
Ledger Book kaise likhe in hindi | खाता बही (लेजर बुक) का लेखन | स्कूलों के प्रमुख मद
वित्तीय अभिलेखों के अंतर्गत Cash Book एवं Ledger दोनों सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होते हैं। किसी संस्था या विद्यालय में आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने के लिए या संबंधित अभिलेखों को संधारित करने के लिए रोकड़ बही एवं खाता बही का लेखन अनिवार्य होता है।
Cash-Book और Ledger दोनों में अन्तर–
Cash Book एवं Ledger में केवल अन्तर ये होता है कि रोकड़ बही में संस्था या विद्यालय को प्राप्त होने वाले समस्त मदों अर्थात खातों के आय एवं व्यय का विवरण क्रमशः दर्शाया जाता है। किंतु Ledger में अलग-अलग मद के आय-व्यय को दर्शाने हेतु अलग अलग पृष्ठों का प्रयोग किया जाता है। दोनों में दर्शाये गये विवरण के पृष्ठ क्रमांक का विवरण एक दूसरे में दर्शा दिया जाता है। संक्षेप में कहें तो रोकड़ में सभी मदों के आय व्यय का विवरण एक साथ लिखा जाता है एवं लेजर में मदवार आय-व्यय का विवरण लिखा जाता है।
नीचे Ledger के लेखन संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी बिंदुवार दर्शाई गई है।
1. पृष्ठांकन (Endorsement)– खाता बही रजिस्टर क्रय करने के पश्चात सबसे पहला कार्य होता है, उसमें पृष्ठांकन करना। प्रारंभ से लेकर अंत तक सभी पृष्ठों पर क्रमांक अंकित करना चाहिए और रजिस्टर के प्रारंभ में पृष्ठांकन का प्रमाणीकरण करना चाहिए।
2. मदों हेतु पृष्ठों का निर्धारण- खाता बही में समस्त मदों के लिए अलग-अलग पृष्ठों का निर्धारण कर लेना चाहिए प्रत्येक मद के लिए लगभग 4 से 5 पृष्ठ रखना चाहिए।
3. मद का नाम अंकित करना- पृष्ठों का निर्धारण करने के पश्चात खाता बही में प्रत्येक मद का नाम सबसे ऊपर अंकित कर लेना चाहिए।
4. विद्यालय में मदों का विवरण- विद्यालय में भिन्न-भिन्न मदों हेतु राशि उपलब्ध होती है। जैसे–
१. शाला एकीकृत निधि शाला (आकस्मिक निधि)
२. गणवेश
३. खेल एवं शारीरिक शिक्षा
४. बालसभा
५. स्लेट की राशि
६. शाला सुरक्षा की राशि
७. आत्मरक्षा प्रशिक्षण
८. विज्ञान मित्र क्लब
९. आसपास की खोज
१०. मूल्यांकन राशि
११. स्कूल चले अभियान
१२. मिल बांचे
१३. एसएमसी ट्रेनिंग
१४. प्रतिभा पर्व
१५. शाला सिद्धि
१६. शाला पुस्तकालय
१७. शिक्षक आईडी कार्ड
१८. बूथ एवं इको क्लब
१९. शाला भवन मरम्मत राशि
२०. शिक्षक निधि
२१. एस.डी. कार्ड
२२. छात्रवृत्ति
२३. टी. एल ई.राशि
२४. शाला भवन
२५. अतिरिक्त कक्ष
२६. शौचालय निर्माण
२७. पेयजल
२८. बाउंड्री वाल
३०. किचन सेट
३१. विद्युत कनेक्शन
३२. स्वच्छ भारत अभियान
३३. हेड स्टार्ट कंटनजेंसी
३४. मध्यान भोजन
३५. सांसद निधि
३६. विधायक निधि
३७. जॉयफुल लर्निंग
३८. बैंक चार्जेस
३९. बैंक ब्याज
४०. स्काउट गाइड एवं रेडक्रास
टीप― 1. उक्त मद विद्यालय से संबंधित बताए गए हैं, यदि किसी संस्था या कंपनी के लिए लेजर लिखी जाए तो उसमें अलग-अलग मद हो सकते हैं, जो भी मद हों उनके लिए लेजर में अलग-अलग खण्ड बना लेने चाहिए।
2. उपरोक्त मदों से जिन मदों में शाला या संस्था में राशि प्राप्त की जाती है, केवल उन्हीं के लिए लेजर में खण्ड बनाना चाहिए।
इस तरह अलग-अलग मद होते हैंइ। इन सभी मदों में राशियाँ प्राप्त होती हैं जिनका आय-व्यय विवरण दर्शाया जाता है।
खाता बही में वर्णित कालमों (खण्डों) का विवरण-
1. दिनांक- दिनांक के खंड में उस तिथि को अंकित किया जाता है, जिसमें किसी मद में कोई राशि शासन या अन्य स्रोत से प्राप्त की जाती है। या जिस तिथि को उस मद से राशि व्यय की जाती है। अर्थात वह दिनांक जिसमें विद्यालय या संस्था के अकाउंट में कोई राशि क्रेडिट की जाती है या उस उस मद से डेबिट की जाती है उसी तिथि को अंकित किया जाता है।
2.विवरण- इस खंड में जो राशि जिस मद में आती है या हम क्रेडिट करते हैं, उसका विवरण लिखा जाता है या जो राशि खर्च की जाती है तो खर्च का विवरण लिखा जाता है।
3. पृष्ठ क्रमांक (रोकड़ का पृष्ठ क्रमांक)-
इस खंड में रोकड़ वही के पृष्ठ क्रमांक को अंकित किया जाता है। मद की राशि के आय या व्यय का विवरण Cash Book के जिस पृष्ठ पर लिखा होता है उसी पृष्ठ की क्रम संख्या को इस खण्ड में अंकित किया जाता है।
4. आय (Credit) व्यय (Debit)-
इस खंड में मद की राशि में आवक एवं व्यय के संदर्भ में जानकारी अंकित की जाती है। इसमें दो खंड होते हैं।
(A) राशि नामें (Debit)– इस खण्ड में व्यय की जाने वाली राशि रूपये एवं पैसे को लिखा जाता है।अर्थात debit की गई राशि को लिखा जाता है।
(B) राशि जमा (Credit)– इस खण्ड में यदि मद में राशि जमा (credit) होती है तो राशि के रूपये एवं पैसे को अंकित किया जाता है।
5. शेष (Balance)– अंत में इस खण्ड में व्यय राशि को कुल आवक में से घटाकर अंकित किया जाता है।
31 मार्च की स्थिति में कुल योग– सत्रांत में 31 मार्च की स्थिति में राशि नामें (debit) एवं राशि जमा (credit) के अलावा शेष (balance) के कुल योग को लिखा जाता है। कुल आय में से कुल व्यय को घटाकर शेष बैलेंस को लिखा जाता है।
अध्यक्ष सचिव (शाला प्रबन्धन समिति) के हस्ताक्षर– सबसे नीचे शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं सचिव या संस्था से संबंधित अध्यक्ष एवं सचिव की पद मुद्रा के हस्ताक्षर होना चाहिए।
इस तरह से प्रतिवर्ष एक सत्र के लिए प्रत्येक मद के लिए लेजर बुक तैयार की जाती है और सत्र के अंत में शेष बैलेंस को अगले सत्र के लिए प्रारंभिक शेष के रूप में सबसे प्रारंभ में दर्शा दिया जाता है।
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R. F. Tembhre
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