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भाषा ग्रहणशीलता एवं भाषा ग्रहणशीलता के तत्व || भाषा ग्रहणशीलता को प्रभावित करने वाले कारक || Objectives Questions

भाषा ग्रहणशीलता क्या है?

भाषा ग्रहणशीलता के बारे में बात करें तो नाम से ही स्पष्ट है कि भाषा को सीखने के लिए एक बालक के अन्दर की खूबियाँ जिससे बालक भाषा को ग्रहण करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो बालक की क्षमताएंँ जिनके बल पर बालक भाषा को ग्रहण करता है या किसी बालक को भाषा सिखाने के लिए ऐसे कौन-कौन से साधन है जिनके द्वारा बालक आसानी से भाषा को ग्रहण कर सकता है।

भाषा ग्रहण करने हेतु तत्व

एक बालक भाषा को शीघ्रता से ग्रहण कर ले इस हेतु बालक के अन्दर किन-किन खूबियों का होना अनिवार्य है। ये तत्व निम्न लिखित हैं।

(1) बुद्धि तत्व - एक बालक के अन्दर जितनी बुद्धि होगी अर्थात् बालक का मानसिक स्तर जितना ऊँचा होगा बालक की ग्रहणशीलता उतनी ही अधिक होगी।

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(2) इन्द्रियाँ- बालक में भाषा ग्रहण करने हेतु आवश्यक बात यह है कि उसकी समस्त इन्द्रियाँ जैसे जिह्वा, कान, आँखें सभी समुचित ढंग से कार्य करना चाहिए। इनके बिना बालक भाषा को समुचित ढंग से ग्रहण नहीं कर पाता। यदि एक बालक गूँगा है तो उसमें भाषा का विकास करना कैसे सम्भव है। इसी तरह यदि एक बालक बहरा है जो सुन नहीं सकता तब वह भाषा को किस तरह ग्रहण कर सकता है। अतः भाषा ग्रहणशीलता बालक की समस्त इन्द्रियों पर निर्भर करती है।

(3) परिवेश या वातावरण- एक बालक की ग्रहणशीलता उसके परिवेश या वातावरण पर निर्भर करती है एक बालक तभी भाषा या विषय वस्तु को ग्रहण करता है जब उसे उचित वातावरण या माहौल मिले। बिना माहौल के उसे सिखा पाना सम्भव नहीं है। उचित माहौल तैयार कर बालक को सिखाना बड़ा आसान होता है।

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(4) बालक की उत्सुकता एवं जिज्ञासा- किसी बालक में भाषा या प्रकरण की ग्रहणशीलता तभी होगी जब उस बालक में उत्सुकता रहेगी अर्थात वह प्रत्येक कार्य को करने के लिए तत्पर रहेगा साथ ही किसी बात को जानने की प्रबल इच्छा का होना भी आवश्यक है। इस हेतु शिक्षक बालकों में जिज्ञासा एवं उत्सुकता को जागृत कर सकता है।

बालकों की ग्रहणशीलता को बढ़ाने हेतु कारक

बालक को सिखाने हेतु उसकी ग्रहणशीलता को बढ़ाना परम आवश्यक है जिसके बगैर बालक का सीखना सम्भव नहीं हो पाता। ये कारक निम्न हो सकते हैं।

(1) प्रोत्साहन - बालक की ग्रहणशीलता शिक्षक या माता- पिता के प्रोत्साहन पर निर्भर करती है। क्योंकि बालक वे कार्य ज्यादा करना पसंद करता है जिनको करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।

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(2) प्रशंसा- दूसरा कारक बालकों की प्रशंसा। कई अवसरों पर यह देखा जाता है कि बालक उस कार्य ज्यादा करते हैं जिनमें उनकी प्रशंसा की जाती है। वे उन कार्यों को करना छोड़ देते हैं जिसमें उसे डाँट पड़ती है। अतः सीखने को बढ़ावा देने के लिए छात्र की प्रशंसा की जानी अति आवश्यक है।

