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Path 12 Dr. Homi Jahagir Bhabha (डाॅ. होमी जहांगीर भाभा) कक्षा 6 हिन्दी प्रमुख गद्यांशों का संदर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर व भाषा अध्ययन

केन्द्रीय भाव— प्रस्तुत पाठ में भारत के वैज्ञानिक डॉ. होमी जहागीर भाभा के जीवन से सम्बंधित जानकारी दी गई है। डॉ.भाभा ने अणुशक्ति का प्रयोग शान्तिपूर्ण व रचनात्मक कार्यों में किए जाने पर बल दिया। उनकी रुचि अन्य क्षेत्रों में भी थी। इनका व्यक्त्वि सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है।

सम्पूर्ण पाठ परिचय

संसार के अनेक देशों में आजकल अणु-शक्ति का खुब उपयोग किया जा रहा है। हमारे देश में भी अणु शक्ति का काफी विकास हुआ है। अनु शक्ति का विकास करने वाले प्रथम भारतीय उज्ञानिक का नाम है—डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा।

डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूवर, सन् 1909 को मुबई के एक पढ़े-लिखे, सम्पन्न पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री जे. एस. भाभा था। वे मुंबई के प्रसिद्ध वैरिस्टर थे। भाभा बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे। विज्ञान की पढ़ाई के लिए उनके मन में बहुत रुचि थी। डॉक्टर बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्हें बचपन में नींद नहीं आती थी। वे प्रायः रोते रहते थे। उनके पिता को इसकी बहुत चिता हुई। उन्होंने डॉक्टरों से सलाह ली। लेकिन कोई समाधान न मिलने पर परेशान होकर उन्होंने एक उपाय खोजा जो कारगर सिद्ध हुआ। डॉक्टर भाभा के साबने ग्रामोफोन बजाया जाने लगा। ग्रामोफोन सुनकर उनका ध्यान बट जाता और वे चुप हो जाते। इसका फल यह हुआ कि उन्हें संगीत से विशेष लगाव हो गया जिससे वे आजीवन संगीत-प्रेमी बने रहे।

डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा की प्रारंभिक पढ़ाई मुंबई के कैथेडृल और जॉनकैनन हाइस्कूल में हुई। वे पढ़ने में तेज तो थे ही, उन्होंने 15 वर्ष की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। उनके पिताजी उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए यूरोप भेजना चाहते थे. परन्तु उनकी उम्र कम होने के कारण यह संभव न हो सका। उन्होंने सीनियर एलफिस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया। उसके बाद उन्हें रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में दाखिल कराया गया। वहां से उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से ई.एम.सी. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। मुंबई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड चले गए। वहाँ इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण कर उन्हाने अपनी असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया।

डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा का इंजीनियरिंग के साथ साथ गणित और भौतिक विजान से अत्यधिक प्रेम था। इन विषयों के अध्ययन के लिए वे केम्ब्रिज के केयस कोलेज में प्रविष्ट हुए। कैम्ब्रिज में पढ़ते समय ही उन्हें यूरोप के विभिन्न देशों में जाकर विद्युत एवं चुम्बक संबंधी बातों के अतिरिक्त कॉस्मिक किरण की मौलिक खोजों के संबंध में भाषण करने का अवसर मिला जिससे उनकी ख्याति फैलने लगी। सन् 1941 में उन्हें पी-एच डी की उपाधि मित्री। अपनी शिक्षा एवं अध्ययन पूर्ण कर वे भारत लौट आए और भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलुरु में रीडर नियुक्त हुए। इसके बाद वे कॉस्मिक किरण संशोधन केंद्र में प्रोफेसर बने। कॉस्मिक किरणों के अनुसंधान के फलस्वरूप उन्हें लंदन की रॉयल सोसायटी का फैलो चुना गया। देश-विदेश में काफी नाम हो जाने से विभिन्न विश्वविद्यालयों ने उन्हें डी. एस-सी. की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया।

