनी प्रभावकारी है कि धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर भी उससे कम पड़ सकता है। केरल वह प्रांत है जहां आदि शंकराचार्य ने जन्म लिया था। उन्होंने भारतीय धर्म और संस्कृति को महान् बनाया, इसलिए इस प्रदेश का धर्म के क्षेत्र में बहुत बड़ा महत्व है। धर्म और संस्कृति को विकसित करने में इस प्रदेश की भूमिका अति महत्वपूर्ण है।

(2) हमारे जंगलों में शेर, भेड़िया, रीछ, चीता आदि पशु बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। हाथी भी खूब मिलते हैं। असम की ही तरह उनका उपयोग हमारे यहाँ लकड़ियों को ढोने तथा सवारी करने में होता है। असम की ही तरह हमारे यहाँ नीलगिरी पर्वत पर चाय के बगीचे हैं। इसके अलावा कालीमिर्च, इलायची, सुपारी तथा नागरवेल भी यहाँ बड़ी मात्रा में पैदा होते हैं।"

सन्दर्भ— पूर्व की तरह।
प्रसंग— केरल के जंगलों में पाये जाने वाले पशुओं के विषय में बताया गया है तथा उनका उपयोग क्या है, इसे बताते हुए वहाँ की प्रमुख उपजों के बारे में जानकारी दी है।

व्याख्या— केरल के वनों में पाये जाने वाले जंगली पशुओं में शेर, भेड़िया, रीछ, चीता आदि बड़ी संख्या में हैं। वहाँ जंगलों में हाथी भी बड़ी संख्या में मिलते हैं। इन हाथियों को लोग पालते भी हैं। इनसे लकड़ियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोकर ले जाने का काम लिया जाता है। इसके अतिरिक्त इन हाथियों पर सवारी भी करते हैं। जिस तरह असम में हाथियों से लकड़ी ढोने का काम और सवारी करने का काम लिया जाता है, उसी तरह यहाँ भी इन हाथियों का ढुलाई और सवारी के मतलब से अधिक महत्व है। नीलगिरि पर्वत की ढलानों वाली भूमि पर असम की तरह ही चाय की खेती की जाती है। चाय के बड़े क्षेत्रफल में बगीचे हैं। इसके अलावा केरल में कालीमिर्च, इलायची, सुपारी तथा नागरवेल को उगाया जाता है। इनको मसाले व औषधियों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

(3) केरल में समुद्री किनारों, झीलों, नदियों तथा नहरों के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर नावों से यात्रा की जाती है और यह सरल तथा सुगम भी होती है। वैसे हमारी राजधानी त्रिवेंद्रम से उत्तर की ओर एक रेलमार्ग जाता है लेकिन हमारे यहाँ रेल बहुत नहीं हैं। हाँ, पक्की सड़कें हैं।"

सन्दर्भ—पूर्व की तरह।
प्रसंग— केरल में यात्रा के साधनों के बारे में बताया जा है। रहा है।

व्याख्या— केरल समुद्री किनारों से घिरा है, यहाँ झीलें और नदियाँ बहुत हैं। इन नदियों से नहरें निकाली गई हैं। अतः समुद्री किनारों, झीलों, नदियों और नहरों की संख्या बहुत है। इसलिए इनमें नावें चलाकर यात्रा की जाती है। इसलिए यात्रा करने का खर्च भी कम आता है। यह यात्रा बहुत सरल और आसान होती है। केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम है। त्रिवेन्द्रम से उत्तर की ओर के आने वाला मात्र एक ही रेलमार्ग है। केरल में रेल बहुत कम हैं। वहाँ सड़क मार्ग हैं। सड़कें साफ-सुथरी और पक्की हैं।

(4) ओणम हमारा मुख्य त्योहार है। इस त्योहार पर घरों को सजाया जाता है। नौका और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। तरह-तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। इस त्योहार पर नौका प्रतियोगिता होती है।

सन्दर्भ— पूर्व की तरह।
प्रसंग— केरल के त्योहार और खेल आदि के विषय में बताया गया है।

व्याख्या— केरल में त्योहार भी मनाए जाते हैं। उनमें 'ओणम'त्योहार मुख्य है। इस त्योहार के आने से पहले घरों की सफाई की जाती है। उन्हें सजाया जाता है। इस दिन नौका और लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। सच पूछा जाये तो नाव ही उनकी जीविका का मुख्य साधन है। अनेक तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। नौकाओं (नावों) की प्रतियोगिता (मुकाबला परीक्षा) होती है। जो भी नाविक अच्छा नाविक सिद्ध होता है, उसे पुरस्कृत किया जाता है।

