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भाषा विचार- बाल विकास व शिक्षा शास्त्र- बच्चों की भाषा व उनकी भाषा गत कठिनाइयाँ, बालकों की विचार शक्ति बढ़ाने हेतु आवश्यक उपाय

भाषा विचार से तात्पर्य बच्चों की भाषा अर्थात बच्चे बोलने में भाषा का प्रयोग कैसे करते हैं, उनमें भाषागत ज्ञान कितना होता है। विचार से तात्पर्य बालकों की अभिव्यक्ति का कौशल, उनके द्वारा विभिन्न विचारों का प्रतिपादन आदि से है।

दुसरे अर्थो में हम लें तो भाषा का उपयोग बच्चे के लिए है एवं विचार से तात्पर्य उन सिद्धांतों से है जिनका प्रयोग बच्चों को भाषा सिखाने में किया जाता है। वर्तमान समय में बालकों को ज्ञानार्जन कराने का सशक्त माध्यम भाषा है और उनके लिए भाषागत जानकारी के बारे में विचार-विमर्श करना अर्थात् उन विधाओं का उपयोग करना है जिससे बच्चे भाषा आसानी से सीख जायें। भाषा ही है जो विचारों का माध्यम है बगैर भाषा के विचार विनिमय सम्भव नहीं है।

हम देखते हैं कि प्रारंभ में बालक अपने घरों में भाषा को अपने माता-पिता, भाई-बहिनों आदि का अनुकरण करके अपनी मातृभाषा सीखते हैं जो एक बोली हो सकती है या भाषा भी। जब बालक 5 वर्ष की आयु में विद्यालय आता है तब उसने सामने मानक भाषा सीखने की चुनौती होती है। अब शिक्षक द्वारा भाषा कैसे सिखाई जाये इस बात पर मंथन करना आवश्यक होता है।

बाल विकास और भाषा— बाल विकास से तात्पर्य किसी बालक का भ्रुणावस्था अवस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक के समस्त विकास जिसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भाषायी आदि होते हैं। बच्चे जन्म के पश्चात 18 माह की उम्र से बोलना आरंभ करता है। बालक के अन्य विकासों के साथ-साथ भाषा विकास का ध्यान रखा जाता है कि बालक उसकी आयु के अनुसार भाषा सीख रहा है या नहीं। यदि बालक अपनी आयु के अनरुप भाषा सीखता है तब सच्चे अर्थों में हम बालक का समुचित विकास मान सकते हैं।

बच्चों की भाषा— प्रायः बच्चा 18 माह की उम्र मे बोलना आरंभ कर देता है। प्रारंभ में बालक की भाषा केवल कुछ शब्द होते है जो पूर्ण वाक्य का काम करते हैं "मानी (पानी)", "खाओगा", "खेला" आदि इससे हम बच्चों की भावाभिव्यक्ति समझ जाते हैं। बालक जैसे-जैसे बड़ा होता है वह छोटे-छोटे वाक्य बोलना प्रारंभ करता है जिसमें क्रियाओं की संख्या अधिक होती है। हम यदि बच्चों की भाषा का ध्यानपूर्वक आंकलन करें तो हम उनकी भाषा संरचना में जटिलता पाते हैं। बालक विद्यालय आने तक भाषा की जटिल संरचनाएँ सीख जाते हैं। इस आयु में बालक की भाषिक संरचना इस तरह होती है—जैसे
(ⅰ) मामा अऊर मामाई आई है।
(ii) मैं गिलास से पानी पीता हूँ तू गिलासी से पीती है।

इस तरह के वाक्य बालक स्वयं गढ़ता है जिसमें वह लिंग सम्बंधी अनुप्रयोग करके वाक्य रचना करता है।

बालक जब विद्यालय आता है उसका भाषा पारीवारिक रंगों में रंगी एक बोली होती है शिक्षक का दायित्व अब उसे मानक भाषा से परिचित कराना होता है।

बच्चों के विचार— बच्चे भी बड़ों की तरह सोच विचार व मनन करते हैं यदि आप उनसे किसी बात के बारे में कुछ कहने को बोलते हैं तो वह पहले विचार करता है एवं समझकर उत्तर देता है। शिक्षक को बालकों के विचारों को महत्ता देते हुए उसकी विचार शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए। बालकों का विचार कौशल विकसित करने का सबसे उत्कृष्ट तरीका उसके विचारों को महत्व देना होता है यदि किसी बालक के विचारों को महत्ता मिलती है तो वह हमेशा अपनी अभिव्यक्ति देने में अग्रसर रहता है।

