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पाठ 6 'पन्ना का त्याग' संदर्भ प्रसंग सहित भावार्थ || 'Panna ka Tyag' Hindi kavita

यह कविता मेवाड़ राज्य में रहने वाली पन्ना धाय के त्याग और बलिदान को प्रदर्शित करती है। स्वयं के पुत्र का बलिदान करके वह मेवाड़ के राजकुमार उदयसिंह को बचा लेती हैं। यह उसकी स्वामी भक्ति का अनुपम उदाहरण है।

(1) तलवार उठा कर हाथों में,
आँखों में ले खूनी ज्वाला।
बनवीर जा रहा महलों में,
था जाने क्या होने वाला।

सन्दर्भ– प्रस्तुत पंक्तियाँ हिन्दी की पाठ्य पुस्तक भाषा भारती के पाठ 6 पन्ना का त्याग से ली गई हैं जोकि संकलित रचना है।

प्रसंग- पन्ना का त्याग कविता में रचनाकार ने पन्ना धाय के असीम त्याग तथा स्वामीभक्ति का सजीव चित्रण करते हुये इस पद में बनवीर के क्रोध एवं हिंसा का वर्णन किया है।

भावार्थ- मेवाड़ राज्य के राजकुमार कुँवर उदय सिंह, जो कि पन्ना धाय के संरक्षण में रह रहे थे, उनकी हत्या का उद्देश्य लेकर बनवीर महल में प्रवेश करता है। उसके हाथ में चमचमाती नंगी तलवार है और उसकी आँखें क्रोध से आँखें लाल-लाल हैं। उसके इस हिंसक रूप को देखकर सभी के मन में तरह-तरह के कुविचार आने लगते हैं कि पता नहीं कि अब क्या अनर्थ होने वाला है।

कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
3. पाठ 2 'बुद्धि का फल' कक्षा पाँचवी
4. पाठ 3 पं. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर अभ्यास कार्य (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
5. पाठ 4 'हम भी सीखें' कविता का भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
6. पाठ 5 ईदगाह अभ्यास

(2) लेटे थे उदय सिंह- चन्दन,
पन्ना की ममता छाया में
मन था पन्ना का काँप रहा,
महलों की कपटी माया में

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – उक्त पद में पन्नाधाय की मनोदशा का वर्णन किया गया है।
भावार्थ – उक्त पद में कवि कहते हैं- बेखबर राजकुमार उदय सिंह और पन्ना का पुत्र चन्दन दोनों साथ-साथ पन्ना धाय की ममता की छाया में आराम कर रहे हैं। किन्तु पन्ना महल में चल रहे हर प्रकार के षड्यन्त्र से परिचित है। उसका मन विचलित है और किसी अनिष्ट की आशंका से काँप रहा है।

(3) देखा पन्ना ने एक नजर,
चन्दन जैसे ही उदय लगा।
बादल में बिजली कौंध गई,
था एक विचित्र विचार जगा

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – उक्त पद में कुँवर उदयसिंह की रक्षा हेतु पन्ना धाय के मन में विचार उत्पन्न का वर्णन किया गया है।
भावार्थ – मेवाड़ के राजकुमार के प्राणों की रक्षा की चिन्ता में लीन पन्ना धाय की नजर जैसे ही स्वयं के पुत्र चन्दन पर पड़ी तो, उसे उसमें उदयसिंह का चेहरा दिखाई दिया। तभी उसके मन में एक अनोखा विचार आया। एक ऐसा विचार, जिसके सोचने भर से उसके मन रूपी बादल में चिन्ता रूपी बिजली कड़क गई।