(3) बालकों का भोजन - बालकों में ग्रहणशीलता बढ़ाने के लिए उनके भोजन पर ध्यान दिया जाना परम् आवश्यक है क्योंकि कुछ बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं जिसके कारण उनका मानसिक विकास भी अवरुद्ध रहता है जिससे उनकी ग्रहणशीलता प्रभावित होती है। इसी कारण भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों के विद्यालयों में भी भरपूर मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था की है, जिससे बालकों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिले एवं उनकी ग्रहणशीलता बरकरार बनी रहे।
आँगनवाड़ी केन्द्रों में बालकों को दो बार भोजन दिया जाता है जिससे उनका शरीर पुष्ट बना रहे एवं उनकी ग्रहणशीलता उत्तम हो।

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(4) खेल कूद एवं व्यायाम- बालकों की ग्रहणशीलता बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को खेल-कूद एवं उनके व्यायाम का मौका देना चाहिए। वैसे तो बालकों में स्वाभाविक खेल कूद की प्रवृत्ति पाई जाती है फिर भी शिक्षक या माता पिता द्वारा बालकों को खेल के अवसर ज्यादा प्रदान करना चाहिए। वर्तमान में बच्चों को खेल के माध्यम से ही सीखने पर बल दिया जा रहा है।

(5) परिवेश या वातावरण - हम बालक को जिस क्षेत्र का ज्ञान देना चाहते हैं हमें उस तरह का वातावरण निर्माण करना परम आवश्यक है। हालाँकि हर हाल में बालक सीखते रहता है यदि हम बालक के परिवेश या वातावरण पर ध्यान नहीं देंगे तो वह अलग क्षेत्र की बातें भी सीखेगा। किसी विषय की गृहणशीलता पर बालक के परिवेश का बड़ा प्रभाव पड़ता है।

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बालक की ग्रहणशीलता को प्रभावित करने वाले कारक

वैसे तो जो कारक बच्चे की भाषा सीखना को प्रभावित करते हैं वे ही कारक बालक की भाषा ग्रहणशीलता को भी प्रभावित करते हैं। जैसे-
(i) माता - पिता एवं शिक्षक का व्यवहार।
(ii) बालक का भोजन।
(iii) खेल कूद एवं व्यायाम।
(iv) बालक का परिवेश।
(V) बालक के संवेग।
(vi) बालक का वाणीदोष।
(vii) बालक का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य।
(vill) विकलांगता।
(ix) अनुवांशिकता।
(x) बालक की आयु।

आदि उपरोक्त तत्व बालक की ग्रहणशीलता को प्रभावित करते हैं।

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शिक्षक द्वारा बालक में भाषा ग्रहणशीलता को बढ़ाने हेतु प्रयास-

(1) शिक्षक का व्यवहार नम्र, सरल एवं क्षमाशील होना चाहिए।
(2) शिक्षक प्रत्येक बालक का व्यक्तिगत तौर पर शिक्षण करे।
(3) शिक्षक द्वारा प्रत्येक छात्र को कार्य करने का अवसर देना चाहिए।
(4) सतत् रूप से बालक के सीखने की गति पर ध्यान रखें।
(5) यदि कोई बालक किसी बिमारी से ग्रस्त है एवं उसके सीखने में कठिनाई आ रही हो तो उसके माता-पिता को तत्काल सूचित करे।
(6) बालकों को खेल एवं गतिविधियों के माध्यम से खेल कराये।
(7) भाषा को सीखने के लिए बच्चों को कुछ कार्य घर पर अभ्यास के लिए भी दे।
(8) विद्यालय स्तर पर बाल-सभा, बाल-संगोष्ठी, अन्त्याक्षरी, प्रतियोगिता, कविता पाठ, नाटक, पहेली बूझना जैसी प्रतियोगियों का आयोजन करना चाहिए। जिससे बालक में रुचि जागृत होगी और वह सीखने हेतु गति करने लगेगा जिससे उसकी ग्रहणशीलता में वृद्धि होगी।
(9) विद्यालय का माहौल एवं विद्यालय परिवेश आकर्षक होना चाहिए जिससे बच्चे में नवीन बातों को सीखने के लिए ललक पैदा हो।
(10) शिक्षक को अपने शिक्षण को गुणात्मक रूप से निखारने हेतु शिक्षण को बालकेन्द्रित रखते हुए गतिविधियों की सहायता से कौशलों का विकास करना चाहिए।
(11) कविता, कहानी, नाटक आदि माध्यम से बालक में सीखने के प्रति रुझान बढ़ाकर शिक्षक बालक में सीखने की क्षमता विकसित कर सकता है।
(12) बालक में सीखने के प्रति रुचि जागृत करे।

