उद्योतन सामग्री क्या होती है? सामग्री के प्रमुख उदाहरण
What is Uddyotan Samagri (Stimulating Material) content? Major examples of content material
■■ उद्योतन का अर्थ (Meaning of Udyotan) :-
उद्योतन का अर्थ है, प्रकाशित होना, चमकना या किसी चीज को प्रकटीकरण/प्रस्तुतिकरण होना।
(Udyotana means to be illuminated, shined or disclosed / presented to something.)
वह सामग्री जिसका उपयोग एक शिक्षक छात्रों की कल्पना को प्रखर करने हेतु, उनके विचारों को उत्प्रेरित करने के लिए, भावनाओं को उद्दीप्त करने के लिए करता है, उसे उद्दोतन सामग्री कहा जाता है। शिक्षक अध्यापन के वक्त बालक की श्रवणेन्दिद्रयों को ही नहीं वरन् अन्य इन्द्रियों को भी प्रशिक्षित करता है।
(The material that a teacher uses to spark the imagination of students, to stimulate their thoughts, to stimulate emotions, is called stimulating material. The teacher not only trains the child's hearing while teaching but also other senses.)
जैसे- एक शिक्षक के लिए चित्र विस्तारक यंत्र, मैजिक लैण्टर्न, फिल्म प्रोजेक्टर आदि सहायक सामग्री है, इनकी मदद से ही अध्यापक शिक्षण बिंदुओं को, प्रत्ययों को स्पष्ट और सुदृढ़ बनाता है। किंतु वे चित्र जिनको वह कक्षा में प्रदर्शित करता है। वे चित्र ही छात्रों की कल्पना को जागृत करते हुए भावों और विचारों को उद्दीप्त करते हैं।अतः ऐसी सामग्रियाँ बालकों के लिए उद्योतन सामग्री हो जाती हैं।
(For example, for a teacher, there are auxiliary materials such as picture enlarger, magic lantern, film projector, etc., with the help of this, the teacher makes the teaching points, suffixes clear and strong. But the pictures that he displays in the classroom. Those pictures only arouse the imagination of the students and stimulate the thoughts and thoughts. Hence, such materials become the emerging material for the children.)
शिक्षक स्वयं उद्योतन सामग्री है (The teacher himself is the only material) :–
छात्रों के लिए शिक्षक स्वयं उद्योतन सामग्री है, क्योंकि वह एक कलाकार की भाँती छात्रों के समक्ष किसी घटना या जटिल भाव को मौखिक उदाहरणों की मदद से ऐसा सजीव चित्र प्रस्तुत करता है कि छात्रों को विषय-वस्तु बड़ी सहजता से समझ आ जाती है। दूसरा यह कि शिक्षक छात्रों से प्रश्न पूछकर विचारों को उद्दीप्त करते हैं। अध्यापक के मौखिक उदाहरण एवं प्रश्नोतर भी उद्योतन सामग्री के ही होते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि शिक्षक भी स्वयं एक उद्योतन सामग्री है।
(For students, the teacher is himself an up-to-date material, as he presents an illustrative picture of an event or complex emotion to the students with the help of verbal examples, such that the students understand the subject very easily. Second is that teachers stimulate ideas by asking students questions. The teacher's oral examples and quizzes are also of the same content. That is why it is said that the teacher is himself an innovative material.)
उद्योतन सामग्री के स्वरूप (Nature of Stimulating Content) :-
उद्योतन सामग्री के प्रमुखतः तीन स्वरूप होते हैं। (There are mainly three forms of content in Stimulation.)
(1) दृश्य सामग्री (Visual material) :-
ऐसी सामग्री जिसमें बालक चक्षु-इन्दिद्रयों को प्रयोग करता है; जैसे :- श्यामपट्ट, सूचनापट, पुस्तक, सरस्वती यात्राएँ, प्रतिरूप, वास्तविक पदार्थ, मानचित्र, कार्टून, चार्ट, रेखाचित्र, फ्लैश कार्ड, बुलेटिन बोर्ड, फलालेल बोर्ड, मानचित्र, ग्लोब, चित्र, रेखाचित्र, कार्टून, माॅडल, पोस्टर, स्लाईड्स, फिल्म स्ट्रीप्स आदि। (Material in which the child uses eye-senses; Such as: - Blackboard, Newsletter, Book, Saraswati Travels, Models, Real Matter, Map, Cartoon, Chart, Drawing, Flash Card, Bulletin Board, Falleel Board, Map, Globe, Picture, Drawing, Cartoon, Model, Poster, Slides, Film strips etc.)