सन् 1951 में वे भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और भारत सरकार ने सन 1954 में उन्हें पद्म-भूषण की पदवी से अलंकृत किया। उसी वर्ष वे अणु-शक्ति के निर्माणकारी उपयोग के सिलसिले में जिनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। डॉक्टर भाभा अणु-शक्ति से अणुवम बनाने के पक्ष में नहीं थे। अणुबम से लाखों लोगों की जान चली जाती है इसलिए वे अणु-शक्ति का प्रयोग शांतिपूर्ण, रचनात्मक कार्यों के लिए करना चाहते थे। अणु-शक्ति का रचनात्मक प्रयोग करने के लिए उनके अनुरोध पर मुंबई में सर दोराबजी-टाटा ट्रस्ट द्वारा "टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च" नामक संस्था स्थापित की गई। अव वे बैंगलुरु छोड़कर इस रिसर्च संस्था के डायरेक्टर बनकर मुंबई आ गए। उन्होंने अपना सुझाव प्रस्तुत करते हुए उस ट्रस्ट को लिखा था- "इस संस्था को स्थापित करके में भौतिक विज्ञान का एक सर्वोत्तम स्कूल चलाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि आने वाले वर्षों में आणविक शक्ति के कार्यों के लिए भारत को दूसरों का मुँह न ताकना पड़े।"

डॉक्टर भाभा अणु-शक्ति कमीशन के अध्यक्ष रहे। वे भारत सरकार के अणु-शक्ति विभाग के सचिव के साथ-साथ अणु-शक्ति शोध संस्थान, ट्रॉम्बे के संचालन का काम भी देखते थे। ट्रॉम्बे का अणु-शक्ति केंद्र उनकी एक महान कृति है। इसके निर्माण से भारत में वैज्ञानिक प्रगति का मार्ग खुल गया। आज यह केंद्र संसार के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक संस्थानों में से एक है।

डॉक्टर भाभा वैज्ञानिक होने के साथ-साथ संगीत प्रेमी तो थे ही, उन्हें नृत्य एवं चित्रकला में भी रुचि थी। उनके बनाए चित्र आज भी उनकी कला की याद दिलाते हैं। उनके माता-पिता उन्हें बचपन में चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे। एक वार उन्होंने गोशाला की गाय और बछड़े का सुन्दर चित्र बनाया जिसकी लोगों ने सराहना की। एक प्रसिद्ध चित्रकार ने तो उसे देखकर कहा था—" यह बालक एक दिन महान कलाकार बनेगा।" बाद में उन्हें चित्रकला की शिक्षा दिलाई गई। उनकी कलात्मक रुचि का ही परिणाम है कि ट्राम्बे के अणु-शक्ति संस्थान में बगीचे एवं पौधों की सजावट सौन्दर्यपूर्ण एवं कलापूर्ण दिखाई देती है। टाटा इंस्टीट्यूट की गेलरियों तथा कमरों में सजे चित्र एवं वहां के उपवन उनकी वैज्ञानिकता कलात्मकता के सुन्दर संगम हैं।

डॉक्टर भाभा का जीवन अत्यन्त सरल एवं उदार था। वे सदैव दूसरों को बढ़ावा देते रहते थे और उन्हें भरपूर सहायता भी करते। उनकी एकमात्र इच्छा थी कि भारत विज्ञान के क्षेत्र में निरन्तर आगे बढ़े।

24 जनवरी, 1966 को भारतीय विमान सेवा का 'कंचन जंघा' नामक जेट विमान मुम्बई से जिनेवा जा रहा था। डॉक्टर भाभा उसी विमान से यात्रा कर रहे थे। जिनेवा के पास एक बहुत ऊँचा पहाड़ है 'माउंट ब्लॉक'। इसी पहाड़ से टकराकर विमान गिर गया। इस दुर्घटना में भाभा की मृत्यु हो गई। भारतीय विज्ञान का एक प्रकाशमान दीप सदैव के लिए बुझ गया।

भारत के इस महान सपूत की स्मृति में ट्रॉम्बे के अणु-शक्ति केन्द्र का नाम बदलकर 'भाभा अणु-शक्ति अनुसन्धान केन्द्र' कर दिया गया। डॉ. भाभा आज भले ही हमारे बीच न हो परन्तु उन्होंने विज्ञान जगत को जो अमूल्य योगदान दिया है उससे भावी वैज्ञानिकों को सदा। मार्गदर्शन मिलता रहेगा।

शब्दार्थ

कुशाग्र = तीक्ष्ण बुद्धिवाला, होशियार।
आजीवन = जीवन पर्यन्त।
रीडर = प्रवाचक।
पदवी = उपाधि।
अलंकृत = सुशोभित।
डायरेक्टर = निदेशक।
प्रोत्साहित = खूब हिम्मत बढ़ाना।
सराहना = प्रशंसा करना।
उपवन = बगीचा।
संगम = मिलन।
शोक-सागर = दुःख का समुद्र।
सपूत = योग्य पुत्र।
अमूल्य = जिसका मूल्य न आँका जा सके।
समाधान = हल।
कारगर = प्रभावी।
प्रविष्ट = प्रवेश किया हुआ।
ख्याति = कीर्ति।
मुँह ताकना = सहायता के लिए दूसरो की अपेक्षा करना।