अभ्यास

प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए।—
(क) आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ था—
(i) रामेश्वरम् में
(ii) अहमदाबाद में
(iii) केरल में
(iv) मुम्बई में।
उत्तर—(iii) केरल में

(ख) केरल का नृत्य है—
(i) कुचीपुड़ी
(ii) भरतनाट्यम
(iii) कथकली
(iv) भांगड़ा।
उत्तर—(iii) कथकली

(ग) इमली के मसालेदार पानी को केरल में कहते हैं।
(i) रसम
(ii) सांभर
(iii) उत्तपम
(iv) चटनी।
उत्तर—(i) रसम

(घ) केरल के पश्चिम में स्थित है—
(i) हिन्द महासागर
(ii) अरब सागर
(iii) भूमध्य सागर
(iv) बंगाल की खाड़ी।
उत्तर—(ii) अरब सागर।

प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए—
(क) केरल का मुख्य त्योहार ओणम है।
(ख) केरल में निलगिरी पर्वत पर चाय के बगीचे है।
(ग) केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम है।
(घ) रामकृष्ण मेनन केरल के होकर भी अच्छी हिंदी बोलते थे।
(ङ) केरल के लोग नृत्य और संगीत के बड़े शौकीन हैं।

प्रश्न 3. एक या दो वाक्य में उत्तर दीजिए—
(क) रामकृष्ण मेनन का वतन कहाँ था?
उत्तर— रामकृष्ण मेनन का वतन केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम में है।

(ख) लेखक को प्लेटफार्म पर खड़े सज्जन पर दया क्यों आ गई ?
उत्तर— प्लेटफार्म पर खड़े सज्जन पर लेखक को दया इसलिए आ गई कि एक पहलवाननुमा लड़का डिब्बे के दरवाजे में खड़ा होकर उसे डिब्बे में चढ़ने नहीं दे रहा था। गाड़ी चलने वाली थी। उन सज्जन ने अनेक बार मिन्नतें कीं लेकिन उस लड़के ने उस यात्री को चढ़ने नहीं दिया। जब लेखक ने पहल की तो वह बेचारा प्लेटफार्म से डिब्बे में चढ़ सका।

(ग) केरल के वनों में कौन-कौन से वृक्ष होते हैं ? उत्तर— केरल के वनों में सागौन, शीशम, रबर और चन्दन के वृक्ष होते हैं। नारियल का पेड़ उनकी प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
(घ) केरलवासी नारियल को कौन-सा वृक्ष कहते हैं।
उत्तर— केरलवासी नारियल को कल्पवृक्ष कहते हैं।

(ङ) केरल के लोगों का पहनावा कैसा है ? उत्तर— केरल में गर्मी बहुत पड़ती है, इसलिए वहाँ के लोग ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं। वे लुंगी ही पहनते हैं। स्त्रियाँ धोती और ब्लाउज पहनती हैं। उनके कपड़े प्रायः सफेद रंग के ही ज्यादा होते हैं।
(च) 'कथकली' का नाम कथकली क्यों पड़ा?
उत्तर—'कथकली' नामक नृत्य कला में अनेक कथाओं को नृत्य में ढाल लिया जाता है। इसलिए इसे कथकली कहा जाता है।

प्रश्न 4. तीन से पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए—

(क)नारियल के पेड़ की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर— नारियल अमृत के समान मीठा पानी देता है।उसकी गिरी से साग-सब्जी, चटनी बनती है। उसके गोले से तेल विकलता है जो साबुन बनाने और सिर में डालने के काम आता है। इसके तने से पानी की नाली बनती है। उससे रम्मी, मोटे रस्से, बटाई, कैंची पायदान बनाये जाते हैं। नारियल के छिलकों से कटोरे, प्याले, चमचे बनते हैं। इसको लकड़ी से और पत्तियों से मकान की छत बनाई जाती है।