(2) श्रव्य सामग्री (Audible material) : -
ऐसी सामग्री जिसका उपयोग करने के लिए श्रव्य इंद्रियों का प्रयोग किया जाता है, वे ही श्रव्य सामग्री के अंतर्गत आते हैं; जैसे- ग्रामोफोन, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, लिंग्वाफोन एवं टेलीफोन, मौखिक उदाहरण आदि।
(The material which is used for the use of audio senses, they are the subject of audio material; Such as gramophone, radio, tape recorder, linguaphone and telephone, verbal examples etc.)
(3) दृश्य-श्रव्य सामग्री (Audio-visual material) :-
इसमें दोनों प्रकार की इंद्रियों का उपयोग होता है, दृश्य-श्रव्य सामग्री कहलाती है; जैसे- चलचित्र, टेलीविजन, नाटक, कठपुतली आदि।
(It uses both types of senses, it is called audio-visual material; Such as movies, television, drama, puppets etc.)
उपरोक्त उद्योतन सामग्री में क्रमशः प्रमुख सामग्रियों का विवरण इस प्रकार है।
(The details of the major materials respectively in the above mentioned industries are as follows) :-
■■ श्रव्य सामग्री (Audio material) :-
(1) ग्रामोफोन (Gramophone) :– ग्रामोफ़ोन श्रव्य साधनों का बहुत पुराना उदाहरण हैं। इसके माध्यम से किसी घटना, विवरण, गीत, कहानी, वार्तालाप आदि सुना जा सकता है।
(Gramophones are a very old example of audio devices. Through it, an event, description, song, story, conversation etc. can be heard.)
(2) रेडियो (Radio) :– श्रव्य साधनों में मनोरंजन उपकरण की दृष्टि से रेडियो सर्वाधिक लोकप्रिय उपकरण है।
(Radio is the most popular equipment in terms of entertainment equipment among audio devices.)
(3) टेप रिकाॅर्डर (Tape recorder) :– टेप रिकाॅर्डर, ग्रामोफोन का वैज्ञानिक एवं विकसित रूप है। इसके माध्यम से महत्त्वपूर्ण भाषण अथवा सामग्री रिकॉर्ड करके स्थायी तौर पर रखी जा सकती है।
(Tape recorder is a scientific and developed form of gramophone. Through this, important speech or material can be recorded and kept permanently.)
(4) मौखिक उदाहरण (Oral Example) :- मौखिक उदाहरणों का प्रयोग प्रमुखतया सूक्ष्म भावों के शब्द चित्र खींचने के लिए किया जाता है। किसी वस्तु स्थिति या विचार को मौखिक कथन या वार्तालाप के माध्यम से सरल स्वरूप प्रदान करने में उदाहरणों का प्रयोग जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में करते हैं।
(Verbal examples are mainly used to draw word images of subtle expressions. Examples are used in different situations of life to make an object's position or idea simpler through verbal statement or conversation.)
■■ दृश्य सामग्री (Visual Material) :–
(1) श्यामपट्ट (Blackboard) :– शयामपट्ट को शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण टूल माना जाता है। चूँकि यह स्वयं कोई दृश्य सामग्री नहीं हैं, फिरभी इसका उपयोग एक अच्छी दृश्य सामग्री के रूप में किया जा सकता है।
श्यामपट्ट पर कार्य की सफलता शिक्षक पर निर्भर करती हैं। इसका प्रयोग रेखाचित्र, ग्राफ, मानचित्र, पाठ का सार, प्रश्नोत्तरी कराने, गृहकार्य देने आदि के लिए किया जा सकता है।
(Shyamapatta is considered as the most important tool for teachers. Since it is not itself a visual material, it can still be used as a good visual material.
