'पर्याय' और 'वाची' शब्दों का अर्थ || पर्यायवाची और समानार्थी शब्दों में अंतर || Paryayvachi and Samanarthi Shabd
'पर्याय' शब्द का आशय होता है 'वैसा ही' या 'उसी तरह का'। सामान्य अर्थ देखें तो 'पर्याय' शब्द का मायना 'समान अर्थ वाला' होता है। परस्पर संबंध की दृष्टि से ऐसे शब्द जो सामान्यतः किसी एक ही वस्तु, बात (विचार) या भाव की जानकारी देते हों वे आपस में एक दूसरे के पर्याय होते हैं।
पर्याय का दूसरा अर्थ 'क्रम' या 'सिलसिला' होता है। अतः भाषा में शब्द के प्रकारों की दृष्टि से देखा जाए तो ऐसे शब्द जो एक ही अर्थ को प्रकट करने के लिए क्रमशः प्रयुक्त हो, वे सभी शब्द आपस में 'पर्याय' होते हैं।
वाची - 'वाची' शब्द 'वाचक' से बना है। वैसे तो 'वाचक' शब्द के कई अर्थ हैं जैसे - कहने वाला, बोलने वाला, बताने वाला, सूचक, बोधक, पढ़कर सुनाने वाला इत्यादि। किंतु 'पर्यायवाची' शब्द के संदर्भ में बात करें तो 'वाचक' का सामान्य अर्थ 'बोध कराने वाला', 'जानकारी देने वाला' या अर्थ प्रदान करने वाला' होता है। वाचक शब्द के अंत में लगे प्रत्यय 'अक' को हटाकर 'ई' प्रत्यय लगा देने से 'वाची' बन जाता है, जिसका अर्थ भी 'बोध कराने वाला' या जानकारी देने वाला होता है।
इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है?
2. राज भाषा क्या होती है, राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है?
3. छंद किसे कहते हैं? मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया
4. काव्य गुण - ओज-गुण, प्रसाद-गुण, माधुर्य-गुण
5. अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष
6. रस के अंग – स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव
7. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण
8. काव्य के भेद- श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक, नाटक, एकांकी
9. अकर्मक और सकर्मक क्रियाएँ, अकर्मक से सकर्मक क्रिया बनाना
10. योजक चिह्न (-) का प्रयोग क्यों और कहाँ होता है?
पर्यायवाची एवं समानार्थी शब्दों में अंतर
पर्यायवाची - जैसा कि ऊपर के वर्णन से स्पष्ट है। ऐसे शब्द समूह जो किसी एक ही बात, वस्तु या भाव के अर्थ को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, पर्यायवाची कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए - घोटक, बाजी, हय, तुरंग, दधिका, सैंधव, अश्व, रविपुत्र, सर्ता शब्दों का यह समूह 'घोड़ा' के लिए प्रयुक्त हुए हैं। अतः उपरोक्त सभी शब्द 'घोड़ा' के पर्यायवाची होंगे।
उक्त उदाहरण से स्पष्ट है जब किसी एक ही वस्तु, बात (विचार) या भाव का अर्थ स्पष्ट करने के लिए अलग-अलग शब्दों का प्रयोग किया जाता है, ऐसी स्थिति में वे सभी शब्द पर्यायवाची शब्द होते हैं।
समानार्थी शब्द - नाम से ही स्पष्ट है 'समान अर्थ प्रकट करने वाला' शब्द। उदाहरण स्वरूप यदि पूछा जाए 'अश्व' शब्द का क्या अर्थ है? तो इसका अर्थ दूसरे शब्दों में प्रकट करते हुए कहा जाएगा 'घोड़ा'। अतः यहाँ 'अश्व' का समानार्थी 'घोड़ा' होगा। इसके विपरीत यदि यहाँ यह कहा जाये कि अश्व को और किन-किन शब्दों से संबोधित किया जाता है तब उत्तर में घोटक, बाजी, हय, तुरंग, दधिका, सैंधव, घोड़ा, रविपुत्र, सर्ता आदि बताए जायेंगे और ये सभी शब्द 'अश्व' के पर्यायवाची होंगे। अतः हम कह सकते हैं की जब किसी बात (विचार), वस्तु या भाव का केवल अर्थ बताना हो और उसके अर्थ को बताने के लिए जिस शब्द का प्रयोग करें, वह शब्द समानार्थी शब्द कहलाएगा। जबकि किसी एक ही बात (विचार), वस्तु, भाव को किन-किन नामों से या किन किन शब्दों से जाना जाता है यह पूछा जाए तो बताने के लिए प्रयुक्त शब्दों के समूह में सभी पर्यायवाची होंगे।
यहाँ पर एक बात जानने योग्य है कि किसी बात (विचार), वस्तु या भाव के अर्थ को प्रकट करने वाला शब्द 'समानार्थी' और 'पर्यायवाची' भी होता है। किंतु जब वह शब्द केवल अर्थ स्पष्ट करेने के लिए प्रयुक्त हो तब 'समानार्थी' होगा और बात (विचार), वस्तु या भाव को किन-किन शब्दों से जाना जाता है यह बताने के लिए शब्दों की सूची में प्रयुक्त हो तब वही शब्द पर्यायवाची होगा।
इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1.अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार
2. पुनरुक्त शब्दों को चार श्रेणियाँ
3. भाषा के विविध स्तर- बोली, विभाषा, मातृभाषा
4. अपठित गद्यांश कैसे हल करें?
5. वाच्य के भेद - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
Comments