(ख)केरल को भारत का नन्दनवन क्यों कहते हैं?
उत्तर— केरल भारतवर्ष का नन्दनवन है क्योंकि यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता चारों ओर बिखरी पड़ी है, जिस तरह स्वर्ग में नन्दनवन अपनी छटा से देवताओं के मन का रंजन करता रहता हैं, वैसे ही यहाँ के वन समूल में अनेक तरह के पेड़-पौधे पाये बनी जाते हैं। इन पेड़-पौधों ने केरल को प्राकृतिक सुन्दरता दे दी है। रंग-बिरंगे फूलों और चन्दन आदि के वृक्षों की गंध चारों ओर बिखरती रहती है। इसलिए केरल को स्वर्ग का बगीचा नन्दनवन कहा गया है।

(ग) केरल के खान-पान में मुख्य भोजन क्या है ?
उत्तर— केरल के लोगों का मुख्य रूप से भोजन चावल ने ही है। इस चावल से वहाँ भिन्न-भिन्न वस्तुएँ बनाई जाती हैं। चावल के साथ रसम तथा सांभर भी बनता है। रसम एक तरह का मसालेदार पानी होता है और सांभर एक प्रकार की दाल होती है। इडली और डोसा यहाँ के लोगों का खाद्य पदार्थ है।

(घ) 'ओणम' के दिन केरल-वासी क्या करते हैं ?
उत्तर— ओणम के दिन केरलवासी नौका और लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अनेक मिठाइयाँ बनती हैं। नौका प्रतियोगिता होती है। नौकाओं में बैठे लोग मीठे स्वरों में गीत गाते हैं। हाथियों पर देवताओं की सवारी निकाली जाती है। संगीत और नृत्य के कार्यक्रम होते हैं। कथकली नृत्य होता है।

(ङ) केरल में कौन-सी नृत्य कला विकसित हुई ? इसकी क्या विशेषता है ?
उत्तर— केरल कथकली नामक नृत्य कला विकसित हुई है। इस कला की यह विशेषता है कि इसमें अनेक कथाओं को नृत्य में ढाल लिया जाता है। अत: इसे 'कथकली' में कहा जाता है। यह 'कथकली' नृत्य आज पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

प्रश्न 5. सोचिए और बताइए—

(क) 'जैसा देश, वैसा वेश' रामकृष्ण ने ऐसा क्यों कहाँ ?
उत्तर— रामकृष्ण ने 'जैसा देश वैसा वेश' कहावत इसलिए कही कि मनुष्य जिस स्थान और जलवायु वाले प्रदेश में रहता है, तो वह वहाँ के मौसम के अनुकूल अपने वस्त्रों का चुनाव करता है और उन्हें पहनता है। रामकृष्ण लुंगी पहने हुए थे। क्योंकि केरल में गर्मी अधिक होती है, अत: लोग ढीले-ढाले वस्त्र पहनते हैं।

(ख) केरल में ढीले-डाले और सफेद कपड़े क्यों पहने जाते हैं ?
उत्तर— केरल में मौसम गर्म होता है। गर्मी के कारण लोग ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं जिससे उन्हें गर्मी कम लगे। सफेद कपड़ा भी प्राय: गर्मी नहीं देता है। इसलिए वे सफेद कपड़े पहनते हैं।

(ग) रामकृष्ण मेनन 'केरल' को अपना वतन क्यों कहते हैं ?
उत्तर— रामकृष्ण मेनन का जन्म केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम में हुआ है और त्रिवेन्द्रम केरल की राजधानी है। अतः केरल को वे अपना वतन कहते हैं।

(घ) पहलवाननुमा लड़का सज्जन को ट्रेन के अन्दर क्यों नहीं आने दे रहा था ?
उत्तर— पहलवाननुमा लड़का सज्जन को ट्रेन के अन्दर इसलिए नहीं आने दे रहा था कि उस सज्जन के आने देने से डिब्बे में भीड़ हो सकती है। साथ ही वह दरवाजे पर खड़ा होकर प्रकृति के सुन्दर दृश्य देख रहा था। उसे हवा का भी आनन्द मिल रहा था।

प्रश्न 6.अनुमान और कल्पना—

(क) यदि लेखक उस सज्जन को ट्रेन के अन्दर आने में मदद नहीं करते तो उनका क्या होता ?
उत्तर— यदि लेखक उस सज्जन को ट्रेन के अन्दर आने में मदद नहीं करते तो वह बेचारे उसी प्लेटफार्म पर ही रह गए होते। ट्रेन चली जाती। उन सज्जन का कोई भी परिचित वहाँ नहीं था। वह रात भर प्लेटफार्म पर ही पड़ा रहता।

