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व्याकरण या grammar क्या है? इसकी उपयोगिता | भाषा की मौखिक या लिखित अभिव्यक्ति के संदर्भ में व्याकरण के कार्य

व्याकरण या grammar वह है जो किसी भाषा को मानक रूप में लिखने, पढ़ने या मौखिक रूप में अभिव्यक्ति देने में सहायता प्रदान करती है। व्याकरण किसी भाषा के शब्द, वाक्य आदि में अन्तर स्पष्ट कर उसे उचित क्रम से जमाकर बोलने एवं लिखने हेतु नियमों का ज्ञान कराती है। बिना व्याकरण के कोई भी भाषा समुद्ध नहीं हो सकती। व्याकरण समृद्ध होने पर ही भाषा को प्रादेशिक या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होती है। व्याकरण मानव समुदाय की मौखिक या लिखित अभिव्यक्ति को सुदृढ़ बनाने का सशक्त माध्यम है। किसी भाषा को जानने, समझने के लिए व्याकरण ज्ञान होना अति आवश्यक होता है।

भाषा वाक्यों से बनती है, वाक्य शब्दों से बनते हैं और मूल शब्द ध्वनियों से बनते हैं। व्याकरण में इन्ही के अंग-प्रत्यंगों का अध्ययन-विवेचन किया जाता है। अतः भाषा की मुखर या लिखित अभिव्यक्ति हेतु कोई भी भाषा चाहे हिन्दी, सँस्कृत या अंग्रेजी हो यह व्याकरण पर ही आश्रित होती है। व्याकरण के नियम प्राय: लिखित भाषा को लक्ष्य करके निश्चित किये जाते हैं क्योंकि बोलने की अपेक्षा लिखित रूप में शब्दों का प्रयोग सावधानी के साथ किया जाता है।

व्याकरण शब्द वि + आ + करण से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ 'भली भांति समझना' होता है। अतः व्याकरण के नियमों का सम्बंध शिष्टजन द्वारा स्वीकृत शब्दों के रूपों और प्रयोगों के साथ होता है।

मौखिक या लिखित अभिव्यक्ति में भाषा के संदर्भ में व्याकरण के कार्य

(1) व्याकरण भाषा के नियमों एवं सिद्धांतों को निश्चित करती है।
(2) भाषा की रचना, शब्दों की व्युत्पति एवं विचार अभिव्यक्ति हेतु शुद्ध प्रयोग करना सिखाती है।
(3) किसी विदेशी भाषा को सीखे में सहायता प्रदान करती है।
(4) अभिव्यक्ति में प्रभावोत्पादकता उत्पन्न करना।
(5) अभिव्यक्ति एवं लेखन में मानकता प्रदान करना।
(6) भाषा में स्पष्टता गतिशीलता प्रदान करती है।
(7) शब्दों, वाक्यों में क्रमबद्धता को निश्चित करने में सहायक है। (8) शब्दों, वाक्यों आदि में अन्तर स्पष्ट करने में सहायक है।
(7) उचित आरोह, अवरोह, बलाघात एवं दीर्घता हेतु विराम की जानकारी प्रदान करती है।
(10) लेखन कौशल में निखार व उत्कृष्टता लाने में सहायक है।
(11) मुखर अविव्यक्ति में सही अर्थ ग्रहण करने में सहायक है।
(12) यादृच्छिक ध्वनि संकेतों से बने शब्दों की मान्यता निश्चित करने में सहायता करती है।
(13) भाषा के परिमार्जन में सहायक है।
(14) नवीन शब्दों के निर्माण में सहायता देती है।
(15) भाषण में अलंकारिता लाने में सहायक है।
(16) सही अर्थ बोध कराने में सहायक है।
(17) शुद्ध वर्तनी कराने में सहायक हो।
(18) मुहावरेदार भाषा प्रयोग कराने में सहायक है।
(19) साहित्य सृजन करने में सहायक है।
(20) सुवाच्य एवं सुन्दर लेखन करने में सहायता प्रदान करती है।

भाषा सीखने में व्याकरण की भूमिका

जब एक बालक पहली बार विद्यालय में कदम रखता है तो उस समय केवल वह अपनी मातृ‌भाषा ही जानता है, जो कि कोई बोली भी हो सकती है जिसे वह बोलता तो है परन्तु शुद्ध रूप में नहीं बोल पाता। प्रारंभ में शिक्षक बालक को अनुकरण के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों जैसे- कहानी, कथा, वाद विवाद, वार्तालप आदि के माध्यम से मानक भाषा का ज्ञान कराते हैं। आगे चलकर बालक को व्याकरण के नियमों का ध्यान रखकर भाषा के एक-एक वाक्य को स्पष्ट ढंग से व्यक्त करने हेतु अभिव्यक्ति के अवसर अवसर दिये जाते हैं।

