शून्य का गुणा || शून्यान्त संख्याओं का गुणा, || गुण्य, गुणक एवं गुणनफल || Multiplication of zero
शून्य का गुणा– किसी संख्या में शून्य का गुणा किया जाए या फिर शून्य में किसी संख्या का गुणा किया जाए तो गुणनफल सदैव शून्य (0) ही होता है।
उदाहरण- 37 × 0 = 0 होगा।
उक्त गुणा संक्रिया में शून्य का पहाड़ा (गुनिया/दूनिया) क्रमशः 7 एवं 3 बार पढ़ा जायेगा।
जैसे– शून्य सत्ते शून्य, शून्य तिया शून्य (शून्य का पहाड़ा कितनी बार भी पढ़े गुणनफल शून्य ही होगा।)
इसके विपरीत 0 × 37 करने पर भी गुणनफल शून्य ही आयेगा। क्रमशः 7 एवं 3 का पहाड़ा 0 बार पढ़ने पर 0 ही गुणनफल आएगा।
जैसे– सात शून्नम शून्य या तीन शून्नम शून्य। यदि सीधे 37 का ही पहाड़ा शून्य बार पढ़ें सैंतीस शून्नम शून्य ही होगा। इस तरह उत्तर (गुणनफल) शून्य ही आयेगा।
इन गणित के प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. संख्याओं के प्रकार- प्राकृत, पूर्ण, पूर्णांक, परिमेय
2. भिन्न की समझ
3. विमा या आयाम क्या है? द्विविमीय या द्विआयामी एवं त्रिविमीय या त्रिआयामी वस्तुओं की अवधारणा
शून्यान्त संख्याओं का गुणा– शून्यान्त संख्याओं का गुणा जानने से पहले यह समझना आवश्यक है कि क्या होती हैं शून्यान्त संख्याएँ?
शून्यान्त संख्या– दिए गए शब्द 'शून्यान्त' ही स्पष्ट है कि ऐसी संख्याएँ जिनके अंत में शून्य हो। 'शून्यान्त' शब्द का संधि विच्छेद करें तो होगा– शून्य+अन्त = शून्यान्त अर्थात शून्य से अन्त (समाप्त) होने वाली संख्या, हम कह सकते हैं जिनके अन्त में शून्य हो। जैसे– 10, 100, 1000, 10000 या 20, 350, 4000, 740, 90 आदि ये सभी शून्यान्त संख्याएँ हैं। क्योंकि इन सबके अन्त में शून्य हैं।
शून्यान्त संख्याओं के गुणा के उदाहरण– शून्यान्त संख्याओं का गुणा करना बहुत ही सरल होता है। क्योंकि ऐसी संख्याओं का गुणा करने में संख्या (गुण्य/गुणक) के अंत में दिए गए शून्यों का गुणा न करके दिए गए अंकों का ही गुणा करते हैं और गुणनफल में शून्यान्त संख्याओं के शून्यों की संख्या को लगा देते हैं। इस तरह से गुणनफल आसानी के साथ प्राप्त हो जाता है।
उदाहरण– 37 × 100 में 100 शून्यान्त संख्या है और अंत में दो शून्य हैं। इस संख्या के दोनों शून्यों का गुणा न कर केवल 1 का गुणा 37 में करते हैं। गुणनफल 37 होगा। अब 37 के बाद दोनों शून्यों को लगा देते हैं। इस तरह शून्यों को लगाने पर गुणनफल 3700 होता है।
इसके विपरीत यदि 200 × 32 हो तो यहाँ शून्यान्त संख्या 200 है। यहाँ पर गुणा की प्रक्रिया में शून्य को छोड़कर अन्य अंको 2 में 32 का बड़ा करते हैं। इस तरह गुणनफल 64 होगा। अब दिए गए गुणनफल 64 के अंत में 00 को लगा देते हैं। इस तरह से अभीष्ट गुणनफल 6400 होता है।
यदि गुण्य एवं गुणक दोनों संख्याएँ शून्यान्त होने पर शून्यों को छोड़ दिया जाता है एवं अंकों का गुणा करके अंत में जितने 0 छोड़े गए हैं उन्हें लगाकर गुणनफल प्राप्त कर लेते हैं।
जैसे – 90 × 400 का गुणनफल ज्ञात करना है तो उक्त दोनों शून्यान्त संख्याओं के शून्यों को छोड़कर 9 एवं 4 का गुणा कर गुणनफल 36 प्राप्त करते हैं। फिर 36 में छोड़े गए शून्यों 000 को लगाकर अभीष्ट गुणनफल 36000 प्राप्त करते हैं।
इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी पढ़ें।
1. covid-19 महामारी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
2. भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूची
3. विश्व के प्रमुख संगठन और उनके मुख्यालय
4. संयुक्त राष्ट्र संघ UNO की जानकारी
5. पौधे और राइज़ बैक्टीरिया | Plants And Rihz Bacteria
गुण्य, गुणक एवं गुणनफल – गुणा की प्रक्रिया में गुण्य, गुणक और गुणनफल तीनों के बारे में जानना आवश्यक है। जिस संख्या में गुणा किया जाता है उसे गुण्य कहते हैं। जिस संख्या का या जिस संख्या से गुणा किया जाता है उसे गुणक कहा जाता है और गुणा करने पर जो परिणाम प्राप्त होता है, उसे गुणनफल कहा जाता है।
उदाहरण– 50 × 20 = 1000 में 50 गुण्य है, 20 गुणक है और 1000 गुणनफल है।
उक्त जानकारी को वीडियो में देखा जा सकता है। इस लेख के नीचे वीडियो दिया गया है, उस पर क्लिक करें।
पर्यावरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. पर्यावरण और इसके घटक- जल, मिट्टी, खनिज हरित गृह प्रभाव
2. पर्यावरणीय तथ्य- भौतिक, जैविक एवं सामाजिक पर्यावरण
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
Comments