इस तरह उपरोक्त क्रियाकलापों के आधार पर बालकों की ग्रहणशीलता को उन्नत किया जा सकता है।

वैकल्पिक प्रश्नोत्तरी

[1] व्यक्ति के भावों के संप्रेषण का माध्यम नहीं है-
(i) ध्वनि
(ii) संकेत
(ii) स्पर्श
(iv) वायु
उत्तर- वायु

[2] "भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य विचार दूसरों पर भली प्रकार प्रकट कर सकता है और दूसरों के विचार आप स्पष्टतया समझ सकते हैं।" यह परिभाषा है- (i) कामता प्रसाद गुरु की
(ii) बाबुराम सक्सेना की
(iii) प्लेटो की
(iv) किसी की नहीं
उत्तर- कामता प्रसाद गुरु की

[3] एक बालक के घर में माता-पिता एवं भाई बहिनों द्वारा पंँवारी बोली जाती है परन्तु विद्यालय में बालक हिन्दी भाषा में अध्ययन करता है उस बालक की मातृभाषा कहलायेगी-
(i) हिन्दी
(ii) पंँवारी
(iii) दोनों
(iv) दोनों नहीं
उत्तर- पँवारी

[4] भाषा सीखी जा सकती है-
(i) बोलकर
(ii) अनुकरण करके
(iii) अभ्यास से
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर- उपरोक्त सभी

[5] बालक की ग्रहणशीलता को प्रभावित करने वाला कारक है-
(i) बालक का भोजन
(ii) खेलकूद
(iii) बालक के संवेग
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर- उपरोक्त सभी

[6] एक बालक किसी विधि के द्वारा सबसे अधिक भाषा को सीख सकता है-
(i) बोलकर
(ii) अनुकरण करके
(iii) अभ्यास करके
(iv) सभी तरीके से
उत्तर- अनुकरण करके

[7] एक बालक को भाषा सिखाने हेतु आवश्यक तत्व नहीं हैं-
(i) जिज्ञासा
(ii) अनुकरण
(iii) आदतें
(iv) अभ्यास
उत्तर- आदतें

[8] एक बालक विद्यालय में शिक्षक द्वारा बार-बार प्रयास करने पर भाषा से सम्बंधित कुछ शब्दों को सिखाने का प्रयास करता है। परंतु नहीं सीख पाता है, जबकि अन्य क्षेत्रों में वह दक्ष है। बतायें एक शिक्षक को करना चाहिए- (i) बालक में जिज्ञासा बढ़ायें।
(ii) उसे सीखने हेतु समझायें।
(iii) उसकी तारीफ करें।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर- बालक में जिज्ञासा बढ़ायें।

[9] जन्म के पश्चात बालक भाषा सीखता है-
(i) अभ्यास के द्वारा
(ii) अनुकरण करके
(iii) जिज्ञासा जागृत कराकर
(iv) उपरोक्त सभी प्रकार से
उत्तर- अनुकरण करके

[10] एक बच्चे का पूर्व भाषा ज्ञान का आंकलन शिक्षक द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि-
(i) उसके भाषा ज्ञान का आंकलन करना जरूरी है।
(ii) उसकी बौद्धिक क्षमता का आंकलन करना आवश्यक है।
(iii) उसका शैक्षिक स्तर ज्ञात करना आवश्यक है।
(iv) उसे उसके भाषा स्तर आधार पर व्यक्तिगत पढ़ाना आवश्यक है।
उत्तर- उसे उसके भाषा स्तर आधार पर व्यक्तिगत पढ़ाना आवश्यक है।

[11] प्राथमिक स्तर पर बालकों को भाषा सिखाने के लिए शिक्षक को करना चाहिए।
(i) भिन्न भिन्न तरह के खेल सिखायें।
(ii) उसे किसी विषय वस्तु को प्रस्तुत करने को कहें।
(iii) उसे किसी भी अभिव्यक्ति के लिए प्रोत्साहित करें।
(iv) उसे पाठ पढ़ने को कहें।
उत्तर- उसे किसी भी अभिव्यक्ति के लिए प्रोत्साहित करें।