(4) चन्दन को उदय बना डालूँ,
तो रक्त प्यास बुझ सकती है।
मेवाड़ मही की उदय-जोत,
अविरल जलती रह सकती है।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – उक्त पद में पन्ना धाय कुँवर उदयसिंह के प्राणरक्षा हेतु जो योजना बनाती है, उसका वर्णन किया गया है।
भावार्थ – उक्त पद में कवि ने मार्मिक चित्रण किया है। पन्ना धाय मेवाड़ राज्य के कुलदीपक उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए एक ऐसी योजना बनाती है जो स्वामी-भक्ति की पराकाष्ठा को व्यक्त करती है। मेवाड़ राज्य के कुँवर उदयसिंह के जीवन रूपी दीप को सदैव के लिए जलाये रखने के उद्देश्य से वह सोचती है कि यदि वह अपने स्वयं के पुत्र चन्दन को उदय सिंह के स्थान पर रखकर हिंसक बनवीर के समक्ष प्रस्तुत करेगी तो बनवीर चन्दन को ही उदयसिंह समझकर अपनी तलवार की खूनी प्यास बुझा सकेगा और कुँवर उदयसिंह के प्राण बच जाये।

(5) स्वामी का कर्ज चुकाने को,
था रोम-रोम से ज्वार उठा।
बहते थे आँसू लगातार,
माँ का ममत्व चीत्कार उठा।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – इस पद में पन्ना धाय की मनःस्थिति का वर्णन किया गया है।
भावार्थ – उक्त पद मे कवि ने वर्णन किया है कि पन्ना के शरीर में बहते मेवाड़ राज्य के नमक का कर्ज उतारने हेतु उसके खून में उबाल आने लगा। उसने अपने कठोर निर्णय पर अमल करने का दृढ़ निश्चय कर लिया। किन्तु जैसे ही उसने सपनों में खोए अपने मासूम पुत्र का चेहरा देखा, उसके अन्दर की माँ का हृदय ममता के मारे चीख उठा। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। आँसू और स्वामि-भक्ति में से उसने स्वामि-भक्ति को चुना।

(6) पर्वत सी अविचल पन्ना ने
चन्दन के वस्त्र बदल डाले।
मानों आ स्वयं विधाता ने,
सारे नक्षत्र बदल डाले।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – उक्त पद में पन्ना धाय के दृढ़ निश्चय के साथ उसके द्वारा बच्चों के वस्त्र बदलने का वर्णन है।
भावार्थ – इस पद में वर्णन है - पन्ना ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया। कर्त्तव्य की बलिवेदी पर उसने अपने हृदय के टुकड़े का बलिदान देने का संकल्प किया और आनन-फानन में सोते चन्दन को उदय सिंह के कपड़े पहना दिये। पन्ना का यह रूप देखकर ऐसा लगता था मानो स्वयं ईश्वर ने ब्रह्मांड के विधि और नक्षत्रों को ही बदल दिये हों।

(7) अब उदय सिंह की शय्या पर,
आँखों का तारा सोया था।
पाषाण बन गई थी ममता,
चन्दन सपनों में खोया था।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – इस पद में चंदन का उदय सिंह कि सैया पर सोए होने का चित्रण किया गया है।
भावार्थ – उक्त पद में कवि ने वर्णन किया है कि पाषाण (पत्थर) की तरह भाव-शून्य बन चुकी थी। उसके सामने राजकुमार उदय सिंह के बिस्तर पर उसका अपना स्वयं का पुत्र चन्दन, महल में मँडराते खतरे से बेखबर, मीठे सपनों में खोया हुआ सोया था।

(8) पत्तल दोनों के बीच छिपा,
महलों से कीरत निकल चला।
उदयसिंह की रक्षा का,
पन्ना को दृढ़ विश्वास दिला।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – इस पद में स्वामी भक्त कीरत के द्वारा उदयसिंह की रक्षा की जाने का विवरण है।
भावार्थ – मेवाड़ राज्य के ही एक स्वामीभक्त सेवक कीरत जोकि पत्तल दोने उठाने का कार्य किया करता था ने पन्ना धाय को भरोसा दिलाकर कुँवर उदय सिंह को एक बड़े से टोकरे में पत्तल-दोनों के बीच छिपाकर महल से बाहर निकल चला गया।