The success of work on the blackboard depends on the teacher. It can be used for drawing diagrams, graphs, maps, abstract of text, quiz, homework etc.)
(2) बुलेटिन बोर्ड (सूचना फलक)Bulletin Board (Information Panel) :– यह प्लाई वुड, मोसोनाइट या मजबूत गत्ते का बना होता हैं। इस पर प्रदर्शन सामग्री को लगाने के लिए ड्राइंग पिनों का प्रयोग किया जाता है। इस बोर्ड का प्रयोग प्रतिभाशाली छात्रों की स्वनिर्मित रचनाएँ, देश-विदेश की घटनाएँ एवं समाचार लिखकर प्रतिदिन प्रदर्शित किया जा सकता है।
(It is made of ply wood, masonite or strong cardboard. Drawing pins are used to place the display material over it. The use of this board can be displayed daily by writing self-composed compositions of talented students, events and news of the country and abroad.)
(3) प्रतिरूप (Model) :- विज्ञान एवं पर्यावरण अध्ययन विषयों के.शिक्षण में प्रतिरूपों का बङा महत्त्व है। प्रतिरूपों को कक्षा में प्रदर्शित करने से छात्रों को वास्तविक वस्तुओं का ज्ञान होता है।
(Models have great importance in teaching of Science and Environmental Studies subjects. By displaying models in the classroom, students have knowledge of real objects.)
(4) रेखाचित्र (Sketch) :- रेखाचित्र विभिन्न विषयों के शिक्षण में बड़ी ही प्रभावोत्पादक सहायक शिक्षण सामग्री है। इसमें रेखाओं तथा प्रतीकों के द्वारा अंतःसंबंध को स्पष्ट किए जाता है। प्रतिरुपों के माध्यम से विषय-वस्तु से संबंध किसी चित्र अथवा परिस्थिति का रेखाओं के माध्यम से सांकेतिक प्रदर्शन होता है।
(Drawing is a very effective supporting material in teaching various subjects. In this, interconnection is explained by lines and symbols. The relation of subject matter through patterns is a symbolic display of a picture or situation through lines.)
(5) फलालेन बोर्ड (Flannel board) :– फलालेन बोर्ड प्लाई वुड अथवा कार्ड बोर्ड पर गोंद से फलालेन या खादी के कपड़े को चिपकाया जाता है। इस पर पिनों की सहायता से सूचनाएँ चिपकाए जाती हैं।
(Flannel board Plywood or card board is made of glue to flannel or khadi cloth. The information is pasted on it with the help of pins.)
(6) मानचित्र/नक्शा (Map) :– मानचित्र छोटे पैमाने से प्रदर्शित सम धरातल पर दिखाये जाने वाला पृथ्वी का चित्र होता है एवं चित्रों के समूह को एटलस कहा जाता है। इसके द्वारा छात्रों के सम्मुख अमूर्त वस्तुओं का ज्ञान मूर्त कर दिया जाता है।
(A map is an image of the earth shown on the surface of a small scale, and a group of pictures is called an atlas. By this, the knowledge of intangible objects is made tangible in front of the students.)
(7) ग्लोब (The globe) :– ग्लोब गोल आकृति पर त्रिपक्षीय चित्र है। यह पृथ्वी के धरातल का शुद्धतम रूप से प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रयोग उस समय किया जाता है जब स्थान, आकार, दूरी, दिशा तथा भूमि की बनावट एवं सागर आदि की सापेक्षिक समस्याओं का प्रतिनिधित्व कराना हो।
(The globe is a tripartite figure on a circular shape. It is the purest representation of the earth's surface. It is used when the relative problems of location, size, distance, direction and land texture and ocean etc. are to be represented.)
(8) चित्र (pictures) :– चित्र विद्यार्थियों की जिज्ञासा एवं कल्पनाशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। चित्र सरल, सही और सत्य रूप में प्रदर्शित हों। चित्रों का आकार कक्षा के आकार के अनुकूल तथा उसमें शीर्षक दिया हुआ होना चाहिए।
(The picture helps to increase students' curiosity and imagination. Pictures should be displayed in a simple, correct and true form. The size of the pictures should be appropriate to the size of the class and should be titled in it.)