टिप्पणी—
बैरिस्टर— विधिज्ञ, कानून को जानने वाला, जिसकी योग्यता व प्रतिष्ठा वकीलों से बढ़कर हो।
अणु— पदार्थ का छोटा भाग, अणु का विभाजन परमाणुओं में होता है।

गद्यांशों की व्याख्या

(1) डॉक्टर भाभा अणु-शक्ति से अणुबम बनाने के पक्ष में नहीं थे। अणुबम से लाखों लोगों की जान चली जाती है। इसलिए वे अणु-शक्ति का प्रयोग शांतिपूर्ण, रचनात्मक कार्यों के लिए करना चाहते थे।

सन्दर्भ— प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'भाषा भारती' के 'डॉ. होमी जहाँगीर भाभा' नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक डॉ. सुखदेव दुबे व अन्य लेखकगण हैं।
प्रसंग— प्रस्तुत गद्यांश में डॉ. भाभा की दूरदर्शिता का वर्णन किया गया है।

व्याख्या— डॉ. होमी जहाँगीर भाभा 'अणु' की शक्ति को पहचानते थे। साथ ही, वह यह भी जानते थे कि 'अणुबम' के रूप में इसकी ताकत का गलत उपयोग, मानव सभ्यता के लिए काफी खतरनाक होता है। अणुबम के विध्वंस से पलभर में हजारों-लाखो जिन्दगियाँ काल के गाल में समा जाती हैं। अत: वे अणु-शक्ति । का सही उपयोग करके इस विलक्षण 'ऊर्जा' को मानव की सेवा में तथा शांतिपूर्ण एवं रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहते थे।

(2) उनकी कलात्मक रुचि का परिणाम है कि ट्राम्बे के अणु-शक्ति संस्थान में बगीचे तथा पौधों की सजावट सौन्दर्यपूर्ण एवं कलापूर्ण दिखाई देती है। टाटा इंस्टीट्यूट की गैलरियों तथा कमरों में सजे चित्र एवं वहाँ के उपवन उनकी वैज्ञानिकता एवं कलात्मकता के सुन्दर संगम हैं।

संदर्भ— पूर्व की तरह।
प्रसंग— प्रस्तुत पंक्तियों में डॉ. भाभा की कलात्मकता एवं रुचियों का वर्णन किया है।

व्याख्या— डॉ बाबा के अंदर कला के प्रति रुझान था। जिसका नतीजा यह है कि उन्होंने अणुशक्ति केन्द्र ट्राम्बे में एक बगीचा विकसित किया है। इस बगीचे को अनेक पेड़-पौधों से सुन्दर बनाया है, उसकी सजावट में इन्हीं पौधों को विशेष महत्व है। यह सजावट अति कलापूर्ण है। टाटा इन्स्टीट्यूट की गैलरियों और अन्य कमरों की सजावट भी चित्रों द्वारा की गई है। ये चित्र भी डॉ. भाभा की कलात्मक रुचि को प्रकट करते हैं। वहाँ के बगीचे और समीप वाले उपवनों के विकास में वैज्ञानिकता झलकती है और उनको कला का अनोखा जोड़ है, मिश्रण है। इस तरह डॉ बाबा की वैज्ञानिकता में उनकी कलात्मकता का योग बेजोड़ है।

(3) भारत के इस महान सपूत की स्मृति में ट्रॉम्बे के अणु-शक्तिकेन्द्र का नाम बदलकर 'भाभा अणु-शक्ति अनुसन्धान केन्द्र कर दिया गया। डॉ. भाभा आज भले ही हमारे बीच न हीं परन्तु उन्होंने विज्ञान जगत को जो अमूल्य योगदान दिया है उससे भावी वैज्ञानिकों को सदा मार्गदर्शन मिलता रहेगा।

सन्दर्भ— पूर्व की तरह।
प्रसंग— डॉ. भाभा के द्वारा विज्ञान जगत के लिए किए गए कार्यों का महत्व बताया गया है।