(9) एक चमक सी जाग उठी,
पन्ना की कातर आँखों में।
इतने में हाहाकार मचा,
यमराज आ गया महलों में

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – उक्त पद में हत्यारे बनवीर के महल में आने के चित्रण किया गया है।
भावार्थ – पन्ना ने जब अपने पुत्र को उदयसिंह के स्थान पर रख दिया तो उसकी डरी सहमी आँखों कुँवर उदयसिंह की रक्षा हो जाने की चमक साफ दिखाई दे रहा थी। अचानक चारों ओर हो-हल्ला होने लगा। क्रोध में आग-बबूला बनवीर कक्ष में आ धमका। अपने हाथ में नंगी-चमचमाती तलवार लिए वह साक्षात यमराज दिखाई दे रहा था।

(10) पन्ना सहमी-सी खड़ी रही,
कम्पित कर से संकेत किया।
एक मृगी ने छौने को,
सिंह के हाथों सौंप दिया।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – इस पद में पन्ना धाय द्वारा अपने पुत्र को बनवीर के हवाले कर देने का वर्णन किया गया है।
भावार्थ – इस पद में कहा गया है कि जिस क्षण डरी-सहमी-सी खड़ी पन्ना ने काँपते हुए हाथों से उदय सिंह के रूप में अपने पुत्र चन्दन की ओर इशारा किया, ऐसा लगा, मानो किसी हिरनी ने अपने मासूम बच्चे को कि एक खूँखार शेर के सामने स्वयं ही धकेल दिया हो।

(11) तत्काल लपक तलवार उठी,
शोणित से रंगा बिछौना था
मेवाड़ी सूरज रक्षा हित,
मृत पड़ा सामने छौना था।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – उक्त पद में चंदन की हत्या एवं उदयसिंह की रक्षा का वर्णन है।
भावार्थ – इस पद में वर्णन किया गया है कि हत्यारे बनबीर ने उदय सिंह के बारे में पूछा तो पन्ना ने अपने हृदय पर पत्थर रखकर अपने लाड़ले पुत्र की ओर संकेत कर दिया। हत्यारे की तलवार ने एक ही वार से चन्दन को ही उदय सिंह समझकर सदा के लिए मौत की नींद सुला दिया। अब उस सुकुमार बालक के लहू से बिस्तर रंगा हुआ था। न जाने किस मिट्टी की बनी थी वह पन्ना धाय माँ, जिसने मेवाड़ के राजकुमार की रक्षा के लिए अपने ही सामने अपने ही प्रिय पुत्र को मृत्यु के हवाले कर दिया।

(12) धरती-अम्बर थे काँप उठे,
धन्य हो गई थी पन्ना।
इतिहास सदा दोहराएगा,
स्वामी भक्ति का यह पन्ना।

संदर्भ – पद 1 के अनुसार।
प्रसंग – इस पद में पन्ना धाय के अपने स्वामि-भक्ति के कारण इतिहास में अमर होने का विवरण दिया गया है।
भावार्थ – उक्त पद में कवि ने वर्णन किया है कि इस तरह की विचित्र घटना को देखकर मानों ये धरती, आसमान और ये सारा संसार काँप उठा हो। पन्ना धाय की निर्भिकता, स्वामीभक्ति, अदम्य साहस, एवं असीम त्याग-भावना की यह गुण-गाथा इतिहास के पन्नों में अमर हो गई है। धन्य है वह भारतभूमि जिसने ऐसी त्यागी माताओं को जन्म दिया और धन्य है वह पन्ना धाय, जिसने स्वामीभक्ति की ऐसी श्रेष्ठ कहानी लिख डाली कि जिसे सम्पूर्ण विश्व सदैव याद रखेगा।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है?
2. राज भाषा क्या होती है, राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है?
3. छंद किसे कहते हैं? मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया
4. काव्य गुण - ओज-गुण, प्रसाद-गुण, माधुर्य-गुण
5. अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष
6. रस के अंग – स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव
7. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण
8. काव्य के भेद- श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक, नाटक, एकांकी

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
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