नियुक्ति – गलत जानकारी देकर नियुक्ति पाना || नियुक्ति में प्राथमिकता || लोक सेवाएँ सीधी भरती तथा पद || शासकीय सेवक, लोक सेवक एवं कार्यालय प्रमुख की परिभाषा
नियुक्ति
शासकीय सेवा में नियुक्ति, संबंधित सेवा के भरती नियम के अन्तर्गत होती है। सामान्यतः राजपत्रित अधिकारी की नियुक्ति राज्य शासन द्वारा तथा अन्य सेवाओं में पद अनुसार नियुक्ति, नियुक्ति अधिकारी करता है।
गलत जानकारी देकर नियुक्ति पाना
यदि कोई व्यक्ति गलत जानकारी देकर उसके आधार पर नियुक्ति पाता है, और वह बाद में शासन को ज्ञात होती है, तो ऐसे व्यक्ति यदि अस्थाई या परिवीक्षाधीन हो तो तत्काल सेवा से मुक्त कर दिया जा सकता है, परन्तु यदि वह उस पद पर स्थायी हो गया हो, तो उसके विरुद्ध विभागीय जाँच संस्थापित कर उसे पदच्युत किया जावेगा तथा ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध अभियोजन भी चलाया जा सकता है।
शासकीय सेवा में नियुक्ति हेतु प्राथमिकता
म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्र. 730/1182/1/(3)/73 दिनांक 29-11-73 सहपठित क्र.सी. 3/29/81/8/1 दिनांक 11-11-91 द्वारा नियुक्ति के लिए प्राथमिकता क्रम निम्नानुसार निर्धारित किया गया है, यथा―
(1) A1 वर्ष 1962 एवं पश्चात् के भारत के विरुद्ध हुए युद्ध में अपंग हुए सैनिक।
(2) A2 वर्ष 1962 एवं पश्चातवर्ती भारत के विरुद्ध हुए युद्ध में मृत सैनिकों के परिवार के आश्रित व्यक्ति।
टीप― एक परिवार में अधिकतम दो आश्रित व्यक्ति नियुक्त हो सकते हैं।
(3) A3 भूतपूर्व सैनिकों को।
(3. A-B) निर्वाचन कार्यालय के अतिशेष कर्मचारी।
(4) B1 अतिशेष कर्मचारी, बंधक मजदूर, भूमि सैनिक (जनगणना एवं निर्वाचन के कर्मचारी सम्मिलित हैं इनमें जनगणना के अतिशेष कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जावेगी।
(4-A) B1 नर्मदा घाटी परियोजना में डूब से प्रभावित विस्थापित परिवार के एक सदस्य को।
(5) B2 दिव्यांग व्यक्ति।
(6) B3 कार्यभारित या आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारी।
(7) C1 राष्ट्रीय छात्र सेना के डी. एवं सी. प्रमाण पत्र धारी उम्मीदवार को।
(8) C2 बर्मा और सीलोन से आये भारतीय नागरिकों को।
टीप― म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्र. सी./3/102/92/3/1 दिनांक 2-1-93 द्वारा नक्सलवादियों से पीड़ित परिवारों के पुनर्वास को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया है कि ऐसे परिवारों के पुत्र-पुत्रियों को शासकीय सेवा में भरती के समय प्राथमिकता दी जावे जिनके सदस्य नक्सलवादियों के हाथों मारे गये हों या गम्भीर रूप से घायल हुए हों।
[क्रमांक एफ-9-3 /2000/आ. प्र. / एक. भोपाल, दिनांक 01 अक्टूबर, 2009]
युद्ध अथवा सैनिक कार्यवाही के शहीद सैन्य अधिकारियों / सैनिकों के आश्रितों को राज्य शासन द्वारा घोषित सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में शासकीय सेवा में विशेष नियुक्ति।
संदर्भ― सामान्य प्रशासन विभाग का समसंख्यक परिपत्र दिनांक 11-10-20011 गृह (सामान्य) विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 31-17/99/दो-ए (3) दिनांक 15- 03-2000 द्वारा युद्ध अथवा सैनिक कार्यवाही में शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों को वित्तीय एवं अन्य सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिसकी कंडिका 1 (ब) में अदर्ध सैनिक बलों का भी उल्लेख है।
2. गृह (सामाय) विभाग के उपरोक्त परिपत्र के अनुक्रम में युद्ध अथवा सैनिक कार्यवाही में शहीद हुए मध्यप्रदेश के मूल निवासी सैन्य अधिकारियों/सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा में विशेष नियुक्ति देने संबंधी निर्देश सामान्य प्रशमान विभाग के परिपत्र दिनांक 11-10-2001 द्वारा जारी किए गए हैं। शासन के ध्यान में लावा गया है कि इस परिपत्र में अर्द्ध सैनिक बलों का उल्लेख न होने के कारण युद्ध अथवा सैन्य कार्यवाही में शहीद / विकलांग अर्द्धसैनिक बलों के सैनिकों के परिजनों को विशेष अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं मिल रहा है।
