समेकित पर्यावरणीय शिक्षा क्या है इसकी आवश्यकता एवं महत्व || What is Integrated Environmental Education || CTET and TET exam
समेकित शब्द के लिए अंग्रेजी में Integrated या consolidated शब्द का प्रयोग किया जाता है, जिसका आशय सकल या सम्मिलित रूप में होता है। समेकित पर्यावरण शिक्षा से आशय ऐसी शिक्षा जिसमें पर्यावरण के प्रत्येक पक्ष को समाहित किया गया हो, अर्थात प्रकृति का संपूर्ण रूप से अध्ययन करते हुए प्रत्येक पक्ष को समझकर संबंधित समस्याओं का निराकरण करना है। पर्यावरण के अन्तर्गत भूमि, पेड़ पौधे, जीव जंतु, जल, वायु, जलवायु आदि के अंतर्गत आते हैं। इनका अध्ययन करना बेहद जरूरी है, ताकि जीवन बेहतर और सुगम हो सके तथा पर्यावरण को किसी प्रकार की क्षति न हो। पर्यावरण का मनुष्य से सीधा अर्थात् प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। प्रकृति से समस्त प्राणियों का पोषण होता है। बेहतर पर्यावरण ही जीव जगत को सुगम जीवन प्रदान कर सकता है। अतः समाज में पर्यावरण के प्रति नई जागृति का होना पर्यावरणीय समस्याओं के हल करने के लिए अति आवश्यक है। इसी कारण वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पर्यावरणीय शिक्षा का समेकित अध्ययन अनिवार्य हो गया है।
पर्यावरण अध्ययन का समग्र रूप के अध्ययन करना बहुत आवश्यक है। सौरमण्डल, पृथ्वी, जल, वायु, मिट्टी, पारिस्थितिकी, सुरक्षा एवं संरक्षण के उपाय, जैव विविधता, ऊर्जा, वन्य प्राणी, प्रदुषण, पर्यावरणीय संकटों, संरक्षण, सुरक्षा एवं उनमें सुधार, पर्यावरण का प्रबन्धन, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, हमारे नैतिक दायित्व आदि पर्यावरणीय शिक्षा में समाहित हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा वह शिक्षा है, जो पर्यावरण के माध्यम से, पर्यावरण के विषय में, पर्यावरण के लिए होती है। इस सम्बंध में पर्यावरण तथा मानव के पारम्परिक संबंधों, पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन की शिक्षा समाहित होती है।
1. चैपमैन टेलर के अनुसार- "पर्यावरणीय शिक्षा का अभिप्राय सद्नागरिकता विकसित करने के लिए सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को पर्यावरणीय मूल्यों एवं समस्याओं पर केन्द्रित करता है, ताकि सद्नागरिकता का विकास हो सके तथा अधिगमकर्ता (सीखने वाला) पर्यावरण के विषय में भिज्ञ, प्रेरित तथा उत्तरदायी हो सके।"
2. एच.टी. हेवावासम के अनुसार- "पर्यावरण शिक्षा का मुख्य प्रयोजन नागरिकों के अपने उत्तरदायित्वों में पर्यावरण की सुरक्षा और प्रबंध के बारे में जागृति पैदा करना है और उसे बढ़ाना है।"
3.चित्तीबाबू के अनुसार- "शिक्षा और पर्यावरण के बीच संक्रिया पर्यावरण शिक्षा को जन्म देती है।"
अतः पर्यावरणीय शिक्षा के सम्बंध में निम्न बातें महत्वपूर्ण हैं -
1. पर्यावरणीय शिक्षा मानव के कर्तव्यों को जानने तथा उसके विचारों को स्पष्ट करने की वह प्रक्रिया है, जिससे मनुष्य अपनी संस्कृति और जीव जगत परिवेश के मध्य अपने आप की सम्बद्धता के पहिचानने और समझने के लिए आवश्यक कौशल तथा अभिवृत्ति का विकास कर सके। पर्यावरणीय शिक्षा, पर्यावरण की गुणवत्ता से संबंधित प्रकरणों के लिए व्यवहारिक संहिता (नियमों) का निर्माण करने तथा निर्णय लेने की आदत को भी व्यवस्थित करती है।
पर्यावरणीय शिक्षा खासकर विश्व समुदाय को पर्यावरण सम्बंधी दी जाने वाली वह शिक्षा है जिसमें वह समस्याओं से अवगत होकर उनका हल खोज सके और साथ ही भविष्य में आने वाली समस्याओं पर प्रतिबन्ध लगा सके।
पर्यावरण शिक्षा दो आधारों पर दी जा सकती है-
(i) पर्यावरण को एक स्वतन्त्र विषय के रूप में पढ़ाया जाये।
(ii) विभिन्न विषय को पर्यावरण विषय से जोड़कर अध्यापन कराया जाये।
वर्तमान में जिस तरह पर्यावरण का ह्रास हो रहा है उसे देखते हुए समेकित पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व बढ़ गया है जिसमें पर्यावरण के हर क्षेत्र का अध्ययन आवश्यक है। विशेष रूप से इसका गंभीरतापूर्वक अध्ययन किया जाना आवश्यक है। इसमें केवल पर्यावरण का सामान्य अध्ययन ही नहीं बल्कि विशिष्ट अध्ययन की आवश्यकता है। सम्पूर्ण जीव जगत का अस्तित्व पर्यावरण पर टिका हुआ है। यदि इसी तरह बेखबर रूप से हमारा जीवन इसी तरह चलता रहा तो पर्यावरणीय समस्याएँ विकराल रूप ले लेंगी एवं यह पृथ्वी जीव-जगत के रहने लायक नहीं रहेगी। इन सब बातों को ध्यान रखते हुए पर्यावरण शिक्षा का समेकित अध्ययन आवश्यक है।
पर्यावरण का शिक्षाशास्त्र के इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें।
1. पर्यावरण की अवधारणा
2. पर्यावरण शिक्षा के उद्देश्य
3. पर्यावरण शिक्षा का महत्व
4. पर्यावरण शिक्षा के उद्देश्य
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
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