[12] खेल एवं गतिविधियाँ किसी बालक को भाषा सिखाने का महत्वपूर्ण साधन है क्योंकि-
(i) बच्चे खेलों एवं गतिविधियों में अधिक रूचि लेते हैं।
(ii) बच्चों को गतिविधियों द्वारा सिखाने हेतु आदेशित किया गया है।
(iii) खेलों व गतिविधियों में विषय-वस्तु दी हुई होती है।
(iv) उपरोक्त में सभी कथन गलत हैं।
उत्तर - बच्चे खेलों एवं गतिविधियों में अधिक रुचि लेते हैं।

[13] शिक्षक की अभिव्यक्ति एवं प्रस्तुतीकरण बालकों के भाषा विकास को प्रभावित करता है यदि शिक्षक -
(i) कम शैक्षणिक योग्यता वाले होते हैं।
(ii) खेल व गतिविधियों के द्वारा ही समस्त विषय वस्तु का ज्ञान कराना चाहते हैं।
(iii) बालकों के भाषा विकास में खेल व गतिविधियाँ नहीं कराते।
(iv) बालकों को नैतिकता के पाठ पढ़ाने में रूचि नहीं रखते।
उत्तर - बालकों के भाषा विकास में खेल व गतिविधियाँ नहीं कराते।

[14] बालकों के भाषा विकास का प्रभावित करने वाला कारक नहीं है।
(i) बालक का वाणी दोष।
(ii) माता व पिता की निरक्षरता।
(iii) बालक की मनोवृति।
(iv) बालक की बुद्धिलब्धि।
उत्तर - माता व पिता की निरक्षरता।

[15] कक्षा 5 वीं के बालकों को लोकोक्ति एवं मुहावरों का ज्ञान कराया जाता है क्योंकि-
(i) ये भाषा के मूल आधार हैं।
(ii) भाषा में निखार लाते हैं।
(iii) व्यावहारिक जीवन में भी इनका प्रयोग होता है।
(iv) बालकों में भाषा की श्रेष्ठता का गुण पैदा होता है।
उत्तर - व्यावहारिक जीवन में भी इनका प्रयोग होता है।

[16] एक बालक के भाषा विकास हेतु निम्न में से कौन सी गतिविधी कराना आवश्यक नहीं है-
(i) नाटक
(ii) कहानी
(iii) भ्रमण
(iv) अन्तयाक्षरी
उत्तर - भ्रमण

[17] निम्न में से कौन सा बालकों को भाषा सिखाने का उद्देश्य नहीं है?
(i) साहित्य के प्रति रूचि जागृत करना।
(ii) अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास करना।
(iii) रचना कौशल का विकास करना।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर - उपरोक्त में से कोई नहीं।

[18] प्राथमिक स्तर पर बालकों को भाषा सिखाने हेतु शिक्षक को करना चाहिए-
(i) बालकों के साथ मित्रवत व्यवहार।
(ii) अपने प्रति बालकों को आकर्षित।
(iii) सांवेगिक रूप से अपने आप पर नियंत्रण।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर - उपरोक्त सभी।

[19] शिक्षक द्वारा भाषा शिक्षण कराने हेतु किस बात का ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
(i) बच्चों को अधिकाधिक रूप से सक्रीय रखा जाये।
(ii) विद्यालय में बाल सभा का आयोजन करायें।
(iii) बच्चों को श्याम पट पर लिखने का अवसर दें।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर - उपरोक्त सभी।

[20] एक बालक की भाषा ग्रहणशीलता निर्भर करती है-
(i) बुद्धिलब्धि पर।
(ii) खेलों पर।
(iii) माता-पिता के सामाजिक स्तर पर।
(iv) उपरोक्त सभी पर।
उत्तर - उपरोक्त सभी पर।

[21] एक बालक की ग्रहणशीलता को प्रभावित करने वाला तत्व है-
(i) परिवेश एवं वातावरण।
(ii) बालक की आयु।
(iii) बालक की इंद्रियाँ।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर - उपरोक्त सभी

[22] बालक की भाषा ग्रहणशीला का विकास शिक्षक द्वारा किया जा सकता है।
(i) प्रत्येक बालक को अभिव्यक्ति का अवसर दें।
(ii) बालक को सीखने के लिए प्रोत्साहित करें।
(iii) बालकों में रूचि जागृत करें।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर - उपरोक्त सभी

इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें।
गणित शिक्षण से चिंतन एवं तर्कशक्ति का विकास करना

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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