(ख) यदि केरल का मौसम कश्मीर जैसा होता तो वहाँ के जन-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता ?
उत्तर— यदि केरल का मौसम कश्मीर जैसा होता, तो वहाँ का जन-जीवन अब की अपेक्षा बिल्कुल विपरीत होता। उनका खान-पान बिल्कुल भिन्न होता। उनका पहनावा भी ढीला-ढाला न होकर वे कसे हुए वस्त्र पहनते, गर्म कपड़े पहनते। वे रंगीन कपड़े पहनना पसन्द करते। उन लोगों के शरीर का रंग भी गोरा होता। प्राकृतिक परिस्थिति के अनुसार उनका जन-जीवन प्रभावित होकर भिन्न तरह का होता।

भाषा की बात

प्रश्न 1. शुद्ध उच्चारण कीजिए— त्रिवेंद्रम, ग्रीष्मकालीन, कंपार्टमेंट, सेंटीमीटर उत्तर— अपने शिक्षक महोदय मदद से उच्चारण करना सीखिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2. वर्तनी शुद्ध कीजिए—
(i) वृरक्षो (ii) गोर (iii) आतमियता (iv) हाफते,(v) पतीयो (vi) कार्यकरम।
उत्तर— (i) वृक्षों (ii) गौर (ii) आंत्मीयता, (vi) हाँपते (v) पत्तियों, (vi) कार्यक्रम।

प्रश्न 3. 'ता' प्रत्यय जोड़कर पाँच नए शब्द बनाइए।
उत्तर— (1) सहजता (2) सरलता (3) कठिनता (4) तरलता (5) मलिनता (6) गहनता (7) समीपता।

प्रश्न 4. 'इक' प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए।
(1) संस्कृत (2) संसार (3) समाज (4) प्रकृति (5) धर्म।
उत्तर—(1) संस्कृत + इक = सांस्कृतिक
(2) संसार + इक = सांसारिक
(3) समाज + इक = सामाजिक
(4) प्रकृति + इक = प्राकृतिक
(5) धर्म + इक - धार्मिक।

प्रश्न 5. नीचे लिखे शब्दों में तत्सम एवं तद्भव शब्द पहचान कर लिखिए—
रात, पितृ, बहन, नाच, बानर, रस्सी, पिता, भगिनी, नृत्य, बंदर, चाँद, रज्जु, चन्द्रमा, रात्रि।
तत्सम शब्द—पितृ , रात्रि, भगिनी, नृत्य, वानर, रज्जू, चंद्रमा।
तद्भव शब्द— पिता, रात, बहन, नाच, बंदर, रस्सी, चांद।

प्रश्न 6. दिए गए सर्वनाम से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए—
(मेरी, वह, मुझे, मैं, मैंने।)
(क) मैंने उन सज्जन की मदद की।
(ख) मैं अपनी जगह से उठा।
(ग) मुझे उन पर दया आ गई।
(घ) आप मेरी जगह पर बैठिए।
(ड) खिड़की पर खड़ा वहनवयुवक हमारी बातें सुन रहा था।

कक्षा 6 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़े।
1. पाठ 1 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' कविता का भावार्थ (पद्यांशों की संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या)
2. पाठ 1 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' सम्पूर्ण अभ्यास (प्रश्नोत्तर) व भाषा अध्ययन
3. पाठ 2 'कटुक वचन मत बोल' कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
4. प्रायोजनाकार्य- विजयी विश्व तिऱंगा प्यारा
5. पाठ 3—'हार की जीत' कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
6. पाठ 4—'अपना हिन्दुस्तान कहाँ है' कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख पद्यांशों का संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर व व्याकरण
7. पाठ 5 'व्याकरण परिवार' कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर व व्याकरण
8. पाठ 6 'विजय गान 'कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख पद्यांशों का संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर व व्याकरण
9. कक्षा छठवीं हिंदी विविध प्रश्नमाला एक समस्त प्रश्नों की सटीक उत्तर
10. पाठ 7 हम बीमार ही क्यों हों? गद्यांश, प्रश्नोत्तर