व्याख्या— डॉ. भाभा भारत के बहुत बड़े महत्वपूर्ण पुत्र थे। वे आज इस दुनिया में हमारे बीच नहीं हैं, परन्तु विज्ञान के संसार में उन्होंने जो भी हमारे लिए किया है, उसका महत्व महान है विज्ञान जगत में किया गया उनका कार्य बेजोड़ है उनकी यादगार के लिए ही ट्रॉम्बे के अणुशक्ति केन्द्र का नाम बदल दिया है और उसका नाम भाभा अणु-शक्ति अनुसन्धान केन्द्र, कर दिया गया है। उनके वैज्ञानिक प्रयोगों और खोजों से भविष्य के वैज्ञानिकों को उस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए दिशा-निर्देशन मिलेगा और मानवता की भलाई होती रहेगी। संसार में सुख-समृद्धि होती रहेंगी।

अभ्यास

प्रश्न 1 सही विकल्प चुनकर लिखिए—
(क) भाभा अणु-शक्ति संस्थान स्थित है—
(i) चेन्नई में
(ii) ट्राम्बे में
(iii) इंग्लैण्ड में
(iv) जिनेवा में।
उत्तर— (ii) ट्रांबे में

(ख) डॉ. भाभा को पी-एच.डी की उपाधि मिली—
(i) 1941 में
(ii) सन् 1947 में
(iii) सन् 1951
(iv) सन् 1966 में।
उत्तर— (i) 1941 में

प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए—
(क) डॉ. भाभा के पिता का नाम श्री .जे.एस.भाभा था।
(ख) डॉ.भाभा ग्रामोफोन से संगीत सुनते थे।

प्रश्न 3. एक या दो वाक्यों में उत्तर दीजिए—
(क) भारत में अणु शक्ति का विकास किसने किया?
उत्तर— भारत में अणु शक्ति का विकास प्रथम वैज्ञानिक डॉ० होमी जहाँगीर भाभा ने किया।

(ख) विज्ञान में रुचि के अलावा डॉ. भाभा की और कौन-कौन सी विशेषताएँ थीं ?
उत्तर— डा० भाभा को गणित और भौतिक विज्ञान से अति प्रेम था, उन्होंने विद्युत एवं चुम्बक सम्बन्धी बातों के अतिरिक्त कॉस्मिक किरण की मौलिक खोजों पर भाषण दिए। उन्हें संगीत, नृत्य एवं चित्रकला से भी भारी लगाव था। वे पेड़-पौधों और बगीचों के बड़े शौकीन थे।

(ग) डॉ. भाभा की एकमात्र इच्छा क्या थी?
उत्तर— डॉ. भाभा की एकमात्र इच्छा थी कि भारत को आने बाले वर्षों में आणविक शक्ति के कार्यों के लिए दूसरों का मुँह न ताकना पड़े।

(घ) चित्रकार ने डॉ. भाभा के बनाए चित्र को देखकर क्या कहा था?
उत्तर— चित्रकार ने डॉ. भाभा के बनाए चित्र को देखकर कहा था कि एक दिन यह बालक महान कलाकार बनेगा।

(ङ) अणुशक्ति के रचनात्मक प्रयोग के लिए कौन-सी संस्था स्थापित की गई?
उत्तर— अणुशक्ति के रचनात्मक प्रयोग के लिए मुम्बई में सर दोराबजी-टाटा ट्रस्ट द्वारा "टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फंडामेन्टल रिसर्च" नामक संस्था स्थापित की गई।

तीन से पाँच वाक्यों वाले प्रश्न

प्रश्न 4. तीन से पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए—
(क) डॉ. भाभा को संगीत के प्रति लगाव कैसे विकसित हुआ?
उत्तर— डा भाभा को बचपन मे नींद नहीं आती थी। वे प्राय: रोते रहते थे। इससे पिता को बड़ी चिन्ता लग गई उन्होंने डॉक्टर की सलाह ली। उनकी सलाह पर डा भाभा के सामने ग्रामोफोन बजाया जाने लगा। इससे उनका ध्यान बट जाता और वे चुप हो जाते थे। फलतः उनको संगीत के प्रति लगाव हो गया।

(ख) अणुशक्ति के बारे में डॉ. भाभा के क्या विचार थे?
उत्तर — डॉ भाभा अणुशक्ति से अणुबम बनाने के पक्ष में नहीं थे।अणुबम से लाखों लोगों की जान चली जाती है। इसलिए, वे अणुशक्ति का प्रयोग शांतिपूर्ण एवं रचनात्मक कार्यों के लिए करना चाहते थे।

