स्कूल रेडीनेस क्या है? इसकी व्याख्या || स्कूल रेडीनेस के घटक || What is School Readiness and its components
रेडीनेस शब्द अंग्रेजी का है जिसकी वर्तनी Readiness है। Readiness का शाब्दिक अर्थ तत्परता या तैयारी होता है। यदि हम स्कूल रेडनेस की बात करें तो आशय होगा स्कूली अर्थात विद्यालयीन तत्परता। यहाँ बच्चों के सन्दर्भ में हम चर्चा करें तो स्कूल रेडीनेस का आशय होगा -
(i) सीखने की तत्परता
(ii) दूसरों के साथ अपने अनुभव साझा करने की तत्परता।
(iii) किताबों, पेन/पेंसिल के साथ जुड़ने की तत्परता।
(iv) किताबों के चित्रों में खुद को खोजने की तत्परता।
(v) लिखावट के अर्थों का अनुमान लगाने की तत्परता।
इस प्रकार स्कूल रेडीनेस से आशय है कि बच्चे सीखने के लिए उत्साहित एवं तत्पर है, शिक्षक एवं विद्यालय बच्चों के सीखने में मदद करने के लिए तैयार हैं, अभिभावक एवं समुदाय भी बच्चों के सीखने के सफर में मदद करने के लिए तैयार हैं। स्कूल रेडीनेस में बच्चे साक्षरता के उन पूर्व कौशलों को सीखते हैं जो उनके आगे पढ़ने-लिखने के कौशलों का आधार बनता है और सीखने को सहज बना देता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कक्षा 1 में प्रवेश लेने वालों बच्चों के लिए बारह सप्ताह के स्कूल रेडीनेस मॉड्यूल की अनुशंसा करती है। 'स्कूल रेडीनेस मॉड्यूल' से यह अपेक्षा की गई है कि बच्चे इस प्रक्रिया से गुजरते हुए सहजता के साथ सीखने के औपचारिक अभ्यासों से जुड़ पाएँ।
कक्षा 1 की अभ्यास पुस्तिका में देखने पर पता चलता है कि इस तरह का अनुभव बच्चों को न केवल पहले 12 सप्ताह में बल्कि पूरे वर्ष देने का प्रयास किया गया है। प्रारंभ के 4 सप्ताह तक पूर्ण रूप से स्कूल रेडीनेस की दक्षताओं पर कार्य किया जाएगा हालाँकि इन गतिविधियों का संयोजन आगे तक भी है। गतिविधियों का समायोजन ऐसे किया गया है जिससे कि बच्चों को रुचिपूर्ण तरीके से साक्षरता के कौशलों को सीखने का अवसर मिले। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि शिक्षक इन गतिविधियों को कितने सार्थक और प्रभावी ढंग मे बच्चों के बीच कराते हैं ताकि सीखना बच्चों के लिए एक आनन्ददायी और रोचक प्रक्रिया बन पाए।
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1.मिशन अंकुर के लक्ष्य
स्कूल रेडीनेस के घटक
स्कूल रेडीनेस में निम्नलिखित घटकों पर कार्य कार्य करना है-
(1) मौखिक भाषा विकास - बच्चों के साथ चित्रों, वस्तुओं, उनके आस-पास की चीज़ों आदि पर बातचीत की जाएगी। बातचीत में बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में अभिव्यक्त करने दें। बातचीत के दौरान स्थानीय भाषा के कुछ शब्दों को हिन्दी में क्या बोलते हैं यह भी बताया जा सकता है।
(2) कहानी/कविता सुनना-सुनाना एवं समझ - बच्चों को कहानियाँ पढ़कर सुनाई जाएगी, बच्चों से कहानी सुनी जाएगी तथा कहानी/कविता की समझ संबंधित बातचीत की जाएगी।
(3) ध्वनि जागरूकता - इसमें बोली जा रही आवाजों को सुनना, समझना, शब्द की आवाज़ों में अंतर करना एवं पहचानना पर कार्य किया जाएगा।
(4) बौधात्मक विकास - इसमें बच्चों के साथ सूक्ष्म अवलोकन करना, अंतर खोजना, तुलना करना आदि पर कार्य किया जाएगा।
(5) हस्त संतुलन एवं लेखन पूर्व कौशल का विकास - इसमें बच्चों के साथ कुछ बनाना, रेखाएँ खींचना, पैटर्न बनाना आदि पर कार्य किया जाएगा जो उनके हस्त संतुलन और आगे लेखन कौशल सीखने के लिए महत्वपूर्ण है।
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
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