(9) पोस्टर्स (Posters) :– यह सहायक सामग्री किसी सूचनात्मक ज्ञान एवं व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति को स्पष्ट करने का सरल माध्यम है। बच्चों की अच्छी आदतों, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, धूम्रपान, वनों की सुरक्षा आदि को पोस्टर एवं कार्टून के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है।
(This supporting material is a simple means of clarifying any informative knowledge and sarcastic expression. Children's good habits, dowry system, curtain practice, smoking, protection of forests etc. can be explained through posters and cartoons.)
(10) चार्ट्स (Charts) :– चार्ट किसी घटना या क्रांति का क्रमिक विकास दिखाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इनमें जलवायु तथा तापक्रम आदि का प्रदर्शन भी सुगमता से किया जा सकता है। इनके द्वारा किसी वस्तु का अंतः संबंध तथा संगठन, भावों, विचारों तथा विशेष स्थलों को दृश्यात्मक रूप से प्रदर्शित किया जाता है।
(The chart is used to show the gradual development of an event or revolution. In these, the performance of climate and temperature etc. can also be done easily. Through them, the relationship and organization of an object, expressions, ideas and special places are displayed visually.)
(11) स्लाइड/फिल्म स्ट्रिप्स (Slide / Film Strips) :– स्लाइड तथा फिल्म स्ट्रिप्स की सहायता से विद्यार्थियों को प्रत्येक चीज को बङे आकार में पर्दे पर दिखा सकते हैं। यांत्रिक उपकरण के माध्यम से एक-एक परिस्थिति को जिन चित्रों के सहारे प्रदर्शित किया जाता है, वे स्लाइड्स होती है। स्लाइड्स छोटे आकार की फोटो नेगेटिव्स तथा काँच पर कैमरे द्वारा उतारे गए चित्र होते हैं जिन्हें फिल्म स्ट्रिप प्रोजेक्टर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
(With the help of slides and film strips, students can show everything on the screen in large size. The pictures with which each situation is displayed through a mechanical device are slides. Slides are small-sized photo negatives and images taken by the camera on glass, which are displayed by a film strip projector.)
■■ दृश्य श्रव्य सामग्री (Audio-Visual Material) :-
(1) टेलीविजन (Television) :– टेलीविजन जनसंपर्क का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है, जिसके द्वारा समाचार-पत्रों, रेडियो, सिनेमा आदि सभी की एकसाथ पूर्ति हो सकती है। सरकार इसके माध्यम से नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक आदि पक्षों की जानकारी देती है।
(Television is a very effective medium of public relations, through which newspapers, radio, cinema etc. can all be fulfilled simultaneously. Through this, the government gives information about social, economic, political, educational etc. aspects to the citizens.)
(2) चलचित्र (Movies) :– चलचित्र में विद्यार्थी व्यक्तियों को वास्तविक परिस्थितियों में कार्य करते हुए देखते हैं। चलचित्र छात्रों की सभी ज्ञानेन्द्रियों को प्रभावित करते हैं। शिक्षाप्रद चलचित्रों को छात्रों को देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
(In the film, students see individuals working under real conditions. Movies affect all the senses of the students. Enlightening movies should encourage students to watch.)
(3) नाटक / एकांकी (Drama) :– किसी भी विषय का रंगमंच पर नाटक या एकांकी के माध्यम से सजीव प्रस्तुतिकरण जा सकता है। इनके द्वारा संवाद बोलने एवं रंगमंच पर अभिनय करने की कला में दक्षता आती है।
(Any subject can be given live performances through theater or drama. Through them, there is proficiency in the art of speaking dialogues and acting on stage.)
(4) कठपुतली (Puppet) :– निर्जीव कठपुतलियों के माध्यम से पर्यावरणीय अध्ययन शिक्षण की अधिकांश विषय वस्तु अध्यापन नाटकीयकरण विधि से बङे प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है।
(Much of the content of teaching environmental studies through inanimate puppets can be done very effectively with the dramatization method.)
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
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