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विषयवस्तु विवरण



कक्षा 3 के लिए मिशन अंकुर का लक्ष्य || लक्ष्य प्राप्ति || मिशन की आवश्यकता || निपुण भारत एवं मिशन अंकुर सामग्री

निपुण भारत मिशन के अंतर्गत कक्षा 1, 2 और 3 के बच्चों के अधिगम प्रतिफलों को प्राप्त करने के लिए राज्य में मिशन अंकुर के नाम से कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम बच्चों को भाषा एवं साक्षरता का व्यापक अनुभव देने की वकालत करता है। कार्यक्रम के तहत शिक्षक संदर्शिका, अभ्यास पुस्तिका एवं आवधिक आकलन प्रपत्र का निर्माण किया गया है जो बच्चों की मूलभूत भाषा एवं साक्षरता के लक्ष्या की संप्राप्ति में उपयोगी होगा।

मिशन अंकुर के उद्देश्यों की सप्राप्ति में सभी हितधारकों (शिक्षक समुदाय एवं अभिभावक, विभिन्न स्तर के राज्य एवं स्थानीय अधिकारियों) की महत्वपूर्ण भूमिका है और सभी हितधारक साथ में मिलकर कार्य करेंगे।

कक्षा 3 के लिए मिशन अंकुर का लक्ष्य

मिशन अंकुर के तहत कक्षा 3 के बच्चों के बुनियादी साक्षरता, संख्या ज्ञान एवं जीवन के बुनियादी कौशलों के लक्ष्यों को प्राप्त करना है। मिशन अंकुर कार्यक्रम के अपेक्षित व्यापक लक्ष्य नीचे दिए गए हैं―

समझ के साथ पढ़ना― बुनियादी साक्षरता के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है "समझ के लेखन साथ पढ़ना"। बच्चा जब किसी पाठ को पढ़कर उसका अर्थ समझने लगे तब माना जाता है कि यह समझ के साथ पढ़ रहा है। समझ के साथ पढ़ने के लिए कुछ बेहद जरूरी चरण होते हैं जिन पर योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। मौखिक भाषा विकास, पठन बोध।

बुनियादी गणित में संक्रियाएँ ― बुनियादी गणित में सक्रियाओं की समझ एक महत्वपूर्ण घटक है। जोड़, घटाव, गुणा और भाग केवल संख्याओं का अमूर्त उपयोग नहीं है। इन संक्रियाओं का अनुप्रयोग दैनिक जीवन में व्यापक रूप में होता है। ये सक्रियाएँ विषयवस्तु के विश्लेषण, वर्णन और कौशल। जीवन के संदर्भ में सरल समस्याओं की व्याख्या और समाधान के लिए उपयोगी हैं।

लेखन― लेखन का आशय लिखित रूप में स्वतंत्र अभिव्यक्ति से है। जिस तरह पढ़ना महत्वपूर्ण है उसी तरह से लिखना भी महत्वपूर्ण है। बच्चों के साथ प्रारम्भ से ही लेखन पर कार्य किया जाएगा। लेखन का यह सफर शब्दों में लिखने से होते हुए वाक्य के रूप में लिख पाने तक स्वतंत्र लेखन एवं श्रुतलेख तक जाएगा।

जीवन के बुनियादी कौशल ― निपुण भारत मिशन के तहत केवल बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान पर ही फोकस नहीं किया गया है बल्कि बच्चों को विद्यालय और घर में ऐसा माहौल भी देना है जिससे वे जीवन जीने के कुछ बुनियादी कौशल भी हासिल कर पाएँ। इसके लिए बच्चों को सामाजिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने की गतिविधियों की जाएँगी।

2027 तक लक्ष्य प्राप्ति

1. प्रत्येक बच्चा कक्षा 3 के अंत तक पढ़ने-लिखने व बुनियादी संख्या ज्ञान के स्तर को प्राप्त करेंगे।
2. सीखना एक समग्र समावेशी, आनंददायक व आकर्षक प्रक्रिया के रूप में सुनिश्चित हो।
3. 3 से 9 आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की जरूरतों को पूरा करेंगे।
4. प्री-स्कूल अवस्था से कक्षा 1 के बीच के चरणों में बदलाव की प्रक्रिया के बीच सशक्त समन्वय स्थापित हो।

