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शासकीय विभागों एवं कर्मियों (कर्मचारियों) के लिये आदर्श आचरण संहिता पालन हेतु मुख्य बिन्दु || Aadarsh aacharan Snhita

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जब भी चुनाव तिथियाँ नजदीक आती है तब निर्वाचन आयोग के द्वारा आदर्श आचरण संहिता लागू की जाती है। यहाँ शासकीय विभागों एवं कर्मियों के लिये उनके व्यवहारों (आचरणों) हेतु बिन्दु दिए गए हैं, जिसका विवरण इस प्रकार है-

1. निर्वाचन की घोषणा की तारीख से निर्वाचन समाप्त होने तक राज्य सरकार सरकार के किसी भी विभाग या उपक्रम द्वारा ऐसा कोई आदेश पारित न किया जाए. जिससे चुनाव के सम्यक् संचालन में व्यवधान उपस्थित हो (जैसे कि कर्मचारियों के स्थानान्तरण) या चुनाव की शुचिता और निष्पक्षता प्रभावित हो, जैसे कि किसी क्षेत्र या वर्ग के मतदाताओं को लाभान्वित करने की दृष्टि से कोई सुविधा या छूट देना या किसी नयी योजना (स्कीम) या कार्य के लिए स्वीकृति जारी करना।

2. शासकीय कर्मचारियों को चुनाव में पूर्णतः निष्पक्ष रहना चाहिये। जो कि उनकी निष्पक्षता का विश्वास होना चाहिए तथा उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे ऐसी आशंका भी हो कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं।

(माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा विशेष अनुमति याचिका (सिविल) क्रमांक 21455/2008- (एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य) में पारित निर्णय दिनांक 5-7-2013 में दिये गये निर्देशों के अनुसार निर्वाचन घोषणा पत्र तैयार करने के संबंध में उक्त अपेक्षा को शामिल किया गया है।)

3. चुनाव के दौरे के समय यदि कोई मंत्री अथवा सार्वजनिक उपक्रम, स्थानीय निकाय आदि का कोई पदाधिकारी किसी निजी मकान पर आयोजित किसी कार्यक्रम का आमंत्रण स्वीकार करे तो किसी शासकीय कर्मचारी को उसमें शामिल नहीं होना चाहिए। यदि कोई निमंत्रण पत्र प्राप्त हो तो उसे विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर देना चाहिए।

4. किसी सार्वजनिक स्थान पर चुनाव सभा के आयोजन हेतु अनुमति देते समय विभिन्न अभ्यर्थियों या राजनैतिक दलों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। यदि एक ही दिन और समय पर, एक से अधिक उम्मीदवार या दल एक ही जगह पर सभा करना चाहते हों तो उस अभ्यर्थी या दल को अनुमति दी जानी चाहिए, जिसने सबसे पहले आवेदन पत्र दिया है।

5. विश्राम गृहों या अन्य स्थानों में शासकीय आवास सुविधा का उपयोग सभी राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को उन्हीं शर्तों पर करने की अनुमति दी जायेगी, जिन शर्तों पर उनका उपयोग सत्ताधारी दल को करने की अनुमति दी जाती है। परन्तु किसी भी दल या अभ्यर्थी को ऐसे भवन या उसके परिसर का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

6. (i) साधारणत: चुनाव के समय जो भी आम सभा आयोजित की जाए उसे चुनाव संबंधी सभा माना जाना चाहिए और उस पर कोई शासकीय व्यय नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी सभा में उन कर्मचारियों को छोड़कर जिन्हें ऐसी सभा या आयोजन में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने या सुरक्षा के लिए तैनात किया गया हो, अन्य कर्मचारियों को शामिल नहीं होना चाहिए।

6. (ii) यदि कोई मंत्री चुनाव के दौरान जिले के किसी पंचायत क्षेत्र का भ्रमण करें (जहाँ कि चुनाव होने वाले हों) तो ऐसा भ्रमण चुनावी दौरा माना जाना चाहिए और उसमें सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारियों को छोड़कर अन्य किसी शासकीय कर्मचारी को साथ नहीं रहना चाहिए। ऐसे दौरे के लिए शासकीय वाहन या अन्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराई जानी चाहिए।

7. निर्वाचन की घोषणा के दिनांक से निर्वाचन समाप्त होने तक मंत्रिगण या सांसद या विधायकों द्वारा किसी पंचायत क्षेत्र में जहाँ कि चुनाव होने वाले हों, स्वेच्छानुदान राशि, जनसम्पर्क निधि या क्षेत्र विकास राशि में से कोई अनुदान स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए और न ही किसी सहायता या अनुदान का आश्वासन दिया जाना चाहिए। इस अवधि के दौरान किसी योजना या जनोपयोगी सुविधाओं का शिलान्यास या उद्घाटन नहीं किया जाना चाहिए।

8. इस अवधि के दौरान ऐसे पंचायत क्षेत्र के अन्तर्गत किसी योजना का, या नवीन नागरिक सुविधाओं या सेवाओं का, भले ही उनका निर्माण राज्य सरकार या संबंधित पंचायत द्वारा न किया गया हो या प्रस्तावित हो, शिलान्यास या उद्घाटन नहीं किया जाना चाहिए।

9. चुनाव के दौरान समाचार पत्रों तथा प्रचार के अन्य माध्यमों से, शासकीय खर्चे पर ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किए जाने चाहिए जिनमें सत्ताधारी दल की उपलब्धियों को प्रचारित या रेखांकित किया गया हो या जिनसे अभ्यर्थी को उनके अथवा उसके अपने हितों को आगे बढ़ाने में सहायता मिलती हो।

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आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com

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