गणित का शिक्षा शास्त्र - पाठयक्रम में गणित का स्थान | गणित की महत्ता | पाठ्यक्रम में किसी विषय को स्थान देने हेतु मुख्य तत्व | place of mathematics in the curriculum
गणित की महत्ता— मानव जाति की उन्नति तथा सभ्यता के विकास में गणित का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। गणित को "सम्राट एवं सेवक" के रूप में जाना जाता है।
गणित का पिछला इतिहास देखे तो हम पाते हैं। कि गणित ने निम्न क्षेत्रों में हमारी असीम सहायता की है—
(1) टेक्नोलाजी― विश्व में विज्ञान एवं टेक्नोलाजी जिस तेजी से उन्नति कर रहा है उस उन्नति के पीछे निःसंदेह ही गणित का हाथ है।
(2) अंतरिक्ष― अंतरिक्ष में विचरण करना, आकाशीय पिण्डों का अध्ययन, जल, थल एवं वायु मार्गो यातायात के साधनों एवं विशेष यानों के निर्माण में गणित की भूमिका अवर्णनीय है।
(3) वैज्ञानिक प्रगति― वैज्ञानिक प्रगति अब गणितीय प्रगति का पर्याय बन चुका है। क्योंकि समस्त प्रकार के शोधों व उन्नति में गणित ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। भूगोल हो या खगोल, सभी का विकास गणित के ही आधार पर हुआ है।
(4) आविष्कार में सहायक― मनुष्य चाहे चन्द्रमा पर पहुँच गया हो मा मंगल ग्रह पर किसी जीव की खोज कर रहा हो सारे कार्य गणित की गणनाओं के ही चमत्कार हैं। हालांकि गणित का सम्पूर्ण विकास मनुष्य की मांगों का परिणाम है। सुई से लेकर जहाज तक का आविष्कार मनुष्य की आवश्यकताओं के आधार पर गणित गणनाओ ने ही किया है।
(5) भारत और गणित― वैदिक काल से ही भारत के गणित ने सभी संस्कृतियाँ को पीछे छोड़ दिया— चाहे वह बेबीलोनिया, चीन या तिब्बत की संस्कृति हो या पश्चिमी देशों की। शून्य का आविष्कार भारत की ही देन हैं जिसने गणित में चमत्कार पैदा कर दिया। भारत में गणित का प्रारंभ वैदिक काल (ईसा से 1500 वर्ष पूर्व) से ही हो चुका था। उस समय के ग्रन्थों में अंक गणित, रेखा-गणित, बीजगणित और ज्योतिष गणित, नक्षत्र विद्या तथा राशि विद्या का विशेष स्थान रहा है।
(6) इस्लामी शिक्षा में भी गणित― इस्लामी शिक्षा में भी अंकगणित, क्षेत्रमिति, ज्योतिष विद्या मुखाकृति विद्या, तिवि (चिकित्सा एवं शरीर विज्ञान) रियाती आदि सभी प्रकार के ज्ञान प्राप्त किये जाते थे।
दार्शनिकों के मत
उपरोक्त बातों के अलावा निम्न बातों से भी पता चलता है कि गणित का स्थान मानव के लिए कितना आवश्यक है—
हींगवान का मत― हींगवान नामक दार्शनिक ने कहा है, "गणित मानव सभ्यता का प्रतिबिंब है।'' अर्थात मानव जाति जितनी भी उन्नति व विकास करे यह सब गणित की उन्नति ही कहलायेगी।
कोठारी आयोग का मत― कोठारी आयोग ने उल्लेख किया है कि, "We can not over stress the importance of Mathematics in relation to science, Education and Research."
(विज्ञान, शिक्षा और शोध के संदर्भ में हम गणित के महत्व को अत्यधिक जोर नहीं दे सकते।)
नेपोलियन का मनतव्य― नेपोलियन ने कहा है कि, "The progress and the improvement of Mathematics is linked to prosperity of the state."
(राज्य का वैभव गणित के विकास व वृद्धि से जुड़ा हुआ है।)
पाठ्यक्रम में किसी विषय को स्थान देने हेतु मुख्य तत्व
(1) उस विषय से मानसिक अनुशासन विकसित करने में सहायता मिलती है या नहीं।
(2) व्यवहारिक जीवन में विषय की उपयोगिता।
(3) विषय का साँस्कृतिक मूल्य।
(4) विषय का व्यावसायिक मूल्य।
(5) विषय की विषय वस्तु का नैतिक मूल्य विकसित करने में सहायक है या नहीं।
(6) विषय वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक है या नहीं।
गणित विषय उपरोक्त सभी निर्धारक तत्वों की कसौटी पर सकारात्मक रूप से खरा उतरता है इसलिए बालक की शिक्षा प्रारंभ करने के साथ पाठ्यक्रम में गणित को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
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