मिशन की आवश्यकता

1. यह बुनियादी साक्षरता बच्चों की आगे की कक्षाओं के लिये उनके सफल शैक्षणिक विकास की आधारशिला है।
2. जो बच्चे इन मूलभूत कौशलों से वंचित हो जाते हैं. उन्हें आगे की कक्षाओं में उचित अधिगम प्राप्त होना मुश्किल होता है और वे निरंतर पिछड़ जाते हैं।
3. सीखने की इस प्रकार की प्रक्रिया में निरंतर पिछड़ जाने से ऐसे बच्चे स्कूली व्यवस्था से बाहर हो जाते हैं।

उदेश्य

1. मिशन अंकुर के तहत शिक्षकों को मिलने वाली समस्त सामग्री से शिक्षकों का परिचय करवाना।
2. हर सामग्री के उपयोग के तरीकों को समझ बनाना शिक्षक संदर्शिका― यह शिक्षक संदर्शिका कक्षा 3 भाषा अध्ययन के शिक्षक के लिए है। इसमें 30 सप्ताह के लिए प्रत्येक दिवस की नियोजित पाठ योजना दी गई है। इससे आपको यह पता चलेगा की प्रत्येक सप्ताह दिवस में सीखने-सिखाने की गतितिधियों किस प्रकार संचालित की जाती है। इस पाठ योजना का उपयोग भाषा अध्ययन के कौशलों के शिक्षण अधिगम के लिए करना है। पाठ योजना का निर्माण निपुण लर्निंग आउटकम अर्थात कक्षा-3 भाषा अधिगम प्रतिफलों के आधार पर किया गया है पाठ योजना में भी लर्निंग आउटकम का उल्लेख किया गया है। शिक्षक संदर्शिका में भाषा अध्ययन के सीखने-सिखाने के सिद्धांतों को शामिल किया गया है। प्रतिदिन के शिक्षण अधिगम के लिए पाठ योजना दी गई है। पूरे शैक्षणिक सत्र को 3 आवधिक आकलन में बाँटा गया है। इसमें साप्ताहिक पाठ योजना, आवधिक आकलन, पुनर्बलन पाठ योजना पुनरावृत्ति सप्ताह को समझाया गया है। सप्ताह 10, 20,30 आवधिक आकलन सप्ताह है। सप्ताह 31 वाँ 32 वाँ पुनरावृत्ति / पुनर्बलन सप्ताह है। इसकी कार्ययोजना शिक्षक को स्वयं तैयार करना है।

सप्ताह 06 से 09 पृष्ठ, सप्ताह 10 आवधिक आकलन-1
सप्ताह 11 से 19 पृष्ठ, सप्ताह 20 आवधिक आकलन-2
सप्ताह 21 से 29 पृष्ठ, सप्ताह 30 आवधिक आकलन-3

अभ्यास पुस्तिका― मिशन अंकुर के अंतर्गत कक्षा 3 के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी । विषय की अभ्यास पुस्तिका (वर्कबुक) का निर्माण किया गया है। इस अभ्यास पुस्तिक में 30 सप्ताहों के लिए शिक्षक संदर्शिका के अनुसार अभ्यास दिए गए हैं। प्रत्येक सप्ताह में 01 से 05 दिवस तक दैनिक अभ्यास है एवं छटवाँ दिवस पुनर्बलन तथा आकलन के लिए रखा गया है। इस अभ्यास पुस्तिका में सप्ताह 10, 20 और आकलन 30 के लिए आवधिक आकलन के लिखित एवं मौखिक टूल्स दिए गए हैं। इस अभ्यास पुस्तिका में भाषा अध्ययन के घटकों पर चर्चा की गई है। यह अभ्यास पुस्तिका बच्चों की आगे की कक्षाओं के लिए उनके सफल शैक्षणिक विकास की आधारशिला है। अभ्यास पुस्तिका के अभ्यास कक्षा-3 की पाठ्य पुस्तक विषय-हिन्दी (भाषा भारती) के पाठ्यक्रम पर आधारित है। अभ्यास पुस्तिका में बच्चों के लिए मौखिक भाषा विकास से लेकर स्वतंत्र अभ्यास एवं श्रुतलेख तक की गतिविधियाँ दी गई हैं।