3. अतः यह स्पष्ट किया जाता है कि सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 11-10-2001 द्वारा जारी प्रावधान सैन्य अधिकारियों / सैनिकों के साथ-साथ अर्द्ध सैनिक बलों के सैनिकों के शहीद परिवारों के परिजनों के लिए भी लागू होंगे।
4. शासन के ध्यान में यह भी लाया गया है कि उपरोक्त श्रेणी के विशेष नियुक्ति के प्रकरण विभागों/कार्यालयों में प्राप्त होने पर उनका त्यारित निराकरण नहीं किया जाता है । अतः पुनः निर्देशित किया जाता है कि युद्ध अथवा सैनिक कार्यवाही में शहीद हुए मध्यप्रदेश के मूल निवासी सैन्य अधिकारी/सैनिकों/अर्द्ध सैनिक बलों के सैनिकों के आश्रित सदस्यों से आवेदन पत्र प्राप्त होने पर उन्हें शासन के नियमानुसार नियुक्ति देने के संबंध में प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही की जावें। साथ ही प्रत्येक माह की 5 तारीख तक इसका प्रतिवेदन सामान्य प्रशासन विभाग (आरक्षण प्रकोष्ठ) एवं गृह (सामान्य) विभाग को प्रेषित किया जावे।
5. कृपया उपरोक्त निदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए। भर्ती हेतु परीक्षा अनुभव, शारीरिक नाप जो पद के लिए आवश्यक होता है, वह नियुक्ति नियम में रहता है तथा पद की भर्ती हेतु जारी सूचना पत्र में दिया रहता है। पद के लिए परीक्षा तथा साक्षात्कार भी सामान्यतः होता है।
लोक सेवाओं के पदों पर सीधी भरती
1. परिभाषाएँ
लोक सेवाएं तथा पद
राज्य सरकार का या तत्समय प्रवृत्त राज्य के किसी अधिनियम के अधीन गठित किसी स्थानीय प्राधिकरण या कानूनी प्राधिकरण का या किसी विश्वविद्यालय का या किसी ऐसी कंपनी, निगम या किसी सहकारी सोसाइटी का, जिसमें समादत्त अंशपूंजी का कम से कम इक्यावन प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा धारित है या किसी संस्था का जो राज्य सरकार से सहायता अनुदना या नगद अनुदान प्राप्त कर रही है, कोई कार्यालय और उसके अन्तर्गत ऐसा स्थापन आता है जिसमें कार्यभारित या आकस्मिकता निधि से भुगतान किया जाता है, और ऐसा स्थापन जिसमें आकस्मिक नियुक्तियां की जाती हैं, के स्थापन के किसी कार्यालय में की सेवाएं तथा पद।
लोक सेवक
लोक सेवक में शामिल हैं―
(1) कोई व्यक्ति, जो सरकार की सेवा या उसके वेतन पर है या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता है।
(2) कोई व्यक्ति, जो किसी लोक प्राधिकरण की सेवा या उसके वेतन पर है।
(3) कोई व्यक्ति, जो किसी केन्द्रय, प्रान्तीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगम या सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन या सरकार से सहायता प्राप्त किसी प्राधिकरण निकाय या कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 में यथापरिभाषित किसी सरकारी कंपनी की सेवा या उसके वेतन पर है।
(4) कोई न्यायाधीश, जिसके अन्तर्गत ऐसा कोई व्यक्ति है जो किन्हीं न्याय निर्णयन कृत्यों का, स्वयं या किसी व्यक्ति के निकाय के सदस्य के रूप में, निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया है।
(5) कोई व्यक्ति, जो न्याय प्रशासन के संबंध में किसी कर्तव्य का पालन करने के लिए न्यायलय द्वारा प्राधिकृत किया गया है, जिसके अन्तर्गत किसी ऐसे न्यायालय द्वारा नियुक्त किया गया परिसमापक या आयुक्त है।
(6) कोई मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा या किसी सक्षम लोक अधिकरण द्वारा कोई मामला या विषय, विनिश्चय या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया है।