जब बच्चा बोलना सीखने लगता है तो शिक्षक वाक्यों के माध्यम से शब्द एवं शब्द के माध्यम से अक्षरों (वर्णों) को सिखाना प्रारंभ करते हैं। वर्णो को सिखाना प्रारंभ करने से ही व्याकरणिक ज्ञान प्रारंभ हो जाता है। शिक्षक बच्चों को स्वर व व्यंजनों का ज्ञान कराते हैं जिसमें दीर्घ स्वर व हस्व स्वरों का ज्ञान कराया जाता है। हम जानते हैं वर्णों के क्रम में भी व्याकरण है। इस तरह व्यंजनों के ज्ञान में 'क' वर्ग से लेकर प' वर्ग तक, ऊष्म व्यंजन, संयुक्त व्यंजन आदि का ज्ञान व्याकरण को ध्यान में रखते हुए ज्ञान कराते हैं। अगले क्रम में धीरे-धीरे बालक को शब्द, वाक्य की रचना का ज्ञान कराते हैं। इन सबमें व्याकरणिक नियमों का ध्यान रखा जाता है। इस तरह धीरे-धीरे बच्चा शुद्ध रूप में एवं स्पष्ट ढंग से बोलना सीखने लगता है और धीरे धीरे बालक में भाषिक गतिशीलता व बोलने में प्रभावोत्पादकता आने लगती है।

यदि व्याकरण न हो तो भाषा को सही ढंग से बोल पाने, भावों को ग्रहण करने में कठिनाई होगी। व्याकरण के अभाव में जब शब्दों का उचित क्रम नहीं होता तो दूसरों को भावों समझने में भारी कठिनाई होती। किसी भी भाषा में मानकता लाने एवं स्पष्ट अभिव्यक्ति के लिए नियम तय करने का कार्य व्याकरण का होता है। यदि कोई व्यक्ति बिना नियमों के वाक्य को ऐसा बोले- "है भोजन मैं लेता।" तो इस वाक्य से सही अर्थ ग्रहण नहीं किया जा सकता क्योंकि इस वाक्य में तो शब्दों की क्रमबद्धता नहीं है। अत: एक पूरे प्रांत या राष्ट्र में एक रूपता लाने के लिए नियमों एवं भाषायी बंधनों को नियत किया गया जो कि व्याकरण कहलाती है।

भाषा सीखने में प्रारंभ से ही व्याकरण बालक की भाषा में मौलिकता लाने में सहयोग प्रदान करती है जिससे बालक की लिखित व मौखिक अभिव्यक्ति में उत्कृष्टता एवं प्रभावोत्पादकता आने लगती है। व्याकरणिक नियमों के अभाव में किसी भी भाषा को बालक या शिक्षक के द्वारा बोलना या लिखना सार्थक नहीं हो पायेगा और न ही पूर्ण भाव ग्रहण करना हो पायेगा।

व्याकरण के तत्व जो भाषा की लिखित और मौखिक अभिव्यक्ति में सहायक है।

(1) वर्ण विचार— इसके अन्तर्गत वर्णो से संबंधित उनके आकार, उच्चारण, वर्गीकरण तथा उनके मेल से शब्द बनाने के नियम आदि का उल्लेख किया जाता है।

(2) शब्द विचार— शब्द विचार में शब्द से संबंधित उसके भेद, उत्पत्ति, व्युत्पत्ति तथा रचना आदि का विवरण होता है।

(3) वाक्य विचार— वाक्य के अन्तर्गत वाक्य से संबंधित उसके भेद, अन्वय, विश्लेषण, संश्लेषण, रचना, वाक्य के अवयव तथा शब्दों से वाक्य बनाने के नियम आदि की जानकारी होती है।

(4) भाव विचार— इसके अन्तर्गत भाषा में किसी शब्द या वाक्यांश के भावों की प्रधानता रहती है इससे भाषा अलंकारिक प्रभावपूर्ण बनती है।

उपसंहार— किसी भी भाषा को लिखित या मौखिक अभिव्यक्ति का आधार व्याकरण होती है। किसी भी भाषा की मौलिकता एवं सर्वप्रधानता व्याकरण के नियमों पर निर्भर करती है। भाषा को बोलने या वार्तालाप में प्रयोग कर भावों को दूसरों तक प्रेषित करने में व्याकरण की भूमिका अहम होती है। या हम यूँ कह सकते हैं कि किसी भाषा के माध्यम से भाव अभिव्यक्ति की सजीवता, रोचकता एवं उत्कृष्टता आदि व्याकरण पर ही निर्भर करती है।