(ग) डॉ. भाभा की शिक्षा कहाँ-कहाँ हुई?
उत्तर— मुंबई विश्वविद्यालय से ई.एम.सी. की परीक्षा पास करके वे आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करके गणित और भौतिक विज्ञान को शिक्षा के लिए उन्होंने कैम्ब्रिज केयस कॉलेज में प्रवेश लिया। उसी मध्य उन्होंने यूरोप के विभिन्न देशों में जाकर विद्युत एवं चुम्बक तथा कॉस्मिक किरण की मौलिक खोज पर अपने भाषण दिए। उन्हें लन्दन की रॉयल सोसाइटी का फैलो चुना गया। पी-एच. डी. तथा डी.एस-सी की उपाधियाँ विभिन्न विश्वविद्यालयों से प्राप्त हुईं।

(घ) डॉ. भाभा की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर— 24 जनवरी, 1966 को भारतीय विमान सेवा का 'कंचनजंघा' नामक जेट विमान मुम्बई से जिनेवा जा रहा था। इसी विमान से डॉ. भाभा भी यात्रा कर रहे थे। जिनेवा के पास एक बहुत ऊँचा पहाड़ है 'माउन्ट ब्लॉक' इस पहाड़ से वह विमान टकरा कर गिर गया। इस दुर्घटना में डॉ. भाभा की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 5. सोचिए और बताइए—

(क) अणुशक्ति का प्रयोग विकास के कार्यों में किस प्रकार हो सकता है?
उत्तर— अणुशक्ति के प्रयोग से बिजली प्राप्त की जा सकती है। इंजन चलाए जा सकते हैं। कल-कारखानों की बड़ी-बड़ी मशीनें चलाई जा सकती हैं। उजाला किया जा सकता है। रेल- गाड़ियाँ चलायी जा सकती हैं। खेती के लिए विद्युत से पानी खींचा जा सकता है। अणुशक्ति से अनेक रोगों के इलाज में सहायता मिल सकती है लोगों के लिए अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों से इससे ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है आवागमन स्वच्छता चिकित्सा आदि संबंधी सुविधाएं ली जा सकती है।

(ख) किसी कार्य से ध्यान बटाने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर— ऐसे अनेक कार्य है जिनके द्वारा किसी काम से ध्यान हटाया जा सकाता है, जैसे― (1) संगीत सुनना (2) चित्रकारी करना (3) पेड़ पौधों की सिंचाई-गुड़ाई करना व कलात्मक क्रियाएँ करना, (4) शास्त्रीय और आधुनिक संगीत सीखना तथा (5) प्राकृतिक रूप से आकर्षक स्थलों पर घूमना-फिरना।

(ग) विमान दुर्घटनाएँ किन-किन कारणों से हो सकती?
उत्तर— विमान दुर्घटनाएँ प्राय: इंजन में खराबी होने से हो सकती, हैं। परन्तु कभी-कभी पर्वतीय क्षेत्रों के मध्य से या ऊपर से गुजरने पर उन स्थलों की बनावट व ऊँचाई का सही ज्ञान न होने पर दुर्घटना होती है। आकाश में उड़ते पक्षियों से टकराने से विमान असन्तुलित होकर गिर जाते हैं। इंजन में आग लग जाती है। पेट्रोल ट्रैक के अचानक फट जाने से भी दुर्घटना होती है।तेज तूफान आने पर कुहरा या धुंध छाये रहने से दृष्टिबाधित होने की स्थिति में विमान दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। रडार यंत्र की खराबी से विमान सम्पर्क टूट जाने पर विमान भटक कर टकरा जाते हैं और दुर्घटनाएँ हो जाती हैं।

प्रश्न 6 अनुभव और कल्पना

अनुभव और कल्पना के आधार पर उत्तर दीजिए—
(क) यदि 15 वर्ष की आयु में ही डॉ. होमी जहाँगीर भाभा को यूरोप में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल जाता तो उनके व्यक्तित्व में क्या परिवर्तन होते ?
उत्तर— यदि 15 वर्ष की आयु में ही डॉ. भाभा को यूरोप में शिक्षा के लिए भेज दिया जाता तो वे थोड़े समय में ही विज्ञान सम्बन्धी शिक्षा प्राप्त करके भारत लौट आते और अपनी प्रशंसनीय सेवाओं को देश को समर्पित करते। देश विविध क्षेत्रों में प्रगति करता और विश्व में अपने विकास से एक विशेष स्थान बना पाता।