(7) कोई व्यक्ति, जो किसी ऐसे पद को धारण करता है, जिसके आधार पर वह निर्वाचन सूची तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाये रखने या पुनरीक्षित करने अथवा निर्वाचन या निर्वाचन के भाग का संचालन करने के लिए सशक्त है।
(8) कोई व्यक्ति, जो ऐसे पद को धारण करता है जिसके आधार पर किसी लोक कर्तव्य का पालन करने के लिए प्राधिकृत या अपेक्षित है।
(9) कोई व्यक्ति, जो कृषि, उद्योग, व्यापार या बैंककारी में लगी हुई किसी ऐसी रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी का अध्यक्ष, सचिव या अन्य पदधारी है, जो केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी प्रान्तीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित किसी निगम से या सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन या सरकार से सहायता प्राप्त किसी प्राधिकरण या निकाय से या कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 617 में यथापरिभाषित किसी सरकार कंपनी से कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही है या कर चुकी है।
(10) कोई व्यक्ति, जो किसी सेवा आयोग या बोर्ड का, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, अध्यक्ष, सदस्य या कर्मचारी या ऐसे आयोग या बोर्ड की ओर से किसी परीक्षा का संचालन करने के लिए या उसके द्वारा चयन करने के लिए नियुक्त की गई किसी चयन समिति का सदस्य है।
(11) कोई व्यक्ति, जो किसी विश्वविद्यालय का कुलपति, उसके किसी शासी निकाय का सदस्य, आचार्य, उपाचार्य, प्राध्यापक या कोई अन्य शिक्षक या कर्मचारी है, चाहे वह किसी भी पदाभिनाम से ज्ञात हो, और कोई व्यक्ति जिसकी सेवाओं का लाभ विश्वविद्यालय द्वारा या किसी अन्य लोक निकाय द्वारा परीक्षाओं के आयोजन या संचालन के संबंध में लिया गया है।
(12) कोई व्यक्ति, जो किसी भी रीति में सथापित किसी शैक्षिक, वैज्ञानिक, सामाजिक या अन्य संस्था का, जो केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण से वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही है या कर चुकी है, पदधारी या कर्मचारी है।
"शासकीय सेवक" कौन?
(i) वह व्यक्ति, जो राज्य के अधीन किसी सेवा का सदस्य है या कोई सिविल पद धारण कर रहा हो। इसमें वह व्यक्ति भी शामिल है, जो बाह्य सेवा में है या जिसकी सेवाएं केन्द्र सरकार या अन्य राज्य सरकार को सौंपी गई हैं।
(ii) वह व्यक्ति, जो भारत सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन किसी सेवा का सदस्य हो या कोई सिविल पद धारण करता हो, या तथा जिसकी सेवाएं राज्य सरकार के अधीन अस्थाई रूप से सौंपी गई हों।
(iii) वह व्यक्ति, जो किसी स्थानीय निकाय या प्राधिकारी की सेवा का हो तथा उसकी सेवाएं राज्य सरकार के अधिकार में अस्थायी रूप से सौंपी गई हैं।
तात्पर्य यह है कि शासकीय सेवक ऐसा व्यक्ति है जो राज्य सरकार या केन्द्र सरकार की सेवा में सिविल कार्यों के लिए नियुक्त किया गया है और उसे संचित निधि (Consolidated Fund) से वेतन दिया जाता है।
"कार्यालय प्रमुख" (परिभाषा)
कार्यालय प्रमुख से आशय स्थानीय कार्यालय के ऐसे राजपत्रित प्रभारी अधिकारी से हैं, जिसे सक्षम अधिकारी द्वारा कार्यालय प्रमुख घोषित किया गया है। इसके पास आहरण एवं संवितरण के अधिकार भी रहते हैं। [म.प्र. वित्त संहिता जिल्द-एक, नियम 2 (23)]
टिप्पणी― (1) म.प्र. वित्तीय शक्ति पुस्तिका, 1995 भाग-1 के खण्ड-1 के सरल क्रमांक 3 के अनुसार कार्यालय प्रमुख घोषित करने की शक्ति शासन के प्रशासकीय विभाग को प्रदत्त है।
(2) म.प्र. कोषालय संहिता भाग-1 के सहायक नियम 125 के अनुसार मूल आहरण एवं वितरण अधिकारी अपने ये अधिकार अपने अधीनस्थ किसी अन्य राजपत्रित अधिकारी को सौंप सकता है।
जानकारी का स्रोत ― मध्यप्रदेश हैण्डबुक 2022 इकतीसवाँ संस्करण ― श्री निवास पराड़कर।
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