पाठ 19 दिन निकला "बड़े सबेरे मुरगा बोला" | Old Hindi Poem- Din Nikla 'Bade Sabere Murga Bola.
बड़े सबेरे मुर्गा बोला,
चिड़ियों ने अपना मुँह खोला।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदाई,
सब बोले दिन निकला भाई।
उक्त कविता हमने अपने विद्यार्थी जीवन में कक्षा- १ में पढ़ी थी। यह कविता बहुत ही मजेदार है, हमारे विद्यार्थी जीवन में इस कविता को बड़े ही रोचक ढंग से पूरे हाव-भाव के साथ सस्वर बार-बार दोहराया करते थे। आज भी यह कविता कक्षा 1 के हमारे नन्हे मुन्ने विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक है इसे विद्यार्थियों को सिखा सकते हैं। इस कविता को विद्यार्थीगण बालसभा या किसी भी कार्यक्रम में सुना सकते हैं।
इस छोटी सी कविता में प्रकृति का चित्रण करते हुए सुबह के मनभावन दृश्य को चित्रित किया गया है– सबेरे होने पर जब सबसे पहले मुर्गा बोलता है, उसके बाद चिड़िया भी चहचहाने लगती हैं। आसमान में उगता हुआ सूरज ऐसा लगता है मानो लाल-लाल सोने का गोला हो। सबेरे ठंडी-ठंडी हवा बहने लगी है जो बड़ी ही सुखमय लग रही है। इस तरह सबने कहा-अब दिन निकल गया।
इस कविता के माध्यम से विद्यार्थियों को शब्द ज्ञान के अंतर्गत शब्दार्थ एवं तुकांत शब्द बताये जा सकते हैं।
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अभ्यास
पढ़ो– सबेरे, मुरगा, सोना, गोला, हवा, बही, सुखदाई।
समझो– कविता पढ़ो। नीचे लिखी पंक्तियाँ समझो–
१. लाल-लाल सोने का गोला = सोने जैसा चमकता गोला, लाल सूर्य।
२. ठंडी हवा बही सुखदाई = सुख देने वाली ठंडी हवा बहने लगी।
छाँटो, लिखो–
कविता पढ़कर ऐसे शब्द छाँटो जिनके अंत के अक्षर एक से हो।
जैसे-( दाई, भाई)
१. बोला, खोला, गोला २. सुखदाई, भाई
सोचो, बोलो– इसी प्रकार की कोई कविता सुनाओ।
प्रश्न–
१. मुरगा कब बोलता है?
उत्तर– मुर्गा सबेरे बोलता है।
२. मुरगा के बोलने के बाद किस ने अपना मुँह खोला?
उत्तर– मुर्गा के बोलने के बाद चिड़ियों ने अपना मुँह खोला।
३. सवेरे सूरज कैसा दिखाई देता है?
उत्तर– सबेरे सूरज लाल-लाल सोने के गोले के समान दिखाई देता है।
४. सबेरे की हवा कैसी लगती है?
उत्तर– सबेरे की हवा बड़ी सुखदाई लगती है।
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आशा है, इस कविता के माध्यम से हमें अपने विद्यार्थी जीवन की यादें ताजा हुई होंगी और छोटे विद्यार्थियों को यह कविता काफी मजेदार लगेगी।
धन्यवाद।
RF Temre
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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