आवधिक आकलन प्रपत्र (ट्रैकर)― सप्ताह 6-9, 11-19 एवं 21-29 तक बच्चों को सिखाई गई दक्षताओं को जाँचने के लिए आवधिक आकलन सप्ताह 10, 20 और 30 निर्धारित किए गए हैं। इसके लिए मिशन अंकुर के अंतर्गत आवधिक आकलन प्रपत्र (ट्रेकर) तैयार किये गए हैं। इन आवधिक आकलन प्रपत्र का उपयोग सप्ताह 10, 20 और सप्ताह 30 में किया जाना है। सप्ताह 10, 20, 30 में के प्रथम व द्वितीय दिवस दिए गए टूल्स के आधार पर बच्चो का आवधिक आकलन किया जाना है। सप्ताह के शेष दिनों में परिणाम के आधार पर (लर्निंग गैप को पूर्ण करने के लिए शिक्षण योजना तैयार कर शेष दक्षताओं को पूर्ण करना है।
भरे गए तीनों आवधिक आकलन प्रपत्र (ट्रैकर) के आधार पर ही बच्चों का HPC (HOLISTIC PROGRESS CARD) तैयार किया जाना है। ट्रैकर आगे सलंग्न किए गए हैं।

आवधिक पाठ योजना प्रवाह― आप साप्ताहिक पाठ योजना प्रवाह समझ गए होंगे जिसके अनुसार सप्ताह का अंतिम दिन सीखी गयी दक्षताओं के आकलन एवं पुनरावृति के लिए है। इसी तरह पूरे 30 सप्ताह के शिक्षण अधिगम को 3 मुख्य आवधिक पुनरावृत्ति (Periodic Revision) में बाँटा गया है जिसमें पढ़ाई गई दक्षताओं की पुनरावृत्ति करना शामिल है यदि किसी दक्षता को सीखने से बचित रह गए हैं तो उस दक्षता की सीख को सुनिश्चित करना है। इस प्रकार 30 सप्ताह को पाठ योजना में सप्ताह 10, 20 सम्मिलित होगा। अंतिम दो सप्ताह 31 और सप्ताह 32 भी पुनरावृति के लिए है। इन सप्ताहों में पढ़ाई गई दक्षताओं की पुनरावृत्ति शिक्षक स्वयं कार्य-योजना तैयार करते हुए पूर्ण करें। सप्ताह 10.20 एवं 30 के आवधिक आकलन करना है और इस आवधिक आकलन के आधार पर सप्ताह के शेष दिवसों में बच्चों को पढ़ाए गए कौशलों की पुनरावृति/उपचारात्मक शिक्षण करना है। आवधिक (आओ दोहराएँ) पाठ योजना का प्रवाह निम्न प्रकार से है―

सप्ताह ― 1 से 9
सप्ताह 10 ― आवधिक आओ दोहराएँ–1
सप्ताह ― 11 से 19
सप्ताह 20 ― आवधिक आओ दोहराएँ–2
सप्ताह ― 21 से 29
सप्ताह ― 30 – आवधिक आओ दोहराएँ।
सप्ताह ― 31 से 32
सप्ताह ― 31-32 – पुनर्बलन सप्ताह शिक्षक स्वयं की कार्ययोजना तैयार करें।
पुनर्बलन/आवधिक― (सप्ताह 10, 20, 30)
2 दिवस ― आवधिक आकलन (मौखिक+लिखित)
4 दिवस ― पुनर्बलन सप्ताह शिक्षक स्वयं की कार्ययोजना तैयार करें।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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