बालकों की भाषा की कठिनाईयाँ—
(ⅰ) बच्चे सहजता से बातचीत नहीं कर पाते।
(ⅱ) आंचलिक शब्दों का प्रयोग भाषा में अधिक करना।
(iii) वर्तनीगत अशुद्धियाँ करना।
(iv) अनुस्वार, अनुनासिक, विराम चिन्हों आदि में त्रुटि करना।
(v) विचारों को स्पष्ट ढंग से व्यक्त न कर पाना।
(vi) उच्चारण दोष होना।
(vii) संवेगात्मक रूप से अस्थिर होना।
(viii) एक समान शब्दों के अर्थ में कठिनाई।

इस तरह एक बच्चे की भाषागत कई कठिनाईयाँ हो सकती हैं। बच्चे को भाषागत कठिनाईयों को दूर करने के उपाय—
(ⅰ) सभी बच्चों को बोलने का अवसर दें।
(ⅱ) बालकों को अधिक से अधिक सक्रीय रखना।
(iii) विद्यालयीन कार्यलयों में भाग लेने के अवसर देना।
(ⅳ) शुद्ध उच्चारण व लेखन पर बल देना।
(ⅴ) स्वतंत्र अभिव्यक्ति प्रोत्साहन देना।
(vi) भाषागत उचित माहौल तैयार करना।
(vii) परिवार का माहौल (भाषायी) शुद्ध करना।

बालकों को विचार शक्ति बढ़ाने हेतु आवश्यक उपाय—
(ⅰ) बालकों की बातों को ध्यान से सुने व महत्व दे।
(ⅱ) उनके भावों को जानकर उन्हें उचित अनु‌चित का ज्ञान करायें।
(iii) विविध प्रकार की गतिविधियों व खेल करायें जिससे उनमें विचार शक्ति विकसित हो सके।
(iv) अपने परिवेश की विभिन्न जानकारी दें व उन पर चर्चा करें।
(v) बालकों को आपसी चर्चा करने का मौका को दें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(1) बच्चे किस उम्र में भाषा प्रयोग करना सीख जाते हैं।
(i) 12 माह
(ⅱ) 18 माह
(iⅱ) 20 माह
(iv) 25 माह
उत्तर― (ⅱ) 18 माह

(2) यदि हम बालकों को किसी भाषा का ज्ञान करना चाहते हैं तो—
(i) हमें भाषागत माहौल तैयार करना होगा।
(ii) बालकों को शब्दों व वाक्य के बारे में बताना होगा।
(iii) उन्हें भाषा का व्याकरणिक ज्ञान देना होगा।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर― (i) हमें भाषागत माहौल तैयार करना होगा।

(3) एक बालक की विचार शक्ति विकसित करने का सबसे उत्तम तरीका है।
(i) उसे अधिक से अधिक बोलने का अवसर दे।
(ii) उसके विचारों को मान्यता दे।
(iii) उसे विचार करने हेतु समस्याएँ दें।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर― (iv) उपरोक्त सभी।

(4) जब बालक विद्यालय परिवेश में आता है उसकी भाषा में शब्दों की अधिकता होती है।
(i) मानक
(ⅱ) आंचलिक
(iii) साहित्यिक
(iv) सभी
उत्तर― (ⅱ) आंचलिक

(5) एक बालक की निम्न में से कौनसी भाषागत कठिनाई नहीं है—
(ⅰ) एक समान ध्वनि वाले शब्दों में अंतर न कर पाना।
(ⅱ) उच्चारण में त्रुटि करना।
(iii) आंचलिक शब्दों का अधिक प्रयोग करना।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर― (iii) आंचलिक शब्दों का अधिक प्रयोग करना।

(6) एक शिक्षक किसी बालक के विचारों को भलीभांति समझ सकता है यदि—
(i) उसे सहज ढंग से बोलने का अवसर दे।
(ii) उसे खड़ा करके कोई बात पूछे।
(iii) उसके चेहरे के भावों को देखकर समझे।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर― (i) उसे सहज ढंग से बोलने का अवसर दे।

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शिक्षक चयन परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों को यहाँ👇 से डाउनलोड करें।
1. संविदा शाला वर्ग 3 का 2005 प्रश्न पत्र डाउनलोड करें
2. संविदा शाला वर्ग 2 का 2005 का प्रश्न पत्र डाउनलोड करें

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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