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कन्नौज का गहड़वाल वंश - गोविन्दचन्द्र, जयचन्द | Gahadwal Dynasty Of Kannauj - Govind Chandra, Jaychand

कन्नौज के गहड़वाल शासक मूल रूप से विंध्याचल के पर्वतीय वन प्रांत में निवास करते थे। चंद्रदेव नामक व्यक्ति ने कन्नौज में गहड़वाल वंश की स्थापना की। गहड़वालों ने दिल्ली के तोमर शासकों को भी अपने अधीन कर लिया था। चंद्रदेव ने 'महाराजाधिराज' नामक उपाधि धारण की थी। गहड़वाल वंश के प्रमुख शासक निम्नलिखित थे–
1. गोविन्दचन्द्र
2. जयचन्द।

The Gahadwal rulers of Kannauj originally resided in the hill forest province of Vindhyachal. A person named Chandradev established the Gahadwal dynasty in Kannauj. The Gahadavalas also subdued the Tomar rulers of Delhi. Chandradev assumed the title 'Maharajadhiraj'. The following were the main rulers of the Gahadwal dynasty–
1. Govind Chandra
2. Jaychand.

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गोविन्दचन्द्र (Govind Chandra)

गोविन्दचन्द्र ने 1114 ई. से 1155 ई. तक शासन किया था। उसे गहड़वाल वंश का सबसे शक्तिशाली शासक माना जाता है। उसने बिहार के पश्चिमी क्षेत्र से लेकर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था। अनेक युद्धों में विजय प्राप्त कर उन्होंने कन्नौज के प्राचीन गौरव को पुनः स्थापित किया था। गोविन्दचन्द्र स्वयं एक बहुत बड़े विद्वान थे। प्राचीन इतिहास के अनेक लेखों में उन्हें 'विविधविद्याविचारवाचस्पति' कहा गया है। 'लक्ष्मीधर' गोविन्दचन्द्र का शान्ति और युद्ध मंत्री था। वह भी शास्त्रों का बहुत बड़ा विद्वान था। उसने 'कृत्यकल्पतरु' ग्रंथ की रचना की। इस ग्रन्थ के माध्यम से तत्कालीन राजनीति, समाज और संस्कृति के विषय में जानकारी मिलती है।

Govind Chandra ruled from 1114 AD to 1155 AD. He is considered to be the most powerful ruler of the Gahadwal dynasty. He had expanded his kingdom from the western region of Bihar to the western region of Uttar Pradesh. By winning many wars, he had restored the ancient glory of Kannauj. Govind Chandra himself was a great scholar. In many articles of ancient history, he has been called 'Vividvidya Vicharvachaspati'. 'Lakshmidhar' was the Minister of Peace and War of Govind Chandra. He was also a great scholar of scriptures. He composed the book 'Krityakalpataru'. Through this book, information about the then politics, society and culture is available.

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जयचन्द (Jaichand)

जयचन्द ने 1170 ई. से 1194 ई. तक शासन किया था। गहड़वाल वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक जयचंद था। भारतीय लोक साहित्य और कथाओं में उसे 'राजा जयचंद' कहा गया है। 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में जयचन्द को मुहम्मद गौरी से पराजित होना पड़ा। इस युद्ध में उसकी मृत्यु हो गयी। जयचन्द ने पूर्व की ओर अपने राज्य का विस्तार करने का प्रयास किया। इसके लिये उसे बंगाल के शासक लक्ष्मणसेन से युद्ध लड़ना पड़ा। इस युद्ध में जयचन्द की पराजय हुई। जयचन्द की राजसभा में संस्कृत के प्रख्यात कवि श्रीहर्ष थे। इस कवि को जयचन्द ने संरक्षण प्रदान किया था। श्रीहर्ष ने 'नैषेधचरित' और 'खंडन-खंड-खाद्य' नामक ग्रंथों की रचनाएँ की थी। अपनी विजय के उपलक्ष्य में जयचन्द ने राजसूय यज्ञ भी किया था। कालांतर में इल्तुतमिश ने कन्नौज पर अधिकार कर गहड़वाल वंश के शासन का अन्त कर दिया था।

Jaichand ruled from 1170 AD to 1194 AD. The last powerful ruler of the Gahadwal dynasty was Jaichand. He has been called 'Raja Jaichand' in Indian folk literature and legends. In 1194 AD, Jaichand had to be defeated by Muhammad Ghori in the battle of Chandawar. He died in this war. Jayachand tried to expand his kingdom towards the east. For this he had to fight a war with Lakshmansen, the ruler of Bengal. Jaichand was defeated in this war. The eminent Sanskrit poet Shri Harsha was in the court of Jayachand. This poet was patronized by Jayachand. Sriharsha composed texts named 'Naishedcharita' and 'Khandan-Khand-Khaya'. In the celebration of his victory, Jayachand also performed the Rajasuya Yagya. Later Iltutmish took control of Kannauj and put an end to the rule of Gahadwal dynasty.

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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