(ख) यदि डॉ. भाभा का दुर्घटना में निधन नहीं होता तो अणुशक्ति के उनके शान्तिपूर्ण प्रयासों का विश्व पर क्या प्रभाव पड़ता?
उत्तर— यदि डॉ. भाभा का दुर्घटना में निधन नहीं होता तो उनकी अणुशक्ति के शान्तिपूर्ण प्रयासों का विश्व पर यह प्रभाव पड़ता कि उस शक्ति का विनाशकारी रूप (बम) के निर्माण में प्रयोग नहीं किया जाता। देशों में अपनी सुरक्षा के नाम पर बनने वाले विध्वंसक यंत्र नहीं बनते। विश्व में पर्यावरणीय समस्या नहीं आती। पानी-हवा आदि स्वच्छ रहते। अनेक रोगों से मुक्ति मिलती। विश्व के देश अपेक्षाकृत विकसित होते, सुख और शान्ति होती। लोग समृद्ध, स्वस्थ और सुखी होते।

भाषा की बात

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण करें —अंतर्राष्ट्रीय, ट्रॉम्बे, अलंकृत, सौंदर्यबोध, संस्थान।
उत्तर— अपने अध्यापक महोदय के सहयोग से शुद्ध उच्चारण कीजिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2 पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर— अणु-शक्ति, पढ़े-लिखे, संगीत-प्रेमी।

प्रश्न 3 निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए—
(i) संसार, (ii) बगीचा, (iii) दीपक (iv) पथ।
उत्तर—(i) संसार— जग, जगत, विश्व, दुनिया।
(ii) उपवन— बाग, बगीचा।
(iii) दीप— दीया, दीपक।
(iv) मार्ग— पथ, राह, रास्ता।

प्रश्न 4. दिए गए शब्दों में—त्व, इत, ईय प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए—
प्रभु, पशु, नारी, पुष्प, सम्मान, प्रभाव, दर्शन, राष्ट्र, भारत।
उत्तर—(i) प्रभु + त्व = प्रभुत्व।
पशु + त्व = पशुत्व।
नारी + त्व = नारीत्व।
(ii) पुष्प + इत =पुष्पित।
सम्मान + इत = सम्मानित।
प्रभाव + इत = प्रभावित।
(iii) दर्शन + ईय = दर्शनीय।
राष्ट्र + ईय = राष्ट्रीय।
भारत + ईय = भारतीय।

प्रश्न 5. उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाइए—
उपसर्ग—अ, सु ,दर।
शब्द— शुभ, ज्ञान, सभ्य, पथ, गंध, सुसंस्कृत, लोग, पथ गुण
उत्तर—(1) अ + शुभ = अशुभ।
अ + ज्ञान = अज्ञान।
अ + सभ्य = असभ्य।
(ii) सु + मार्ग = सुमार्ग।
सु + गंध = सुगंध।
सु + संस्कृत = सुसंस्कृत।
(iii) दुर + जन = दुर्जन।
दुर + गति =दुर्गति।
दुर + गुण = दुर्गुण।

प्रश्न 6. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए—
(i) घर, (ii) खेत, (iii) लाज।
उत्तर— (i) घर = गृह
(ii) खेत = क्षेत्र
(iii) लाज = लज्जा।

प्रश्न 7. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए—
(1) अणु-शक्ति (2) संगीत-प्रेमी (3) वैज्ञानिक,(4) सपूत।
उत्तर—(1) अणुशक्ति— डॉ. भाभा ने अणु-शक्ति का प्रयोग विकास और शान्ति के कार्यों के लिए उपयोग करने की सलाह दी।
(2) संगीत-प्रेमी— डॉ. भाभा बचपन से ही संगीत-प्रेमी थे।
(3) वैज्ञानिक— विश्व के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों द्वारा डॉ. भाभा को स्मरण किया जाता है।
(4) सपूत— डॉ. भाभा भारत माता के वह सपूत थे जिन्होंने सदैव चाहा कि अणुशक्ति का उपयोग केवल मानव कल्याण के लिए किया जाये।

प्रश्न 8. निम्नलिखित वाक्यों में से मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया छाँटकर लिखिए—
(क) गोपाल स्कूल जाता है। (ख) वह पुस्तक पढ़ चुका है।(ग) सीता पत्र लिख रही है। (घ)राम स्कूल गया था।
उत्तर—(क) 'जाना' मुख्य क्रिया, 'है' सहायक क्रिया।
(ख) 'पढ़ना' मुख्य क्रिया. 'है' सहायक क्रिया।
(ग) 'लिखना' मुख्य क्रिया, 'है' सहायक क्रिया।
(घ) 'जाना' मुख्य क्रिया, 'था' सहायक क्रिया।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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