कक्षा 6 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़े।
1. पाठ 8 संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास गद्यांशों के अर्थ एवं प्रश्न उत्तर
2. पाठ 9 पद और दोहे कक्षा 6 हिन्दी भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
3. पाठ 10 क्या ऐसा नहीं हो सकता? गद्यांश एवं प्रश्नोत्तरी
4. पाठ 11 झाँसी की रानी सप्रसंग व्याख्या एवं संपूर्ण प्रश्न उत्तर
5. पाठ 12 डॉ. होमी जहाँगीर भाभा प्रश्नोत्तर व सम्पूर्ण अभ्यास
6. पाठ 13 बसंत पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर
7. विविध प्रश्नावली कक्षा छठवीं विषय हिंदी संपूर्ण प्रश्नों के सटीक उत्तर

कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पद्य पाठों को भी पढ़े।
1. पाठ 1 वर दे ! कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 वर दे ! अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
3. Important प्रश्न व उनके उत्तर पाठ 1 'वर दे' (हिन्दी 8th) के अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा/मूल्यांकन 2023-24
4. उपमा अलंकार एवं उसके अंग
5. पाठ 6 'भक्ति के पद पदों का भावार्थ एवं अभ्यास
6. पाठ 11 'गिरधर की कुण्डलियाँ' पदों के अर्थ एवं अभ्यास
7. पाठ- 13 "न यह समझो कि हिन्दुस्तान की तलवार सोई है।" पंक्तियों का अर्थ एवं अभ्यास
8. पाठ 16 'पथिक से' कविता की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर, भाषा अध्ययन (व्याकरण)

कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. पाठ 2 'आत्मविश्वास' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
2. पाठ 3 मध्य प्रदेश की संगीत विरासत― पाठ के प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन
3. पाठ 4 अपराजिता हिन्दी (भाषा भारती) प्रश्नोत्तर एवं भाषाअध्ययन
4. पाठ–5 'श्री मुफ़्तानन्द जी से मिलिए' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन)
5. पाठ 7 'भेड़ाघाट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
6. पाठ 8 'गणितज्ञ ज्योतिषी आर्यभट्ट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर और व्याकरण)
7. पाठ 9 बिरसा मुण्डा अभ्यास एवं व्याकरण
8. पाठ 10 प्राण जाए पर पेड़ न जाए अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
9. पाठ 12 याचक एवं दाता अभ्यास (बोध प्रश्न एवं व्याकरण)
10. पाठ 14 'नवसंवत्सर' कक्षा 8 विषय- हिन्दी || परीक्षापयोगी गद्यांश, शब्दार्थ, प्रश्नोत्तर व व्याकरण
11. पाठ 15 महेश्वर कक्षा 8 विषय हिन्दी ― महत्वपूर्ण गद्यांश, शब्दार्थ, प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

पाठ 18 परमानंद माधवम् | कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या | सम्पूर्ण अभ्यास (प्रश्नोत्तर व व्याकरण)

इस लेख में कक्षा 6 विषय हिन्दी के पाठ 18—'परमानंद माधवम' के प्रमुख गद्यांशों का संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या के साथ प्रश्नोत्तर व व्याकरण की जानकारी दी गई है।

Read more

पाठ 17 संकल्प कक्षा 6 हिन्दी विशिष्ट सम्पूर्ण पाठ एवं पद्यांशों का संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या, अभ्यास (प्रश्नोत्तर व व्याकरण / भाषा अध्ययन) | Path 17 Sankalp

इस लेख में कक्षा 6 विषय हिन्दी के पाठ 17 'संकल्प' के प्रमुख पद्यांशों का संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या के साथ प्रश्नोत्तर व व्याकरण की जानकारी दी गई है।

Read more

पाठ 16— श्रम की महिमा सम्पूर्ण कविता एवं व्याख्या | कक्षा 6 हिन्दी विशिष्ट पद्यांशों की संदर्भ व सप्रसंग व्याख्या, प्रश्नोत्तर व भाषा अध्ययन (व्याकरण) | Path 15 Shram ki Mahima

इस भाग में पाठ 16—'श्रम की महिमा' कविता एवं कविता की व्याख्या कक्षा 6 हिन्दी विशिष्ट पद्यांशों की संदर्भ व सप्रसंग व्याख्या, प्रश्नोत्तर व भाषा अध्ययन (व्याकरण) की जानकारी दी गई है।

Read more

Follow us

Catagories

subscribe