वैकल्पिक प्रश्नोत्तरी

(1) व्याकरणिक तौर पर किसी भाषा को शुद्ध बोलने से भाषा में—
(i) प्रभावोत्पादकता पैदा होती है।
(ii) अभिव्यक्ति को बल मिलता है।
(iii) भाव ग्रहण करने में सरल होती है।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर― (iv) उपरोक्त सभी।

(2) भाषा की अभिव्यक्ति में व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है।
(i) बगैर व्याकरण के भाषा न तो लिखी जा सकती है न बोली।
(ⅱ) सुनने वालों में या पढ़ने वालों में रूचि कम हो जाती है।
(iii) भाषा में सजीवता एवं रोचकता पैदा होती है।
(iv) उपरोक्त में सभी कथन गलत हैं।
उत्तर― (iii) भाषा में सजीवता एवं रोचकता पैदा होती है।

(3) भाषा की अभिव्यक्ति में व्याकरण का मुख्य कार्य है—
(ⅰ) नियमों एवं सिद्धांतों को निश्चित करना।
(ⅱ) भाषा में धारा प्रवाहिता लाना।
(iii) भाषा में विचारों को स्पष्टता लाना।
(iv) नवीन शब्दों का निर्माण करना।
उत्तर― (ⅰ) नियमों एवं सिद्धांतों को निश्चित करना।

(4) भाषा सिखाने में व्याकरण की भूमिका हो सकती है।
(ⅰ) भाषा बोलने में नियमों व सिद्धातों का स्मरण कराती है।
(ⅱ) मानक शब्दों व वाक्यों का प्रयोग करना सिखाना।
(ⅲ) भाषा की कठिनता को सरल करना।
(iv) भाषा में प्रभावोत्पादकता हेतु कठिन शब्दों का प्रयोग करना।
उत्तर― (ⅲ) भाषा की कठिनता को सरल करना।

(5) कक्षा 3 री में पढ़ने वाला बालक व्याकरण के नियमों के आधार पर भाषा का प्रयोग करना सीखता है—
(i) मुहावरेदार भाषा का प्रयोग।
(ⅱ) अलंकारिक भाषण का प्रयोग।
(iii) शब्दों को सही क्रम में जमाकर बोलना।
(iv) उपरोक्त सभी प्रकार से।
उत्तर― (iii) शब्दों को सही क्रम में जमाकर बोलना।

(6) कक्षा 4 व 5 में मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग करना बालकों को सिखाया जाता है ताकि—
(i) भाषा में प्रभावोत्पादकता आए।
(ii) गूढ़ रहस्यों को समझने में सहायता मिल सके।
(iii) साहित्य सृजन की प्रकृति जागृत हो सके।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर― (i) भाषा में प्रभावोत्पादकता आए।

(7) प्राथमिक स्तर पर बालकों को व्याकरण के तरीके बारे में जानकारी देना आवश्यक है ताकि—
(i) बालकों की मुखर एवं लिखित अभिव्यक्ति सही हो सके।
(ii) व्याकरण के नियम याद हो सके एवं बड़ी कक्षाओं में वे उनका उपयोग कर सके।
(iii) साहित्यिक शब्दों का प्रयोग अपनी भाषा में कर सके।
(iv) उपरोक्त सभी कथन सत्य है।
उत्तर― (iv) उपरोक्त सभी कथन सत्य है।

(8) व्याकरण के नियमों का ज्ञान होना आवश्यक नहीं होता यदि बालक—
(ⅰ) मौन वाचन करता है।
(ⅱ) लिखित अभिव्यक्ति देता है।
(iii) मौखिक वाचन करता है।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर― (iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।

(9) बालकों को मानक भाषा के ज्ञान कराने के लिए आवश्यक बात है—
(ⅰ) उनको व्याकरण के नियम रटवाये जायें।
(ii) व्याकरण सम्मत भाषा प्रयोग सिखाये।
(iii) अलंकारिक भाषा का प्रयोग सिखाया जाये।
(iv) भिन्न-भिन्न भाषाओं के शब्दों का भाषा में प्रयोग कराया जाये।
उत्तर― (ii) व्याकरण सम्मत भाषा प्रयोग सिखाये।

(10) भाषा में प्रयुक्त व्याकरण का तत्व नहीं है—
(i) वर्ण
(ⅱ) शब्द
(iii) वाक्य
(iv) उपरोक्त में कोई नहीं।
उत्तर― (iv) उपरोक्त में कोई नहीं।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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